देशभर की नजरें इन दिनों गुजरात चुनाव पर हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह का गृहक्षेत्र होने के कारण बीजेपी ने पूरा जोर गुजरात में लगा रखा है।
गुजरात में बीजेपी के प्रत्याशियों की लिस्ट सबसे ज्यादा चर्चा में है। गुजरात में पिछले चुनाव के मुकाबले बीजेपी ने 50 प्रतिशत चेहरों के टिकट काट दिए हैं। भारी एंटी इनकंबेंसी के बावजूद बीजेपी की इस स्ट्रेटेजी ने राजस्थान के लिए भी सियासी मैसेज दे दिया है।
राजस्थान में अगले साल विधानसभा चुनाव है। नेतृत्व और प्रत्याशियों को लेकर बीजेपी में अभी से लॉबिंग शुरू हो गई है। इसी बीच गुजरात में भारी संख्या में पुराने चेहरों के टिकट काटकर बीजेपी ने संगठन सर्वोपरि का मैसेज दिया है। इसके बाद राजस्थान बीजेपी के नेताओं में भी यह चर्चा छिड़ गई है। माना जा रहा है कि राजस्थान में भी अंदरूनी लड़ाई के बीच बीजेपी गुजरात फॉर्मूला अपना सकती है।
संगठन सर्वोपरि के 4 फॉर्मूले जो राजस्थान में कर सकते हैं बवाल
1. मौजूदा विधायकों सहित 100 पुराने प्रत्याशियों के टिकट कट सकते हैं।
राजस्थान में अगर यही फॉर्मूला लागू होता है तो कम से कम 100 नए चेहरों को 2023 में माैका मिल सकता है। वहीं, लगभग 25 से 30 सिटिंग विधायकों के टिकट भी कट सकते हैं। गुजरात में बीजेपी ने 99 में से 38 सिटिंग विधायकों के टिकट काटे हैं। बीजेपी के इस निर्णय के बाद गुजरात में अंदरखाने इसका विरोध भी देखने को मिला है।
टिकट तय करने से पहले कई नेताओं की ओर से पार्टी पर दबाव भी था। इसके बावजूद बीजेपी संगठन सबसे ऊपर के फॉर्मूले पर चली है। खबर में अभी और भी बहुत कुछ है, आगे बढ़ने से पहले नीचे दिए गए पोल में हिस्सा जरूर लीजिए।
2. सीनियर नेताओं के भी टिकट कट सकते हैं
गुजरात में बीजेपी ने पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी, नितिन पटेल, सौरभ पटेल समेत छह बड़े नेताओं को मौका नहीं दिया। कहा गया कि उन्होंने चुनाव लड़ने से मना कर दिया था।
मगर सूत्रों का कहना है कि बीजेपी इन्हें टिकट नहीं देना चाहती थी। रूपाणी को सीएम पद से हटाने के बाद से यह चर्चा थी। ऐसे में राजस्थान में भी अगर यह फॉर्मूला लागू होता है तो कई सीनियर नेताओं के टिकट कट सकते हैं जो 5 से ज्यादा बार से विधायक हैं।
3. नया चेहरा भी बन सकता है सीएम
गुजरात में पहली बार विधायक बने भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री बना दिया गया। बीजेपी ने जब पटेल को चुना तो काफी सवाल खड़े हुए। उसके बाद से ही यह कहा जाने लगा कि सेंट्रल लीडरशिप बगैर किसी दबाव के अपने तरीके से निर्णय कर रही है।
राजस्थान में भी सीएम चेहरे को लेकर लड़ाई है। ऐसे में इस लड़ाई के बीच बीजेपी राजस्थान में भी कुछ ऐसा निर्णय कर सकती है, जो चौंकाने वाला हों।
4. एक भी मुस्लिम प्रत्याशी को नहीं मिलेगा टिकट
गुजरात में इस बार भी मुस्लिमों को टिकट नहीं दिया गया। लगातार बीजेपी इसी फॉर्मूले पर चलकर ही राज्यों में टिकट दे रही है। गुजरात में 30 सीटों पर मुस्लिमों का दबदबा है। इसके बावजूद विधानसभा चुनाव में एक भी टिकट नहीं दिया गया।
ऐसे में राजस्थान के इतिहास में पहली बार बीजेपी ऐसा कर सकती है कि एक भी मुस्लिम प्रत्याशी को टिकट न दे। 2018 में भी बीजेपी किसी मुस्लिम प्रत्याशी को टिकट नहीं देना चाहती थी। मगर तत्कालीन सीएम वसुंधरा राजे के दबाव के चलते टोंक से पूर्व मंत्री यूनुस खान को टिकट दिया था। खान को सचिन पायलट ने हराया था।
ये फॉर्मूले राजस्थान में खींचतान और बढ़ा सकते हैं
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अगर पार्टी अन्य राज्यों की तरह राजस्थान में भी इन्हीं फॉर्मूलों पर चलती है तो खींचतान बढ़ सकती है। राजस्थान में बीजेपी की स्थिति अन्य राज्यों की तुलना में अलग है। यहां बीजेपी के पास वसुंधरा राजे के रूप में काडर रखने वाली नेता हैं, जो जरूरी नहीं कि बीजेपी सेंट्रल लीडरशिप के हर फैसले को स्वीकार करे।
वहीं राजस्थान में यह निर्णय कई प्रमुख नेताओं को राजनीतिक रूप से प्रभावित कर सकते हैं। इसलिए आने वाले दिनों में राजस्थान में काफी खींचतान देखने को मिल सकती है।
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