सरदार शहर उप चुनावों को लेकर भाजपा ने अपना टिकट पहले घोषित करके कांग्रेस की तुलना में अपनी तैयारी जल्दी शुरू कर दी है। हालांकि राजस्थान में पिछले चार सालों में हुए उप चुनावों में कांग्रेस का पलड़ा भारी रहा है, लेकिन हर चुनाव के अपने अलग समीकरण होते हैं। इधर उप चुनाव को लेकर पहले भाजपा के प्रभारी महामंत्री अरुण सिंह और प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया ने यह कह कर अजीब स्थिति पैदा कर दी थी कि उप चुनाव में सहानुभूति की लहर रहती है। भाजपा मुख्य चुनाव जीतती है और उप चुनाव कांग्रेस ही जीतती है।
लेकिन विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया ने सरदार शहर में एक महत्वपूर्ण मीटिंग लेकर कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने की पुरजोर कोशिश की है। कटारिया ने इस उप चुनाव को जिताने की जिम्मेदारी प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया सहित चार बड़े नेताओं पर डाल दी है।
कटारिया ने तो मीटिंग में यहां तक कहा है कि केन्द्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, उप नेता प्रति पक्ष राजेन्द्र राठौड़, पूर्व सांसद राम सिंह कस्वां और सतीश पूनिया का चूरू से गहरा रिश्ता है। अगर यह चारों चाहें तो भाजपा को जीतने से कोई नहीं रोक सकता। भाजपा की जीत 100 प्रतिशत तय है। इस बीच मंगलवार को ही भाजपा ने सरदारशहर उप चुनाव में पूर्व विधायक अशोक पींचा को टिकट भी दे दिया है। पींचा 2008 से 2013 के बीच वहां से विधायक रहे हैं।
जानिए कटारिया ने क्यों डाली चारों नेताओं पर जिम्मेदारी
सतीश पूनिया : पार्टी अध्यक्ष होने के साथ स्थानीय भी
सतीश पूनिया भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष हैं। वे मूलत: चुरू के रहने वाले हैं। इस जिले और सरदारशहर में जाट समुदाय चूंकि सबसे बड़ा वोट बैंक है, तो पूनिया के संदेश का वहां पॉजिटिव असर रहेगा। हाल ही आमेर (जयपुर) में राष्ट्रीय प्रभारी अरूण सिंह ने पूनिया को राजस्थान का सबसे बड़ा नेता बताया था।
अर्जुनराम मेघवाल : राजनीति में आने से पहले चूरू में रह चुके कलेक्टर
केन्द्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल अभी सरदारशहर उप चुनाव के प्रभारी हैं। इस विधानसभा क्षेत्र में मेघवाल समुदाय के मतदाताओं की संख्या दूसरे-तीसरे नम्बर पर है। उनका निर्वाचन क्षेत्र बीकानेर यहां का पड़ोसी जिला व संसदीय क्षेत्र है। इसके अलावा वे जब राजनीति में आने से पहले 2008-09 में आईएएस थे तब वे चूरू में कलक्टर रहे हैं। वे अभी केन्द्र में मंत्री हैं और लगातार तीन बार से सांसद हैं। ऐसे में उनकी उपस्थिति सरदार शहर में भाजपा को लाभ दिलाएगी।
राजेंद्र राठौड़ : चूरू जिले से सातवीं बार विधायक, सियासी समीकरणों की समझ
विधानसभा में उप नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ चूरू जिले से लगातार सातवीं बार विधायक हैं। वे तीन बार राज्य सरकार में मंत्री भी रहे हैं। चूरू जिले के जातीय समीकरणों के विषय में उनकी गहरी समझ है। वे उप चुनाव के मुख्य रणनीतिकारों में से एक हैं। राजपूत समाज के वोट बैंक को वे भाजपा के पक्ष में आसानी से जुटा सकते हैं।
रामसिंह कस्वां : खुद तीन बार चूरू से सांसद, दो बार से उनके पुत्र सांसद
पूर्व सांसद राससिंह कस्वां चूरू से तीन बार सांसद रहे हैं। एक बार उनकी पत्नी राजगढ़ से विधायक रही हैं। अभी लगातार दो बार से 2014 और 2019 में उनके पुत्र राहुल कस्वां सांसद है। सरदार शहर में सबसे बड़ा वोट बैंक जाट समुदाय का है। कस्वा की इस समुदाय के वोट बैंक पर गहरी पकड़ है। 2009 के लोकसभा चुनावों में तो भाजपा को 25 में से केवल 4 सीटें ही मिली थीं, लेकिन चुरू उन चार में से एक थी।
चार साल में भाजपा ने 8 में से 7 उपचुनाव हारे, सरदारशहर का परिणाम तय करेगा भविष्य
अब तक पिछले चार सालों में हुए 8 में से 7 उप चुनाव भाजपा ने हारे हैं। इस चुनाव को भाजपा जीतती है, तो एक वर्ष बाद होने वाले विधानसभा चुनावों में उसका मनोबल बहुत ऊंचा रहेगा। अपने अध्यक्षीय कार्यकाल के तीन साल पूरे होने पर पूनिया को अगर यह जीत मिलती है, तो उनके राजनीतिक कद में निश्चित ही इजाफा होगा। अगर यह चुनाव भाजपा हार जाती है, तो कार्यकर्ताओं के मनोबल पर नेगेटिव असर पड़ सकता है और कांग्रेस की नाकामियों को भुना पाने में भाजपा की रणनीतिक कमजोरी उजागर हो जाएगी।