डिंपल यादव आज मैनपुरी से लोकसभा उपचुनाव के लिए नामांकन दाखिल करेंगी। मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद ये सीट खाली हुई है। 5 दिसंबर को यहां उपचुनाव होना है। नामांकन को लेकर काफी भीड़ उमड़ सकती है, जिसको लेकर प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किये हैं। मैनपुरी के लिए निकलने से पहले अखिलेश और डिंपल ने मुलायम सिंह को श्रद्धांजलि भी दी।
मुलायम सिंह यादव 2019 में हुए चुनाव में यहीं से सांसद बने थे लेकिन बीते 10 अक्टूबर को उनके निधन के बाद रिक्त हुई सीट पर लोकसभा उप चुनाव होने जा रहा है। 17 नवंबर तक कलेक्ट्रेट परिसर पर नामांकन प्रक्रिया संपन्न होनी है। आज डिंपल यादव भारी भीड़ के साथ नामांकन करने कलेक्ट्रेट परिसर लगभग 12 बजे पहुंचेंगी। उप चुनाव के लिए जारी अधिसूचना के अनुसार 10 नवंबर से नामांकन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
छावनी में तब्दील हुआ कलेक्ट्रेट परिसर
डिंपल यादव के नामांकन को लेकर कलेक्ट्रेट परिसर को छावनी में तब्दील कर दिया गया है। कलेक्ट्रेट परिसर की तरफ जाने वाले सभी मार्गों पर बैरिकेडिंग लगाई गई है। चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल और पीएसी तैनात है। नामांकन प्रक्रिया शांतिपूर्ण कराने के लिए प्रशासन ने पुख्ता इंतजाम किए हैं।
पूर्व सीएम अखिलेश यादव भी रहेंगे साथ
डिंपल यादव की नामांकन के दौरान के पति अखिलेश यादव और उनके साथ धर्मेंद्र यादव, तेज प्रताप यादव, प्रो. रामगोपाल यादव सहित कई दिग्गज नामांकन कराने पहुंचेंगे। इसके अलावा रालोदा प्रमुख जयंत चौधरी के शामिल होने की भी संभावना है।
रामगोपाल बोले- शिवपाल से पूछकर चुनाव में उतरी हैं डिंपल
डिंपल यादव के नामांकन से पहले प्रो. रामगोपाल यादव का शिवपाल को लेकर बयान आया है, रामगोपाल यादव ने कहा, बहू डिंपल शिवपाल यादव से पूछकर ही मैनपुरी उपचुनाव में उतरी हैं, उन्होंने कहा है कि वह बहू के साथ हैं, बहू का पूरा समर्थन करते हैं। बहू को जिताया जाएगा।
कल तक खरीदे गए थे 7 नामांकन
अब तक डिंपल यादव सहित 7 नामांकन पत्र खरीदे गए हैं। समाजवादी पार्टी के जिला अध्यक्ष आलोक शाक्य ने बताया कि 11 से 2:00 बजे के बीच डिंपल यादव जिला कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर नामांकन करेंगी। नामांकन के दौरान समाजवादी पार्टी के जिला स्तरीय पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता भी मौजूद रहेंगे।
डिंपल 5वीं बार लड़ रहीं चुनाव
44 साल की डिंपल 5वीं बार चुनाव लड़ेंगी। मैनपुरी सपा की पारिवारिक सीट है। 1996 में यहां मुलायम सिंह ने पहली बार चुनाव लड़ा था। तब से इस सीट पर सपा का कब्जा है। तेज प्रताप यादव और धर्मेंद्र यादव ने भी अपनी सियासी पारी की शुरुआत इसी सीट पर जीत से की थी।
मुलायम के निधन के बाद इस सीट पर तेज प्रताप यादव और धर्मेंद्र यादव का नाम भी चल रहा था। हालांकि, अखिलेश ने डिंपल के नाम पर आखिरी मुहर लगाई है। राजनीति के जानकारों का कहना है कि मुलायम की सीट यानी उनकी विरासत पर डिंपल के उतारने के गहरे सियासी मायने भी हैं। डिंपल अब फिर सक्रिय राजनीति में आ रही हैं।
कन्नौज से दो बार सांसद रहीं
15 जनवरी 1978 को महाराष्ट्र के पुणे में पैदा हुईं डिंपल कन्नौज से दो बार सांसद रह चुकी हैं। उनका परिवार मूल रूप से उत्तराखंड का रहने वाला है। उनके पिता रिटायर कर्नल हैं। डिंपल 3 बहनों में दूसरे नंबर की हैं। डिंपल की शुरुआती पढ़ाई सैनिक स्कूल में हुई। उनके माता-पिता अभी उत्तराखंड के काशीपुर में रहते हैं। डिंपल और अखिलेश यादव ने प्रेम विवाह किया था।
2009 में फिरोजाबाद उपचुनाव में बनी थीं उम्मीदवार
2009 लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश की दो सीटों फिरोजाबाद और कन्नौज से चुनाव लड़ा। बाद में अखिलेश ने फिरोजबाद सीट छोड़ दी और उपचुनाव में डिंपल को वहां से उम्मीदवार बनाया। लेकिन, डिंपल कांग्रेसी नेता राज बब्बर से चुनाव हार गईं।
2012 में कन्नौज से सपा ने डिंपल पर ही जताया था भरोसा
अखिलश यादव के कन्नौज लोकसभा सीट छोड़ने के बाद 2012 में उपचुनाव हुआ। सपा ने इस बार भी डिंपल यादव पर भरोसा जताया। वहीं, इस चुनाव में बसपा, कांग्रेस, भाजपा ने उनके खिलाफ कोई उम्मीदवार नहीं उतारा। जबकि, दो लोगों के नामांकन वापस लेने के बाद डिंपल निर्विरोध चुनाव जीतने में कामयाब रहीं। वहीं 2014 लोकसभा चुनाव में भी वह कन्नौज सीट बचा ले गईं।
आखिर डिंपल ही मैनपुरी से चुनाव का चेहरा कैसे बनीं। क्योंकि विकल्प तेज प्रताप यादव और धर्मेंद्र यादव का भी था
विधानसभा 2022 में हिट प्रचारक थीं डिंपलराजनीतिक जानकारों का कहना है कि डिंपल को मैनपुरी से प्रत्याशी बनाए जाने का कारण यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में उनका चुनाव प्रचार रहा। चुनाव प्रचार में डिंपल यादव हिट रहीं। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने उन्हें आखिरी चरणों में मुश्किल सीटों पर प्रचार के लिए उतारकर सीटें अपनी झोली में डलवा ली। कौशांबी और जौनपुर में हुई जनसभाओं में सिर्फ एक सीट ही भाजपा के खाते में जुड़ सकी। वो भी बहुत कम मार्जिन के साथ।
सिराथू, चायल, मंझनपुर, मड़ियाहूं और मछलीशहर में किया प्रचार
विधानसभा चुनाव के पांचवें चरण में पहली जनसभा डिंपल ने सिराथू में पल्लवी पटेल के लिए की। पल्लवी के सामने यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य खुद चुनाव मैदान में थे। डिंपल की जनसभा होने के बाद यहां पल्लवी टक्कर में आ गई। वो इस सीट से जीत गईं।
कौशांबी की चायल विधानसभा में पार्टी प्रत्याशी पूजा पाल के समर्थन में सभा की। पूजा पाल पूर्व विधायक राजू पाल की पत्नी हैं। यहां पूजा का मुकाबला अपना दल सोनेलाल के नागेंद्र प्रताप सिंह पटेल से था। 88818 वोट लेकर पूजा पाल ने जीत दर्ज की।
यहां भाजपा की तरफ से लाल बहादुर चुनावी मैदान में थे। भाजपा संगठन उनके लिए प्रचार कर रहा था। डिंपल ने यहां इंद्रजीत सरोज के लिए सिर्फ एक जनसभा की थी। यहां भी सपा प्रत्याशी ही जीता। जौनपुर की मड़ियाहू सीट पर अपना दल सोनेलाल के प्रत्याशी डॉ. आरके पटेल को सपा की प्रत्याशी सुषमा पटेल से चुनौती थी। यहां डिंपल ने जनसभा की। यहां कांटे की टक्कर ऐसी कि पूरी बाजी सिर्फ 1206 वोटों से ही सुषमा ने जीत दर्ज की।
मछलीशहर से डॉ. रागिनी चुनाव लड़ रही थीं। डिंपल ने प्रचार किया। नतीजा ये रहा कि रागनी को 91659 वोट मिले। भाजपा के प्रत्याशी महिलाल 83175 वोट पाकर हार गए थे।
मैनपुरी से डिंपल को ही क्यों लाए अखिलेश
अखिलेश यादव खुद उत्तर प्रदेश पर ही फोकस रखना चाहते हैं। वह करहल को छोड़ लोकसभा नहीं जाना चाहते।
अखिलेश ने डिंपल का चयन इसलिए किया कि यह सीट मुलायम के परिवार के पास ही रहे। क्योंकि बीते सालों से शिवपाल से राजनीतिक विवाद चल रहा है। ऐसे में वे डिंपल से ज्यादा किसी और पर भरोसा नहीं कर सकते।
डिंपल सीधे मुलायम की बहू हैं, ऐसे में जितनी संवेदना और सहानुभूति का लाभ डिंपल को मिलेगा शायद किसी और प्रत्याशी को न मिले।
मुलायम पिछली बार यह सीट कम अंतर से जीते थे। ऐसे में डिंपल के आने से महिलाओं का समर्थन बढ़ेगा। अखिलेश का करहल विधानसभा से विधायक होने का फायदा मिलेगा।
इस फैसले से परिवार में इस सीट को लेकर तेज प्रताप, धर्मेंद्र यादव और शिवपाल के बीच चल रही रेस को भी विराम दे दिया है।