जनता को मुफ्त का लालच देने वाले रेवड़ी कल्चर की देशभर में चर्चा है, लेकिन सत्ता हासिल करने के लिए ही नहीं बल्कि सत्ता में बने रहने के लिए भी नेताओं को ये रेवड़ियां बांटनी पड़ती हैं। यही वजह है कि चार साल के कार्यकाल में ही गहलोत सरकार बोर्ड-आयोग आदि में करीब 15 हजार नेताओं को सियासी नियुक्तियां दे चुकी है। ये गहलाेत सरकार के किसी भी कार्यकाल में सबसे अधिक हैं। पहले के दाेनों कार्यकाल में करीब 9-10 हजार लोगों को ही ऐसी नियुक्तियां दी गई थीं। लेकिन इस बार सियासत में उपजे असंतोष को साधने के लिए गहलोत सरकार का सबसे बड़ा हथियार राजनीतिक नियुक्तियां रही हैं।
जो मंत्री नहीं बन सके, ऐसे 30 से अधिक विधायक भी बोर्ड-आयोग में एडजस्ट हुए
सत्ता में आने बाद के बाद जो मंत्री नहीं बन सके, ऐसे 30 से अधिक विधायकों को बोर्ड-आयोगों में एडजेस्ट किया गया है। नेताओं के परिजनों को भी सियासी लाभ दिया गया है। इसके बावजूद राजनीतिक नियुक्तियों की दौड़ थमी नहीं है। चुनाव से पहले सियासत में समाजों को साधने के लिए कुछ नए बोर्ड या आयोग बनाए जा सकते हैं। खास बात यह है कि नियुक्तियों की मांग सिर्फ समाजों या सत्ताधारी पार्टी की तरफ से ही नहीं उठ रही, बल्कि विपक्ष के नेता भी इसके लिए कतार में खड़े हैं।
पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा, पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट और कई अन्य विधायकों ने पिछले दिनों सीएम अशोक गहलोत को चिट्ठी लिखकर वीर तेजाजी बोर्ड के गठन की मांग रखी है। वहीं भाजपा सांसद दीया कुमारी भी तेली समाज के लिए तेल घाणी बोर्ड के गठन की मांग कर रही हैं।
अब ओढ़ राजपूत समाज कल्याण काष्ठ कला बोर्ड, बृज क्षेत्र धार्मिक विकास बोर्ड, मंसूरी पिंजारी समाज, केवट समाज, गड़िया लुहार और बुनकर समाज की तरफ से भी अपने लिए बोर्ड के गठन की मांग की गई है। इनके गठन के लिए हलचल दिखाई दे रही है।
74 नेताओं को विभिन्न बोर्ड-आयोगों में नियुक्ति दे चुके
30 सेे अधिक विधायकों को आयोग-बोर्ड में लगाया गया।
02 हजार से अधिक वकीलों को एडजस्ट किया।
इसके अलावा पूर्व विधायक, विधायक प्रत्याशी और मौजूदा विधायकों के परिजनों को कई बोर्ड और आयोग में अध्यक्ष व सदस्य लगाया गया।
बोर्ड-आयोग-अकादमी तक में नियुक्ति
राज्य स्तर पर राजनीतिक नियुक्तियों का पिटारा गहलोत सरकार के कार्यकाल के 3 साल बीतने के बाद खुला। अब तक सरकार 74 नेताओं को विभिन्न बोर्ड-आयोगों में नियुक्ति दे चुकी है। विधायकों के अलावा पूर्व विधायकों और विधायक प्रत्याशियों को भी नियुक्तियां दी गई हैं। अब 14 यूआईटीज, 2 विकास प्रधिकरण, विभिन्न समाजों के लिए बोर्ड गठन जैसी नियुक्तियां होनी बाकी हैं। जिला स्तर तक भी बात करें तो 2000 वकीलों को नियुक्ति दी गईं। वहीं राज्य स्तर पर 500 बड़ी और जिलों में करीब 12,500 नियुक्तयां की गईं।
कांग्रेस ने तेजाजी बोर्ड तो भाजपा सांसद दीया कुमारी ने तेल घाणी बोर्ड के गठन की मांग रखी
गहलोत सरकार ने इसी साल की शुरुआत में ब्राह्मण समाज व्रिप कल्याण बोर्ड का गठन किया था। पिछले माह सीएम ने अलग-अलग समाजों के लिए 3 नए बोर्ड के गठन को मंजूरी दी। इनमें राजस्थान चर्म शिल्प कला विकास बोर्ड, राजस्थान राज्य महात्मा ज्योतिबा फुले बोर्ड व राजस्थान राज्य रजक धोबी कल्याण बोर्ड शामिल हैं। पूर्व में गुर्जर समाज के लिए पहले देवनारायण बोर्ड, सैन समाज के लिए केश कला बोर्ड, कुम्हार समाज के लिए माटी कला बोर्ड का गठन कर चुके।
नया ढांचा बनेगा, फिर नियुक्तियां