राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को अब मेवाड़ का आशीर्वाद मिलने वाला है। महाराणा प्रताप की वीर भूमि मेवाड़ से एक युवक हल्दी घाटी की माटी लेकर यात्रा में शामिल होने के लिए पैदल निकल पड़ा है। राहुल गांधी कन्याकुमारी से रवाना होकर कश्मीर पहुंचेंगे, ऐसे में उदयपुर से पैदल निकले मुबीन मोहम्मद सिंधी आने वाले दिनों में राजस्थान की सीमा में राहुल गांधी से मिलेंगे।
मुबीन हल्दी घाटी की मिट्टी का तिलक राहुल को लगाकर कश्मीर तक भारत जोड़ो यात्रा पद यात्रा में साथ चलेगे। मुबीन हल्टीघाटी से नाथद्वारा, मावली, फतहनगर, कपासन होते हुए 6 दिनों में चितौडगढ़ और कोटा होते हुए उनकी यात्रा में शामिल होगे। भारत जोड़ो यात्रा में मुबीन ऐसे पहले शख्स है, जो अकेले पैदल अपने क्षेत्र से चलकर जा रहे हैं।
त्याग, तपस्या और बलिदान की भूमि मेवाड़ हमेशा लोगों को जोड़ने की बात करती आई है। ऐसे में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को मेवाड़ के आशीर्वाद के साथ एक नया आयाम मिलने वाला है। उदयपुर से मुबीन मोहम्मद सिंधी हल्दीघाटी की मिट्टी लेकर पैदल निकल पड़े हैं। राजस्थान की सीमा में जहां भी मुबीन राहुल गांधी से मुलाकात करेंगे। वहां उनका हल्दीघाटी की मिट्टी से तिलक करेंगे और उसके बाद कश्मीर तक यात्रा में शामिल हो जाएंगे। करीब 2000 किलोमीटर की इस पैदल यात्रा में मुबीन को 3 महीने का समय लगेगा। मंगलवार सुबह मुबीन उदयपुर से अपने घर से निकले और सीधे हल्दीघाटी पहुंचे। उन्होंने एक पोटली में हल्दीघाटी की मिट्टी ली और अब उससे राहुल गांधी को तिलक लगाएंगे।
मुबीन ने बताया कि यात्रा कठिन जरूर है लेकिन उनके इस प्रयास से भारत को जोड़ने की ऐतिहासिक यात्रा में मेवाड़ का भी एक योगदान होगा। उन्होंने कहा कि वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप हकीम खां सूरी, राणा पूंजा और भीलू राणा के साथ 36 कौम को साथ लेकर चले और मेवाड़ की आजादी को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए हल्दी घाटी का युद्व लड़ा। आज के समय में भारत अलग अलग क्षेत्रों ने बंटने के साथ धर्म और मजहब में भी बंट चुका है। ऐसे में भारत को जोडने की इस यात्रा में राहुल गांधी को हल्दी घाटी की माटी से तिलक के साथ मेवाड़ का आशीर्वाद भी मिल जाएगा तो यात्रा जरूर होकर सभी धर्मो को जोड़ने में कारगर होगी।
भारत जोड़ो यात्रा के लिए उदयपुर से निकले मुबीन को उनके दोस्त और परिजन हल्दी घाटी तक छोड़ने आये। मुबीन को अलविदा कहते समय सभी की आंखें भर आईं। मित्र विक्रम चौधरी, महेन्द्रसिंह, कुणाल प्रभाकर और नरेन्द्रसिंह उन्हें हल्दीघाटी तक छोड़ने पहुंचे।
मुबीन भी अपनी नन्ही बेटी अलीजा और बेटे अशरफ को अलविदा कहते समय फफक पड़े। मुबीन की पत्नी मेहनजीब बानो ने बताया कि हजारों किलोमीटर की पैदल यात्रा का सोचना ही बड़ी बात है, ऐसे में परिवार को मनाने के लिए वे काफी दिनों से प्रयास कर रहे थे। पहले तो हम लोगों ने भी मना किया, मगर उनके जूनून, सर्वधर्म प्रेम को देखकर मानना ही पड़ा। वहीं मुबीन के दोस्त नरेन्द्र सिंह और कुणाल प्रभाकर ने बताया कि मुबीन बचपन से जिद्दी किस्म का व्यक्ति रहा है। जो ठानता है, उसे पूरा कर ही रूकता है। सर्वधर्म प्रेम और बचपन से उसमें देशभक्ति की भावना हम देखते आए हैं।
पेशे से एडवोकेट मुबीन मूल रूप से उदयपुर जिले की वल्लभनगर तहसील के सिंधियों के बड़गांव गांव के रहने वाले हैं। फिलहाल उनकी पत्नी मेहजबीन सिंधी वहां सरपंच है। मुबीन भी उपसरपंच के अलावा कांग्रेस के ब्लॉक अध्यक्ष और उदयपुर शहर से यूथ कांग्रेस के प्रतिनिधि रह चुके हैं। मुबीन के दो बच्चे है। उनके पिता अली मोहम्मद सिंधी भी एडवोकेट है। उनके 2 बड़े भाई और एक बहन हैं।
इस यात्रा के लिए मुबीन पिछले दो महीनों से रोजाना 15-15 किलोमीटर पैदल चलने की प्रेक्टिस कर रहे थे। पहले मुबीन कन्या कुमारी से पैदल राहुल गांधी के साथ यात्रा करने वाले थे, लेकिन पिछले दिनों तबीयत खराब होने के कारण वे कन्या कुमारी से शामिल नहीं हो पाए। मुबीन भारत जोड़ो यात्रा की ऑफिशयल टीम के साथ संपर्क में है और इसके लिए उन्होंने रजिस्ट्रेशन भी करवाया। मुबीन का पैदल यात्रा के दौरान कई जगहों पर लोगों द्वारा स्वागत किया भी जा रहा है।
मुबीन का मानना है कि भले ही देश और दुनिया के लिए यह एक राजनैतिक स्टंट हो, लेकिन धर्म-मजहब और क्षेत्रवाद में बंट चुके भारत को जोड़ने के लिए वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की वीर भूमि की माटी जरूर एक नई दिशा प्रदान करेगी।