लंदन: इस साल, यूनाइटेड किंगडम ने लीसेस्टर में अगस्त और सितंबर के दौरान एक अभूतपूर्व घटना देखी. इसमें हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच हिंसा हुई. जिसमें सामूहिक लामबंदी, बर्बरता और शारीरिक हमले शामिल थे. साल 2011 की जनगणना के अनुसार लीसेस्टर में 13 फीसदी मुस्लिम, 12.3 फीसदी हिंदू, 22.3 फीसदी भारतीय मूल के और 1.9 फीसदी पाकिस्तानी मूल के लोग रहते हैं. साल 2017 तक यूके में कुल मिलाकर, मुस्लिम आबादी 5 फीसदी थी और हिंदू आबादी 1.5 फीसदी थी.
यहां समय के साथ ब्रिटिश हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच अशांति बढ़ रही है. नवीनतम घटना तब घटी थी जब 28 अगस्त को भारत और पाकिस्तान के बीच एक क्रिकेट मैच था. इस मैच के बाद क्रिकेट प्रशंसकों के बीच हिंसक झड़पें हुईं. हालांकि इस तरह के संघर्ष नए नहीं हैं, अशांति की वृद्धि और व्यापक प्रकृति ने अधिकारियों को भी हिला दिया.
हालांकि, हिंसा को करीब से देखने पर पता चलता है कि हंगामा केवल सड़कों तक ही सीमित नहीं था, बल्कि साइबर स्पेस में भी लड़ा गया था. जिसमें अफवाहों और दुष्प्रचारों, हिंसा और भावनाओं के प्रमुख मिश्रणों का जोड़ था. नेटवर्क कॉन्टैगियन रिसर्च इंस्टीट्यूट एनसीआरआई की एक रिपोर्ट से पता चलता है कि दुर्भावनापूर्ण और मनघड़ंत बातें, फेक सूचना, इस्लामोफोबिक और हिंदूफोबिक मैसेज की भूमिका इस हिंसा में थी. इस तरह की ऑनलाइन गतिविधियां वास्तविक दुनिया की हिंसा, बर्बरता और धमकी में फैल गई.
सोशल मीडिया से फैली हिंसा
एनसीआरआई ने हिंसा का आकलन करने के लिए, 27 अगस्त भारत बनाम पाकिस्तान क्रिकेट मैच से एक दिन पहले, जहां भारत जीता और 19 सितंबर के बीच की समय अवधि के लिए ट्विटर, यूट्यूब, टिकटॉक और इंस्टाग्राम से डेटा एकत्र किया है. इसने ओपन सोर्स इंटेलिजेंस कलेक्शन OSINT टाइम सीरीज़ एनालिसिस, नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग, नेटवर्क एनालिसिस और सेंटीमेंट एनालिसिस को प्रमुख घटनाओं, सूचना संचालन, दुर्भावनापूर्ण सूचनाओं और प्रभाव नेटवर्क की पहचान करने के लिए किया.
एनसीआरआई ने कहा कि निष्कर्षों ने सुझाव दिया कि लीसेस्टर में निरंतर हिंसा जैविक आक्रोश के माध्यम से जारी नहीं रही. इसमें बताया गया कि यह हिंसा कैसे संगठित हुई और भड़की. इसका मुख्य कारण दुर्भावनापूर्ण फेक सूचनाओं को फैलाने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को हथियार के रूप में उपयोग करना है. एनसीआरआई ने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से उत्पन्न हिंसा नियमित रूप से अंतर-समूह संघर्ष एक एपिसोडिक घटना तक पहुंच रही है, जो अब दुनिया भर में कमजोर समुदायों के लिए खतरा है.