उत्तराखंड में कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के मरचूला बाजार में मृत पायी गयी करीब 10 वर्षीय बाघिन की मौत गोली लगने से हुए रक्तस्राव के कारण हुई। उत्तराखंड के मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक समीर सिन्हा ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण एनटीसीए के दिशा निर्देश के अनुसार इस वन्यजीव अपराध की जांच की जाएगी और जांच के निष्कर्ष के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
हालांकि, उन्होंने कहा कि जिस किसी की गोली से यह बाघिन मारी गयी है, उसने गोली व्यापक जनहित में चलाई होगी, अन्यथा न जाने कितने लोग इसके हमले से हताहत होते। उन्होंने बताया कि सामने आए तथ्यों के अनुसार बाघिन आबादी के लिए बहुत बड़ा खतरा बन चुकी थी। सिन्हा ने बताया कि मृत बाघिन का पेट बिल्कुल खाली था जबकि उसके यकृत में सेही के कांटे मिले हैं और उसमें सुराख पाया गया है। उसके गुर्दे में भी कई तरह के जख्म मिले हैं।
इससे पहले, रिजर्व के निदेशक धीरज पांडेय ने बताया कि यह बाघिन पिछले दो-तीन दिन से मरचूला के आबादी क्षेत्र में दिख रही थी तथा वनकर्मी उस पर दिन-रात नजर रख रहे थे। उन्होंने बताया कि सोमवार शाम बाघिन ने वनकर्मियों तथा जनता पर हमला भी किया था हालांकि, उस वक्त हवा में गोलियां चलाकर उसे भगा दिया गया। पांडेय ने बताया कि वृद्ध बाघिन के कैनाइन दांत बिल्कुल घिस गए थे और उसके पिछले पुट्ठे पर एक घाव भी था। उन्होंने बताया कि इसी वजह से संभवत: वह अपने प्राकृतिक आवास में शिकार नहीं कर पा रही होगी और तभी उसने आबादी की तरफ रुख किया होगा।