कानपुर विश्वविद्यालय के कुलपति विनय पाठक के मामले में आज यानी 18 नवंबर को बेहद अहम दिन हैं। मंगलवार को हाईकोर्ट में याचिका खारिज होने के बाद STF ने उन्हें शुक्रवार तक पेश होकर बयान दर्ज कराने का समय दिया हैं।
अब अगर विनय पाठक खुद से सामने नही आते हैं तो STF उनकी गिरफ्तारी के लिए जाल बिछा सकती हैं।इस बीच एक दिन पहले विनय पाठक के नाम से STF को भेजे गए मेल के IP एड्रेस के जरिए उनकी लोकेशन ट्रेस की जा रही हैं। कुल मिलाकर आज का दिन इस पूरे मामले की जांच और आगे के कोर्स ऑफ एक्शन को निर्धारित करेगी।
IP एड्रेस से लोकेशन खोज रही STF
बयान दर्ज कराने के लिए STF द्वारा भेजी गई नोटिस का जवाब विनय पाठक की तरफ से एक मेल के जरिए आया। मेल में कहा गया था कि फिलहाल उनकी तबियत ठीक नही हैं। उन्हें 25 नवंबर तक पेश होकर बयान देने की मोहलत दी जाएं।
इसके जवाब में STF ने उनसे किस अस्पताल में इलाज चल रहा हैं और उनकी देखभाल कौन कर रहा हैं जैसे कई सवाल भी मेल के जरिए भी पूछे। अब इन सवालों का जवाब पाठक की तरफ से दिया गया हैं या नही फिलहाल इसकी कोई ठोस जानकारी नही मिल पा रही हैं पर इतना जरूर हैं कि IP एड्रेस के जरिए मेल भेजने की एग्जैक्ट लोकेशन का पता लगाया जा रहा हैं। यह भी हो सकता हैं कि मेल किसी अन्य से करवाई गई हो पर IP एड्रेस के जरिए STF कुलपति के मददगार या पनाहगार तक पहुंचने की फिराक में हैं।
जांच फेस करने से पहले अब 2 ही ऑप्शन
लीगल एक्सपर्ट्स की माने तो कुलपति विनय पाठक के पास गिरफ्तारी से बचने के लिए अब सिर्फ 2 ही रास्ते हैं। पहला यह तो हाईकोर्ट के डिसीजन को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज कर वहां से FIR रद कराई जाए या फिर निचली अदालत यानी सेशन कोर्ट से एंटीसिपेटरी बेल लेकर आए।
फिलहाल दोनों ही मामलों में अभी कुछ समय लगता दिख रहा हैं। यही कारण है कि पाठक ने 25 अक्टूबर तक की मोहलत मांगी हैं। पर इस बीच कुलपति की तरफ से खुद को बचाने की पुरजोर कोशिश भी जारी हैं।
लखनऊ के इंदिरा नगर थाने में FIR दर्ज होने के बाद से कुलपति विनय पाठक का कोई आता पता नही हैं। कुछ लोग उनकी लोकेशन यूपी से बाहर तो कुछ राज्य में ही होने की बात कह रहे हैं। हालांकि STF 18 नवंबर तक उन्हें पहले ही खुद से पेश होने का मौका दे चुकी हैं पर कुलपति की सटीक लोकेशन तक पहुंचने का प्रयास STF भी लगातार कर रही।
कानपुर विश्वविद्यालय में असमंजस की स्थिति
इस बीच कानपुर विश्वविद्यालय में असमंजस जैसी स्थिति होने की बात सामने आ रही हैं। यहां कुलपति के न होने से विश्वविद्यालय परिसर में अजीब सा माहौल नजर आ रहा हैं। इस बीच STF की लगातार कैंपस परिसर में निगरानी हैं। इसको लेकर भी गहमागहमी का माहौल हैं।
इस बीच प्रशासनिक कामकाज से लेकर एकेडेमिक रुटीन पर भी इस मामले का सीधा असर पड़ता दिख रहा हैं। बहरहाल यहां के हालात अभी कुछ दिन और ऐसी ही बने रहने की उम्मीद हैं।
गहनता से पड़ताल में जुटी STF
कुलपति विनय पाठक पर FIR दर्ज होते ही आगरा से लेकर कानपुर और लखनऊ के विश्वविद्यालयों में उनके कार्यकाल के दौरान किए गए कामों पर STF की नजर हैं। विनय पाठक भले ही खुद सामने आकर अभी तक कुछ न बोले हो STF अपनी जांच लगातार तेजी से जारी रखें हैं। कहां यह भी जा रहा हैं कि जांच एजेंसी के पास अब तक उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत मिल चुके हैं। यही कारण हैं कि अबकी बार इस मामले से उनका साफ बचकर बेहद मुश्किल नजर आ रहा हैं।
यह था पूरा मामला -
लखनऊ के इंदिरा नगर थाने में एफआईआर दर्ज करवाने वाले डिजिटेक्स टेक्नोलॉजीज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के एमडी डेविड एम. डेनिस ने आरोप लगाया कि उनकी कंपनी 2014 से एग्रीमेंट के तहत आगरा विश्वविद्यालय में प्री और पोस्ट एग्जाम का काम करती रही।विश्वविद्यालय के एग्जाम पेपर छापना, कॉपी को एग्जाम सेंटर से यूनिवर्सिटी तक पहुंचाने का पूरा काम इसी कंपनी के द्वारा किया जाता रहा है।
साल 2019 में एग्रीमेंट खत्म हुआ तो डिजिटेक्स टेक्नोलॉजीज ने यूपीएलसी के जरिए आगरा विश्वविद्यालय का काम किया। इस बीच साल 2020 से 21 और 21- 22 में कंपनी के द्वारा किए गए काम का करोड़ों रुपया बिल बकाया हो गया था। तभी जनवरी 2022 में अंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा के कुलपति का चार्ज विनय पाठक को मिला तो उन्होंने बिल पास करने के एवज में कमीशन की मांग की।
एफआईआर दर्ज कराने वाले डेविड डेनिस ने फरवरी 2022 में कानपुर स्थित विनय पाठक के सरकारी आवास पर मुलाकात की और जहां पर 15 फीसदी कमीशन की डिमांड रखी गई।
कंपनी के मालिक ने 15 फीसदी कमीशन देने से मना किया तो आरोप है कि विनय पाठक ने धमकाया कि 8 विश्वविद्यालय के कुलपति मेरे बनाए हैं अगर कमीशन नहीं दिया तो किसी भी विश्वविद्यालय में काम नहीं कर पाओगे।
आईफोन के फेस टाइम एप का जिक्र
पुलिस को दी गई तहरीर में वादी डेविड एम. डेनिस ने लिखा हैं कि बिल पास करने के बदले कमीशन की रकम पहुंचाने के लिए कुलपति विनय पाठक ने अपने आईफोन से फेसटाइम में एप के जरिए लखनऊ के अजय मिश्रा से वीडियो कॉल पर बात करवाई और अजय मिश्रा का नंबर दिया। कानपुर विश्वविद्यालय कुलपति आवास पर हुई इस मुलाकात में डेनिश को यह भी कहां गया कि बात होने के कॉल डिलीट भी कर दें और बिल पास होते ही कमीशन की रकम अजय मिश्रा तक पहुंचा दें।
आरोप है कि पहले बिल को पास करने की एवज में डेविड 30 लाख रुपये लेकर पहुंचा कमीशन के 3 लाख रुपये कम थे तो अजय मिश्रा ने उसे अपने घर में बंधक बना लिया और धमकी दी कि कमीशन की रकम नहीं मिली तो जाने नहीं देंगे। काफी मिन्नत करने के बाद उसे छोड़ा गया और अगले ही दिन डेविड ने बकाया के 3 लाख रुपये भी अजय मिश्रा को पहुंचा दिए थे।
1 करोड़ 40 लाख की हुई वसूली
दूसरे बिल के 73 लाख रुपये का कमीशन कैश में देने पर डेविड ने असमर्थता जताई तो अजय मिश्रा ने राजस्थान के अलवर की इंटरनेशनल बिजनेस फॉर्म्स कंपनी के अलवर स्थित PNB के खाते में कमीशन के 63 लाख रुपये ट्रांसफर किए गए और 10 लाख रुपये कैश लिए गए। विनय पाठक ने तीसरा बिल 1 सितंबर 2022 को 2 करोड़ 79 लाख का पास किया और जिसके एवज में 35 लाख 55 हजार रुपये का कमीशन बना। इस दौरान कुल 1 करोड़ 40 लाख रुपये का कमीशन वसूला गया।
कानपुर के छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय के कुलपति विनय पाठक को जनवरी 2022 में आगरा के डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय के कुलपति का अतिरिक्त प्रभार दिया गया था जो सितंबर महीने तक रहा। यह पूरा मामला इसी 9 महीने में अतिरिक्त कुलपति का चार्ज रहने के दौरान का बताया जा रहा हैं। इस बीच 1 अक्टूबर को प्रोफेसर आशु रानी को आगरा के अम्बेडकर यूनिवर्सिटी का कुलपति बनाया गया था।
लखनऊ के भाषा विश्वविद्यालय से लेकर लखनऊ विश्वविद्यालय तक दूसरे नामजद आरोपी अमित मिश्रा की कंपनी के ठेके होने से इन पर भी जांच एजेंसी की नजर हैं। इस सभी विश्वविद्यालयों में कुलपति विनय पाठक के सीधा दखल होने की खबरें भी आती रही हैं। यह बात और हैं कि अब तक किसी भी मामले में उनकी ऐसी किरकिरी नही हुई थी।