राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा 3 दिसंबर को राजस्थान में आ रही है, लेकिन इससे पहले ही कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के बेटे और गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के अध्यक्ष विजय बैंसला ने यात्रा का विरोध करने की चेतावनी दी है।
उनका कहना है कि सरकार ने 2019 में गुर्जर समाज के साथ जो समझौता किया था, उसको अगले 20 दिन में पूरी तरह से लागू नहीं किया तो वे राहुल गांधी की यात्रा को राजस्थान में घुसने नहीं देंगे। उनकी धमकी के बाद कांग्रेस की राजनीति में बवाल मचा हुआ है।
राजस्थान में CM की कुर्सी को लेकर चल रही खींचतान के बीच उनकी धमकी के अलग--अलग मायने निकाले जा रहे हैं। सचिन पायलट समर्थक और विप्र बोर्ड के अध्यक्ष महेश शर्मा हाल ही कांग्रेस अध्यक्ष से मिले।
उन्होंने विजय बैंसला और RTDC के चेयरमैन धर्मेंद्र राठौड़ का एक फोटो उन्हें देते हुए आरोप लगाया है कि बैंसला राहुल की यात्रा का विरोध पायलट को डैमेज करने के लिए कर रहे हैं। इसमें गहलोत खेमे के धर्मेंद्र राठौड़ का हाथ है
विजय बैंसला ने कहा कि- मैं अपने समाज के युवाओं के भविष्य के लिए लड़ रहा हूं। सरकार से हुए 2019 के समझौते के मुताबिक गुर्जर समाज के लोगों के पुलिस केस खत्म करने, नौकरियों में बैकलॉग पूरा करने, रीट के 233 पदों सहित प्रक्रियाधीन भर्तियों में हक दिलवाने और देवनारायण योजना की पेडिंग स्कॉलरशिप दिलवाने जैसी मांग के लिए लड़ रहा हूं। इसलिए राठौड़ से लेकर CM समेत कई नेताओं और अफसरों से मिला हूं।
बातचीत में उन्होंने दोहरा भी दिया कि समझौते को लागू करवाने के लिए वे राहुल गांधी की यात्रा के विरोध की चेतावनी पर कायम हैं, राहुल को राजस्थान में घुसने नहीं देंगे।
राहुल गांधी की यात्रा का रूट ज्यादातर उन इलाकों से हैं जो गुर्जर बाहुल्य है और माना जाता है कि वहां सचिन पायलट का प्रभाव है। कांग्रेस का एक धड़ा इस रूट को बदलवाने की भी कोशिश कर रहा है। क्या आप गहलोत-पायलट में चल रही कुर्सी की लड़ाई में किसी एक गुट के समर्थन की कोशिश कर रहे हैं?
जवाब: पहली बात तो मैं फिर से कह रहा हूं कि रूट बदले ही क्यों? काम क्यों नहीं हो जाते। गुर्जर समाज की किसी की बपौती नहीं है। न मेरी, न किसी और की। यह पूरा का पूरा बेल्ट जो है, वो एमबीसी बेल्ट है। पायलट मेरे अच्छे मित्र हैं। छोटे भाई हैं।
मैं यह पूछ रहा हूं कि सचिन पायलट तो डिप्टी चीफ मिनिस्टर रहे। सरकार के MLA हैं, वे टोंक से भी हैं तो यह समझौता तो पायलट को भी पता होगा। 2019 में जब यह समझौता हुआ था तब पायलट भी थे सरकार में। तो फिर पायलट लागू क्यों नहीं करवा रहे। पायलट की रिस्पांसिबिलिटी गुर्जर समाज के लिए नहीं बनती क्या? वे भी आठों गुर्जर विधायकों में से एक है न।
जितनी रिस्पांसिबिलिटी शकुंतला रावत की बनती है, जितनी इंद्राज गुर्जर की बनती है, जीआर खटाणा, अशोक चांदना, राजेंद्र विधुड़ी की है, उतनी रिस्पांसिबिलिटी सचिन पायलट की भी है। ये सारे गुर्जर विधायक अपने आपको गुर्जर कहलाने में डरते क्यों हैं?
एक राजेश पायलट जी थे, एक कर्नल बैंसला जी थे, दोनों अब नहीं रहे दुनिया में, लेकिन हमको उनसे एक चीज सीखनी चाहिए कि आप जिस जाति से हो तो छाती तान कर खड़े हो।
गुर्जर हैं इसीलिए तो ये सब गुर्जर बहुल क्षेत्र से लड़ते हैं, नहीं तो गंगानगर से लड़ें, हनुमानगढ़ टाउन से लड़ें, लेकिन लड़ेंगे सब के सब वहीं से तो फिर गुर्जर कहलाने में किस बात की शर्म?
युवा सबके चहेते होते हैं। यह युवाओं की ही तो बात हो रही है। मैं तो यह कहता हूं कि वे गुर्जर कहलाने में डरते क्यों हैं?
मैं तो यह कह रहा हूं हमारा काम कर दो। गहलोत करे तो बढ़िया, सचिन करे तो बहुत बढ़िया। खड़गे साहब कर दे तो बहुत बढ़िया, राहुल गांधी कर दें तो भी बढ़िया। शकुंतला रावत कर दें तो भी बढ़िया। ये सारे के सारे एक थाली में बैंगन हैं। कभी इधर लुढ़कते हैं कभी उधर।
लेकिन हमारा काम कोई नहीं कर रहा।…और यह समझौता लिखित में है। तो मैं तो यह कहूंगा कि राजेश पायलट और कर्नल बैंसला से यह सीख लेनी चाहिए सारे नेताओं को कि अगर आप एक समाज के हो तो आप उस समाज के कहलाने में शर्मिंदगी महसूस मत करो। गर्व से कहो कि हम गुर्जर हैं। डंके की चोट पर कहो कि हम गुर्जर हैं।
सवाल: धर्मेंद्र राठौड़ से मुलाकात के फोटो को लेकर विप्र बोर्ड के अध्यक्ष महेश शर्मा ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से शिकायत की है। आपने धर्मेंद्र राठौड़ की मुलाकात के बाद राहुल गांधी की यात्रा का विरोध करने की चेतावनी दी, ताकि सचिन पायलट को डेमेज किया जाए। आप क्या कहेंगे?
जवाब: सचिन पायलट गुर्जर हैं। तो मैं क्यों पायलट को डैमेज करूंगा। डैमेज तो समाज हो रहा है क्योंकि गुर्जर नेता अपने आपको गुर्जर कह ही नहीं रहे। हमारा जो समझौता है उसकी अक्षरश: पालना कर दो। महेश शर्मा को तो मैं जानता नहीं।
मुझे उनसे कोई लेना-देना नहीं। आप पूछ रहे हैं तो मैं बता देता हूं। वो 3 नवंबर की फोटो है। 233 अभ्यर्थियों की नौकरी की बात करने गया था, क्योंकि 7 तारीख की डेट थी कोर्ट की। उस दिन मैं CMO के कई अफसरों से मिला था।
महेश शर्मा अगर मर्द होते तो वे खड़गे से कहते कि कांग्रेस सरकार ने 2019 में गुर्जर समाज से समझौता किया था, उसको लागू करवाओ। मैं उनको मानता, मैं तो उनके घर पर जाकर माला पहनाता। यह चुगली--चुगली क्या कर रहे हो, जो काम करने हैं वो करो।
अपने राजनीतिक उद्देश्यों के लिए गुर्जर समाज को इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। चाहे वो महेश शर्मा हों चाहे कोई और हों। हमारे लिए हमारे बच्चों की हमारे युवाओं की जिदंगी और उनका भविष्य इंपॉर्टेंट है। इनकी राजनीति से कुछ नहीं लेना-देना।
जिसको CM बनाओ बहुत अच्छी बात, जिसको नहीं बनाओ बहुत अच्छी बात। सरकार गिरे बढ़िया, नहीं गिरे और बढ़िया। हमें हमारे समझौते को लागू करवाने से मतलब है।
सवाल: आप CM से मांग करते, आप धरना देते, आपने राहुल गांधी की यात्रा को ही क्यों चुना विरोध के लिए?
जवाब: हमने CM अशोक गहलोत से बात कर ली, कोशिश कर ली उनको हमारी बात सुनाने की। उनको समझ में नहीं आ रही हमारी बात। इसलिए अब हम कांग्रेस के सबसे बड़े नेता के सामने बात रखेंगे। कांग्रेस के सबसे बड़े नेता राहुल गांधी ही तो हैं। सरकार यह सोचे कि अभी यात्रा में 20 दिन बचे हैं, कैसे हमारे केसेस का निस्तारण हो सकता है।
अगर हमारा काम नहीं होगा तो हम राहुल गांधी को राजस्थान में घुसने नहीं देंगे। यह बात मैं अकेला नहीं कह रहा, सारे बगड़ावत (गुर्जर) कह रहे हैं। हम मार्शल कौम हैं। सम्मान लेना और सम्मान देना हमारे लिए बहुत इंपॉर्टेंट है। आपने हमारे साथ एक एग्रीमेंट किया, हमने सम्मान के साथ वो एग्रीमेंट माना।
यह एग्रीमेंट कर्नल बैंसला साहब का आखिरी एग्रीमेंट है, हमारे लिए यह और भी इंपॉर्टेंट बात बन जाती है। हमें और भी एक डर है। 2019 का जो समझौता हुआ था उसका नंबर वन पाइंट 5 प्रतिशत आरक्षण का था। अगर आप समझौते के सारे पाइंट लागू नहीं कर रहे हो तो हमें तो यह भी डर है कि हो सकता है आप हमारा 5 प्रतिशत आरक्षण भी बंद कर दो।
अगर मुख्यमंत्री अपने मंत्रियों के साइन से हुए समझौते को लागू नहीं करे तो हम तो उनसे ऊपर वाले नेता से ही बात करेंगे ना। हम थक चुके हैं। हमें हमारा हक दे दो, बाकी आपको जो राजनीति करनी है करो। हमारा पूरा समाज धोखा महसूस कर रहा है। सरकार से और उन 75 विधायकों से जो गुर्जर इलाकों में वोट लेकर चुनाव जीते हैं।
अगर आपने गुर्जरों के वोट लिए हैं और आप जीते हो तो आपकी मॉरल रिस्पांसिबिलिटी बनती है उन लोगों के लिए खड़े होने की। अगर आप खड़े नहीं होंगे तो मैं डंके की चोट पर कह रहा हूं अगले इलेक्शन में आकर देख लेना एक-एक को हरा कर छोड़ेंगे।
बैंसला बोले- गहलोत तो मैनेजर, अब मालिक से बात
राहुल की यात्रा का विरोध क्यों कर रहे हैं? इस पर विजय बैंसला ने यह कहानी सुनाई…
होटल में जब आप जाओगे तो वेटर को ऑर्डर दोगे कि भैया मुझे चार रोटी और एक दाल फ्राई दे दे। आप उसको ऑर्डर दोगे, वो आपका बताया हुआ ऑर्डर लिखेगा। इसके बाद वो आपको चार रोटी दे दे और दाल फ्राई न दे। या एक ही रोटी दे और तीन रोटी और दाल फ्राई छोड़ दे। तो आप उससे बोलोगे। झगड़ा करोगे।
वो नहीं मानेगा तो बोलोगे सुपरवाइजर को बुला। वो नहीं मानेगा तो बोलोगे कि मैनेजर को बुला। मैनेजर भी नहीं मानेगा तो बोलोगे कि मालिक को बुला।
तो हमने तो मैनेजर अशोक गहलोत जी से बात कर ली। कोशिश कर ली सुनाने की।
उनको समझ में नहीं आ रही हमारी बात। तो हम अब मालिक से बात करेंगे। कांग्रेस का मालिक कौन? राहुल गांधी ही है ना। इसलिए हम राहुल गांधी से पूछना चाहते हैं कि हमारे समझौते को कांग्रेस सरकार लागू क्यों नहीं कर रही? हमारी बात एकदम साफ है-सरकार 2019 और 2020 के समझौते को पूरा कर दे।
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