मुजफ्फरनगर: उद्योगपति और पूर्व विधायक शाहनवाज राना को कोर्ट ने रेप के प्रयास के एक मामले में राहत देते हुए साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया। 21 साल पहले दिल्ली की दो युवतियों ने पूर्व विधायक सहित 3 लोगों पर ज्यादती का आरोप लगाते हुए एफआइआर कराई थी। कोर्ट ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद पूर्व विधायक सहित तीनों आरोपियों को बरी कर दिया।
पूर्व विधायक पर दर्ज हुई थी एफआइआर
दिल्ली निवासी एक युवती ने पूर्व विधायक शाहनवाज राणा पर मीनाक्षी चौक के समीप उनके साथियों सहित रेप के प्रयास का आरोप लगाया था। अभियोजन के अनुसार थाना सिविल लाइन में दिल्ली निवासी युवती ने 5 अक्टूबर 2001 को एफआइआर दर्ज कराते हुए बताया था कि तब से कुछ दिन पहले उसे और उसकी सहेली को एक दोस्त ने शाहनवाज राना से मिलवाया था। आरोप लगाया था कि काम व घर दिलाने का लालच देकर शाहनवाज राणा ने उनके साथ गलत काम करने को कहा। लेकिन उन्होंने मना कर दिया था। वहां से वह किसी तरह चले गए थे। उसके बाद उन्हें दिल्ली से मुजफ्फरनगर बुलाया गया। आरोप था कि रास्ते में पूर्व विधायक के साथियों ने उनके साथ ज्यादती का प्रयास किया। आरोप था कि जब वे मुजफ्फरनगर पहुंची तो मीनाक्षी चौक के आसपास भी शाहनवाज राणा ने उनके साथ ज्यादती करनी चाही थी। जिसके बाद थाना सिविल लाइन पुलिस ने पूर्व विधायक शाहनवाज राना ओर उनके दो साथियों इमरान और सरताज निवासी खालापार के विरुद्ध विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था।
गत वर्ष खारिज हुई थी अग्रिम जमानत अर्जी
पूर्व विधायक शाहनवाज राणा ने रेप के प्रयास के उक्त मामले में हाईकोर्ट इलाहाबाद में सीआरपीसी 482 के तहत प्रार्थना पत्र दिया था। जो अदम पैरवी के चलते खारिज हो गया था। जिसके बाद गत वर्ष स्थानीय कोर्ट से शाहनवाज राणा के गिरफ्तारी वारंट जारी हुए थे। पूर्व विधायक ने अपर जिला और सत्र न्यायाधीश कोर्ट संख्या 4 में अग्रिम जमानत अर्जी दाखिल की थी। जिस पर सुनवाई करते हुए 12 अक्टूबर 2021 को कोर्ट ने उसे खारिज कर दिया था। जिसके बाद शाहनवाज राणा ने हाईकोर्ट की शरण ली थी। जहां उसे उन्हें जमानत मिल गई थी।
हाईकोर्ट से प्रतिदिन सुनवाई का था आदेश
पूर्व विधायक शाहनवाज राणा के विरुद्ध कोर्ट में विचाराधीन रेप के मामले में हाईकोर्ट इलाहाबाद ने निचली अदालत को प्रतिदिन सुनवाई का आदेश जारी किया था। एडीजे कोर्ट में जब पूर्व विधायक ने अग्रिम जमानत अर्जी लगाई थी तो अभियोजन ने हाईकोर्ट के उक्त आदेश का हवाला देते हुए जमानत का विरोध किया था।
साक्ष्य के अभाव में पूर्व विधायक कोर्ट से बरी
बचाव पक्ष के अधिवक्ता आफताब कैसर का कहना है कि पूरा मामला मनघड़ंत था। अभियोजन की और से दिये गए साक्ष्य काबिले यकीन ही नहीं थे। कोर्ट ने सारे हालात पर गौर किया। उन्होंने बताया कि पूर्व विधायक और उनके साथ इस मामले में निर्दोष थे। कोर्ट ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद सभी आरोपियों को बरी कर दिया।