वाशिंगटन: मिस्र में चल रहे संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन के बीच अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने दुनिया के कभी सबसे बड़े ग्लेशियर रहे अंटार्कटिक हिमशैल A-76A को लेकर अपनी चिंता जाहिर की है. नासा द्वारा जारी की गई एक सैटलाइट इमेज में अंटार्कटिक हिमशैल का सबसे बड़ा बचा हुआ टुकड़ा जल्द ही समुद्र में समाता हुआ दिख रहा है. अंतरिक्ष एजेंसी के अनुसार जल्द ही यह ग्लेशियर पिघल कर समाप्त हो जायेगा.
यूएस नेशनल आइस सेंटर के अनुसार, हिमखंड 135 किलोमीटर लंबा और 26 किलोमीटर चौड़ा है, जो कि लंदन के आकार के लगभग दोगुने के बराबर क्षेत्र है. यह ग्लेशियर रोड आइलैंड के आकार के A-76 का सबसे बड़ा हिस्सा है, जो दुनिया का पिछला सबसे बड़ा हिमखंड था. यह मई 2021 में अंटार्कटिका में रोन आइस शेल्फ़ के पश्चिमी भाग से टूट गया था और बाद में तीन टुकड़ों 76A, 76B और 76C में विभाजित हो गया. इन टुकड़ों में आइसबर्ग 76ए सबसे बड़ा है.
लाइव साइंस की रिपोर्ट के अनुसार यह ग्लेशियर एक साल से अधिक समय से अंटार्कटिका के साथ धीरे-धीरे बह रहा था, लेकिन अब इसकी पिघलने में तेजी आई है और हिमखंड अपने अंत की ओर बढ़ रहा है. आपको बता दें कि 31 अक्टूबर को नासा के टेरा उपग्रह द्वारा इस हिमखंड की तस्वीर ली गई थी. फिलहाल ग्लेशियर दक्षिण अफ्रीका में केप हॉर्न और दक्षिण शेटलैंड के बीच प्रशांत और अटलांटिक महासागरों को जोड़ने वाले एक संकीर्ण स्ट्रेट के बीच तैर रहा है. तस्वीर को नासा की अर्थ ऑब्जर्वेटरी ने 4 नवंबर को ऑनलाइन प्रकाशित किया था.
एक तिहाई ग्लेशियर 2050 तक होंगे गायब
यूनेस्को की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर मौजूदा हालात बने रहे तो 50 विश्व धरोहर स्थलों में से एक तिहाई ग्लेशियर 2050 तक गायब हो जाएंगे. अफ्रीका में, सभी विश्व धरोहर स्थलों में ग्लेशियर 2050 तक समाप्त हो जाएंगे, जिसमें किलिमंजारो नेशनल पार्क और माउंट केन्या शामिल हैं.
यूरोप में, पाइरेनीज़ और डोलोमाइट्स में कुछ ग्लेशियर भी शायद तीन दशकों के बाद गायब हो जाएंगे. आगे संस्था ने कहा कि यदि पूर्व-औद्योगिक अवधि की तुलना में तापमान में वृद्धि 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक नहीं होती है, तो शेष दो तिहाई स्थलों में हिमनदों को बचाना अभी भी संभव है. हालांकि यह टारगेट किसी भी रिपोर्ट में पूरा होता हुआ नहीं दिख रहा है.