जब भी राज्य सरकार RAS अफसर बनाने की प्रवेश परीक्षा आयोजित करती है, तो लाखों युवा आवेदन करते हैं। राजस्थान में ग्रेजुएट होते ही 90 प्रतिशत युवा जो सबसे पहला सपना देखते हैं, वो आरएएस अफसर बनने का होता है। राजस्थान एडमिनिस्ट्रेशन सर्विस राजस्थान की टॉप और प्रमुख सेवा है, फिर भी अगर आरएएस बन चुके अफसरों की समस्याओं पर गौर किया जाए तो आप आश्चर्य करेंगे कि राजस्थान के टॉप अफसर भी अपने सरकारी आवास में आम जरूरत के सामान, प्रमोशन के ज्यादा मौके, सुरक्षा के लिए गन मैन और तनख्वाह बढ़ाने जैसी मांगें पूरी नहीं होने की शिकायत कर रहे हैं।
सुनने-देखने में यह अजीब लग सकता है, लेकिन यह सच है। आरएएस अफसरों ने मुख्य सचिव ऊषा शर्मा के माध्यम से अपनी पीड़ा सीएम गहलोत तक पहुंचाई है। इस पीड़ा का जल्द ही हल निकालने का आश्वासन मुख्य सचिव ऊषा शर्मा ने दे दिया है।
राजस्थान प्रशासनिक सेवा परिषद के अध्यक्ष गौरव बजाड़ (सचिव-सीएमओ) ने भास्कर को बताया कि सीएस शर्मा से हमने जो मांगे की हैं, वे सभी जायज हैं और लंबे अर्से से लंबित चल रही हैं। अब उन्होंने आश्वासन दिया है कि जल्द ही सभी विभागों की एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाकर इन्हें हल किया जाएगा। विभागों से मिलने वाली रिपोर्ट को हम लोग सीएम अशोक गहलोत तक लेकर जाएंगे।
आरएएस अफसरों के अनुसार उनके तबादले भी बहुत ज्यादा होते हैं, ऐसे में सरकारी आवासों पर बार-बार बहुत सारा सामान स्वयं का लेकर जाना पड़ता है। आरएएस अफसरों के सरकारी आवासों पर जरूरत का सामान तक उपलब्ध नहीं रहता है, जिससे उनका काम चल सके
राजस्थान प्रशासनिक सेवा (आरएएस) के वरिष्ठ अफसर पंकज ओझा ने भास्कर को बताया कि देश के अन्य राज्यों में राज्य प्रशासनिक सेवाओं से आईएएस के पदों पर प्रमोशन के मौके राजस्थान की तुलना में ज्यादा बेहतर हैं। इसके अलावा राजस्थान में ही ऐसी कई सेवाएं और पद हैं जिनका वेतन आरएएस से ज्यादा है। अफसरों के अनुसार कॉलेज के प्रोफेसर, विभिन्न विभागों के अतिरिक्त मुख्य इंजीनियर, चीफ इंजीनियर आदि कई पद हैं, जिनका वेतन आरएएस से ज्यादा है।
उपखंड मुख्यालयों पर तैनात आरएएस अफसरों को गन-मैन तक की सुविधा नहीं मिलती, जबकि वे कानून-व्यवस्था को सम्भालने वाले प्रमुख जिम्मेदार अफसरों में शामिल हैं। उत्तरप्रदेश, सिक्किम, ओडीशा, झारखंड, आंध्रप्रदेश, केरल, तैलंगाना सहित बहुत से राज्यों में राज्य प्रशासनिक सेवा में आने के बाद अफसर को 7 प्रमोशन मिलते हैं, जबकि राजस्थान में यह मौके सिर्फ पांच हैं।
राजस्थान में हायर सुपर टाइम स्केल में आरएएस का आखरी प्रमोशन (पांचवा) होता है। प्रमोशन के इन मौकों को बढ़ाकर 6 से 7 तक किया जाना चाहिए। आखरी प्रमोशन अपेक्स स्केल में होना चाहिए और उसका वेतन भी चीफ इंजीनियर-प्रोफेसर आदि से हर सूरत में ज्यादा ही होना चाहिए।
आईएएस में प्रमोट होने का सपना केवल 4-5 प्रतिशत अफसरों का ही पूरा हो पाता है राजस्थान में
अन्य राज्यों में प्रशासनिक सेवा (पीसीएस) को पास करके जब युवा अफसर बनते हैं, तो वे महज 9 से 14 साल की सेवा के बाद पदोन्नत होकर आईएएस बन जाते हैं। जबकि राजस्थान में ऐसा नहीं है। राजस्थान में प्रशासनिक सेवा के अफसर को आईएएस बनने का मौका करीब 25-27 वर्ष की सेवा के बाद मिलता है।
यह मौका भी सभी अफसरों को नहीं मिल पाता है। आम तौर पर एक युवा 24 से 35 साल की आयु के बीच आरएएस अफसर बनता है। उसके बाद उसे 25-26 साल बाद जब आईएएस बनने का मौका मिलता भी है, तो उसकी उम्र 50 से 60 के बीच होती है। केन्द्र सरकार के नियमानुसार आईएएस में पदोन्नत होते वक्त संबंधित अफसर की आयु 54 वर्ष से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। ऐसे में मौका मिलने पर भी वे आरएएस अफसर तो आईएएस बन ही नहीं पाते जो इस आयु सीमा को पार कर जाते हैं। आरएएस काडर के 95 प्रतिशत अफसर बिना आईएएस बने ही सेवानिवृत्त हो जाते हैं।
आरएएस के प्रमोशन ही समय पर नहीं हो रहे
राजस्थान में करीब 100 से अधिक पद तो आरएएस की भीतरी हायरिकी (पदानुक्रम) में ही खाली चल रहे हैं। जैसे सुपर टाइम स्केल से हायर सुपर टाइम स्केल में और जूनियर स्केल से सुपर टाइम स्केल में आने के लिए कई अफसर इंतजार कर रहे हैं, लेकिन प्रमोशन समय पर नहीं हो रहे।
निलंबन अवधि को कम किया जाए
आरएएस अफसरों की लंबे अर्से से यह मांग चली आ रही है कि किन्हीं कारणों के चलते जब किसी अफसर को निलंबित किया जाए तो उसे वापस बहाल जल्द किया जाए। पहले रिव्यु की लिमिट 90 दिन से घटाकर 60 दिन की जाए और दूसरे रिव्यु की लिमिट 180 दिनों से कम कर के 120 दिनों तक सीमित की जाए। इससे अफसरों के मनोबल पर पॉजिटिव असर पड़ेगा और अनावश्यक वाद, केस के मामलों में भी कमी हो सकेगी।सीएम गहलोत से है ज्यादा उम्मीदें
आरएएस अफसरों के काडर को सीएम गहलोत से ज्यादा उम्मीदें हैं, क्योंकि इस काडर की ज्यादातर समस्याओं को अब तक बतौर मुख्यमंत्री गहलोत ने ही हल किया है। वर्ष 2012 से पहले तक आरएएस काडर में प्रमोशन के केवल चार मौके ही होते थे। पांचवा प्रमोशन का मौका अबॉव सुपर टाइम स्केल (हायर) 2012 में गहलोत ने ही सीएम रहने के दौरान मंजूर किया था। अब राजस्थान में पांच मौके हैं, लेकिन अन्य राज्यों से यह अब भी कम हैं। ऐसे में अफसरों को उम्मीद है कि गहलोत इस बार भी कोई माइल स्टोन फैसला करेंगे।
गहलोत ने ही आरएएस अफसरों को जिलों में कलक्टर लगाया था और आरएएस अफसरों के क्लब को बनवाने में भी उनकी खास भूमिका रही। आरएएस एसोसिएशन के अध्यक्ष गौरव बजाड़ चूंकि सीएमओ में ही तैनात है। ऐसे में आरएएस अफसरों को विश्वास है कि गहलोत के समक्ष उनकी पैरवी ज्यादा बेहतर हो सकेगी।