राजस्थान में नेता भले ही आईएएस अफसरों के मनमानी करने की बातें कर रहे हैं, लेकिन अगर एक वरिष्ठ आईएएस अफसर सुधांश पंत के तबादले-पोस्टिंग को देखा जाए तो सूबे की ब्यूरोक्रेसी की तस्वीर कुछ और ही नजर आएगी। पंत को राजस्थान काडर ही नहीं बल्कि देश भर के ब्रिलियंट अफसरों में गिना जाता है। लेकिन उनकी पोस्टिंग को लेकर जो पिछले डेढ़ साल में उनके साथ राजस्थान में बीता है वो शायद ही किसी और आईएएस अफसर के साथ हुआ हो।
डेढ़ साल पहले पंत दिल्ली में केन्द्रीय मंत्रालय स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय में तैनात थे। उन्हें राजस्थान बुलाया गया। वे आए तो उन्हें जलदाय विभाग का अतिरिक्त मुख्य सचिव बनाया गया। उसके बाद से अब तक उनके चार बार तबादले किए गए। करीब 9 महीने पहले उन्होंने वापस दिल्ली जाने के लिए आवेदन किया। उनका वहां पैनलमेन्ट भी हो गया था, लेकिन राज्य सरकार ने उन्हें दिल्ली जाने की इजाजत ही नहीं दी। अब उन्हें दिल्ली जाने की इजाजत मिली है और वहां केन्द्रीय कार्मिक व प्रशिक्षण मंत्रालय (डीओपीटी) ने उन्हें जलमार्ग व जहाजरानी मंत्रालय में सचिव (सैक्रेटरी-ओएसडी) के पद पर लगाया है। उनकी नई नियुक्ति का आदेश जारी हो गया है। वे एक दिसंबर को दिल्ली में ज्वॉइन करेंगे। फिलहाल वे 30 नवंबर तक जयपुर ही रहेंगे।
मंत्री जोशी से नहीं बनी
पंत जनवरी 2021 में जब जलदाय विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव थे, तब विभाग के मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला थे। बाद में नवंबर-2021 में विभाग के मंत्री डॉ. महेश जोशी बने। डॉ. जोशी से उनका विभिन्न योजनाओं में विभाग की परफोर्मेन्स, टेंडर और इंजीनियरों से जुड़े मुद्दों को लेकर विवाद होता रहा और आखिर अप्रेल-2022 (महज चार-पांच महीने बाद ही) जलदाय विभाग से ट्रांसफर कर दिया गया।
खान मंत्री भाया से भी हुआ टकराव
प्रदूषण मंडल का चैयरमेन रहते हुए पंत ने खनन कार्य से जुड़ी फाइल्स को मंडल के नियमों के अनुसार नामंजूर कर दिया। ऐसे में खान राज्य मंत्री प्रमोद जैन भाया ने बात सीएम गहलोत तक पहुंचाई। उसके बाद उन्हें महज दो महीने में ही वहां से हटा दिया गया।
यूं रही पंत की पोस्टिंग का सफर
-जनवरी 2021 में वे दिल्ली से जयपुर आए
-जनवरी 2021 से अप्रेल 2022 तक वे जलदाय विभाग में अतिरिक्त मुख्य सचिव रहे
-अप्रेल 2022 में उन्हें राज्य प्रदूषण मंडल के चैयरमेन पद पर लगाया गया
-वे प्रदूषण मंडल में दो महीने रहे और जुलाई 2022 में उनका फिर तबादला हुआ
-जुलाई 2022 में उन्हें एचसीएम ओटीएस में महानिदेशक के पद पर लगाया गया
-अंतत: अब उन्हें फिर से दिल्ली जाना पड़ा।
मुख्य सचिव बनने की सीनियरटी होने के बावजूद पंत अब नहीं लौटेंगे जयपुर
1992 बैच के आईएएस अफसर पंत इस वक्त राजस्थान काडर में 11 वें नम्बर की सीनियरटी पर हैं। वे राजधानी जयपुर सहित चार जिलों के कलक्टर, जेडीसी, संभागीय आयुक्त सहित लगभग सभी विभागों में प्राइम पोस्टिंग पर रह चुके हैं। उन्हें पूर्व सीएम भैंरों सिंह शेखावत व वसुंधरा राजे सहित सीएम गहलोत के पसंदीदा अफसरों में से गिना जाता था, लेकिन इस बार उनका अनुभव बहुत खराब रहा। अगले दो वर्ष में मुख्य सचिव ऊषा शर्मा सहित छह अतिरिक्त मुख्य सचिव नीलकमल दरबारी, वीनू गुप्ता, रोहित कुमार सिंह, पवन कुमार जैन, राजेश्वर सिहं, सात सीनियर अफसर वे फरवरी 2027 में रिटायर होंगे। ऐसे में पंत शीर्ष चार-पांच आईएएस अफसरों में शामिल होंगे। उनके पास 2023 से 2027 के बीच मुख्य सचिव जैसी टाॅप पोस्ट पर पहुंचने के पर्याप्त अवसर रहेंगे। फिलहाल उनका पैनलमेन्ट केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति में तीन साल के लिए हुआ है। ऐसे में सूत्रों का कहना है कि पंत अब जयपुर कभी नहीं लौटना चाहेंगे।
कोरोना में केन्द्र ने खुद मांगी थी पंत की सेवाएं
कोरोना काल में केन्द्र सरकार को ज्यादा आईएएस अफसरों की जरूरत थी। ऐसे में केन्द्र सरकार ने अपनी तरफ से सभी राज्यों को कुछ चुनिंदा अफसरों की सूची भेजी। उनमें पंत भी शामिल थे। पंत को अस्थाई रूप से केन्द्र में भेजा गया। पंत ने तब स्वास्थ्य मंत्रालय में अच्छा काम कर दिखाया था।
सीएम गहलोत ने किया सपोर्ट
सीएम गहलोत ने हाल ही मंत्री प्रताप सिंह खाचरिवास और विधायक दिव्या मदेरणा द्वारा आईएएस अफसरों द्वारा मनमानी करने के आरोपों का यह कह कर जवाब दिया कि कोई अफसर मनमानी नहीं करता है। उनकी जिम्मेदारी होती है। गलत काम करने पर उन्हें बदला जा सकता है। सीएम के इस बयान को राज्य ब्यूरोक्रेसी में अफसरों का सपोर्ट करने वाला माना जा रहा है। पंत के मामले में भी सीएम गहलोत ने राजनीतिक सीमाएं होने के बावजूद उन्हें सपोर्ट किया। हालांकि गहलोत ने अपने मंत्रियों-विधायकों की शिकायतों को प्राथमिकता भी दी है।
आईएएस काडर में तबादले-पोस्टिंग को लेकर लगातार अस्थिरता
1. एक ही जिले में ढाई वर्ष में चार बार बदले कलक्टर
श्रीगंगानगर जिले में जून-2020 से अब तक करीब ढाई वर्ष में चार बार कलक्टर बदल दिए गए हैं। महावीर प्रसाद वर्मा, जाकिर हुसैन, रुक्मणी रियार और अब सौरभ स्वामी को कलक्टर लगाया गया है।
2. खाचरियावास से विवाद वाले पेडनेकर लगातार इधर से उधर
वरिष्ठ आईएएस अफसर आशुतोष पेडनेकर का हाल ही खाद्य मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के साथ विवाद हुआ। उनका इसी एक नवंबर को तबादला हुआ। उनके पिछले 22 महीनों में पांच बार तबादले हो चुके हैं। अब उन्हें राजस्थान डिस्कॉम में सीएमडी के पद पर लगाया गया है।
3. सीएमओ में रह चुके अजिताभ भी अस्थिर
दिसम्बर 2018 में जब सीएम बन कर गहलोत ने सचिवालय संभाला तो उन्होंने अजिताभ शर्मा को अपने प्रथम तीन सचिवों में शामिल किया। शर्मा तब से फरवरी 2020 तक सीएमओ में मुख्यमंत्री के सचिव रहे। लेकिन फरवरी 2020 से अब तक उनके पांच बार तबादले हो गए हैं। वे फिलहाल जेसीटीएल के चैयरमेन पद पर हैं।
4. युवा आईएएस को मिला टफ एक्सपिरियंस
2018 बैच के युवा अफसर कनिष्क कटारिया मई 2020 में राजस्थान काडर में चयनित हुए। महज ढाई वर्ष में उनका छह बार तबादला हो चुका है। वर्तमान में वे एसडीएम रामगंजमंडी (कोटा) के पद पर हैं। इससे पहले वे माउंट आबू में एसडीएम थे और उससे पहले रामगंज मंडी में ही एसडीएम थे।
5. पांच बार लगातार तबादलों के बाद विवादों की खान में पहुंचे नायक
आईएएस संदेश नायक भी इसी तरह से लगातार इधर से उधर किए जाते रहे हैं। उन्हें जुलाई 2020 से अब तक पांच बार तबादले झेलने पड़े हैं। वे फिलहाल निदेशक खान विभाग के पद पर लगाया गया है। खान विभाग में आईएएस अफसरों का लगातार बदलाव होता रहा है। यहां पिछले दो साल में चार बार अफसर बदले गए हैं।
6. प्रदीप के साथ-साथ चलते हैं विवाद
प्रदीप गवांडे को हाल ही बीकानेर में उप निवेशन विभाग में आयुक्त लगाया गया है। वे विभिन्न कारणों से अक्सर चर्चा में बने रहते हैं। उनका फरवरी 2020 से अब तक लगभग आठ बार तबादला हो चुका है।