गोमती किनारे रविवार को उत्तराखंड महोत्सव के करीब एक लाख पहुंचे थे। भीड़ का आलम यह है था कि निशातगंज से लेकर हनुमान सेतु तक गाड़ियों की भीड़ लगी थी। महोत्सव के अंदर लगी 50 से ज्यादा दुकानों पर खरीदारों की लाइन लगी रही। इस दौरान दोपहर दो बजे से ही सांस्कृतिक कार्यक्रम शुरू कर दिए गए। इसमें दोपहर दो बजे चित्रकला प्रतियोगिता में 21 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। इसमें पहले स्थान पर कुणाल कश्यप, द्वितीय शगुन सोनी एवं तृतीय स्थान पर संगीता सिंह रही।
1000 लोग सांस्कृतिक कार्यक्रम में हिस्सा ले चुके
आयोजकों ने बताया कि महज 5 दिन के अंदर 1000 से ज्यादा लोग सांस्कृतिक कार्यक्रम में हिस्सा ले चुके है। कार्यक्रम का समापन 18 नवंबर को होने वाला है। उम्मीद है कि तब तक यहां होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम में 2000 से ज्यादा लोग हिस्सा लेंगे।
10 लाख से ज्यादा की बिक्री हुई
भीड़ ने खरीदारी भी जमकर की। करीब 10 लाख से ज्यादा का कारोबार हुआ। शाम को जब एकल नृत्य का कार्यक्रम शुरू हुआ तो उसमें 28 प्रतिभागियों ने भाग लिया। जिसमें विजेताओं में पहले स्थान पर ऐजिल चौरसिया, द्वितीय अक्षिता आर्या एवं तृतीय जीविका पाण्डेय रहीं। जबकि समूह नृत्य में 11 टीमों ने भाग लिया। इसमें विजेता-प्रथम शिव तांडव ग्रुप, द्वितीय हेमा मिश्रा पहाड़ी डांस ग्रुप एवं तृतीय अनामिका ग्रुप रहें।
पहाड़ी लोक गीत पर थिरके लोग
इस दौरान पहाड़ी लोग गीत पर पूरे महोत्सव में लोग डांस करते नजर आए। सांस्कृतिक मंच के अलावा बाकी जगहों पर भी लोगों ने जमकर डांस किया। खासकर महिलाओं ने स्थानीय कलाकारों के साथ खूब आनंद उठाया। अब तक महोत्सव में बिहार, उत्तराखंड, दिल्ली, पंजाब, हैदराबाद समेत कई राज्यों के कलाकार आ चुके है।
जैविक उत्पाद और दालों की बिक्री काफी रही
महोत्सव के मीडिया के प्रभारी राजेन्द्र सिंह कनवाल मीडिया प्रभारी ने बताया कि महोत्सव स्थल पर जैविक उत्पाद, दालें खूब बिक रही है। गहत की दाल की सबसे ज्यादा बिक्री होती है। गहत की पकाई हुई गरमागरम दाल के पानी का सेवन करने से पथरी टूट-टूट कर निकल आती है। पुराने जमाने में शख्त चट्टानों को तोड़ने के लिए दाल के उबले (ठठ) गरम पानी को चट्टान में छोटा सा छेद कर शाम को उसमें डाल कर ऊपर से पत्थर से ढक कर बन्द कर दिया जाता था। सुबह तक वह चट्टान चिटक जाती थी।