प्रियंका के सलाहकार की पायलट-गहलोत गुटबाजी पर चेतावनी: कहा- पार्टी से बड़ा समझने वाले कांग्रेस छोड़े

प्रियंका के सलाहकार की पायलट-गहलोत गुटबाजी पर चेतावनी: कहा- पार्टी से बड़ा समझने वाले कांग्रेस छोड़े

कांग्रेस में चल रही खींचतान और गुटबाजी को लेकर अब नेताओं को प्रियंका गांधी के सलाहकार, पूर्व पीएम लालबहादुर शास्त्री के पोते और राजस्थान में भारत जोड़ो यात्रा के प्रभारी विभाकर शास्त्री ने चेतावनी दी है। विभाकर शास्त्री ने कहा- पार्टी से बड़ा कोई नेता नहीं है। जो व्यक्ति अपने आप को पार्टी से बड़ा समझता है तो पार्टी खुद छोड़ दे। या पार्टी उसको गिरा देगी। यह केवल समय की बात है। पार्टी से बड़ा कोई नहीं होता है। उधर कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने बयानबाजी करने वाले मंत्रियों को निशाने पर लिया है।


विभाकर शास्त्री और डोटासरा ने पार्टी की आपसी गुटबाजी और मंत्रियों के बयानों को निशाने पर लेकर नई सियासी चर्चाएं छेड़ दी हैं। भारत जोड़ो यात्रा से पहले इसे सियासी शांति की कोशिशों से जोड़कर देखा जा रहा है। डोटासरा ने बयानबाजी करने वाले नेताओं के खिलाफ समय आने पर एक्शन लेने के संकेत दिए हैं।


डोटासरा की चेतावनी- हर नेता की बात नोट की जा रही है, समय आने पर फैसला होगा

सरकार में पावर सेंट्रलाइजेशन, मंत्री, विधायकों की नहीं चलने को लेकर मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास और राजेंद्र गुढ़ा के बयानों पर गोविंद सिंह डोटासरा ने ​पलटवार करते हुए चेतावनी दी है। मंत्री, विधायकों की नहीं चलने के बयानों के सवाल पर डोटासरा ने कहा- ऐसे बयान नहीं दें, जिससे पार्टी का नुकसान होता हो। यह मंत्री विधायकों की नैतिक जिम्मेदारी है। अगर वे अपनी नैतिक जिम्मेदारी नहीं निभाते हैं तो समय किसी का गुलाम नहीं है। जब समय आएगा तो अपने आप फैसला होगा। पार्टी अभी भी हर बात को नोट कर रही है। चाहे प्रदेश कांग्रेस कमेटी हो या फिर ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी। गलत बयान बाजी करने वाले हर नेता की बात नोट की जा रही है। चाहे मंत्री हो या विधायक इस तरह नहीं बोलना चाहिए। क्योंकि अगर जिम्मेदार पदों पर बैठे लोग पार्टी का बोलकर नुकसान करते हैं तो जनता और कार्यकर्ता उसे माफ नहीं करेंगे।


कैबिनेट या विधायक दल की बैठक में रखें बात, मीडिया में नहीं

डोटासरा ने कहा- अगर किसी को संगठन से कोई शिकायत है तो नेता कांग्रेस पार्टी की बैठक में अपनी बात रखें। मंत्रिमंडल के किसी सदस्य को अपनी बात रखनी है तो वह मंत्रिमंडल की बैठक में अपनी बात मुख्यमंत्री के सामने रखें। विधायक को कोई बात कहनी है तो वह मंत्री या मुख्यमंत्री से अपनी बात रखें। विधायक दल की बैठक में अपनी बात रखें। किसी मंत्री, विधायक के मीडिया में जाकर दिए गए बयान से पार्टी को नुकसान होता है। यह सही नहीं है। उन सभी नेताओं को रात को जाकर सोचना चाहिए कि जो उन्होंने कहा है। उससे कांग्रेस पार्टी को नुकसान हुआ या फायदा। यह नेताओं का नैतिक दायित्व है।


कार्यकर्ताओं की मेहनत के बल पर बनी है सरकार

डोटासरा ने कहा- राजस्थान में कार्यकर्ताओं की मेहनत के बल पर कांग्रेस की सरकार बनी है। कांग्रेस सरकार राजस्थान की आठ करोड़ जनता की भावना के मुताबिक अच्छे से काम कर रही है। जो कांग्रेस के सिंबल पर चुनाव जीत कर आया है। चाहे वह मंत्री हो विधायक हो या कांग्रेस का कोई पदाधिकारी हो, उन सबको कांग्रेस पार्टी की गरिमा का ध्यान रखना चाहिए। कांग्रेस पार्टी ने ही उन्हें मान-सम्मान और पद दिया है।


मंत्री खाचरियावास के बयानों से एसीआर विवाद शुरु हुआ, महेश जोशी को गुलाम बताया था


खाद्य मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास ने सबसे पहले एसीआर भरने का अधिकार पूरी तरह से मंत्रियों को देने का मुद्दा उठाकर सरकार के कामकाज की शैली पर सवाल उठाए थे। खाचरियावास ने खाद्य विभाग के प्रमुख सचिव के तबादले के बाद उन पर गेहूं लेप्स करवाने का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की बात कही थी। इसी मामले पर उन्होंने सीएम अशोक गहलोत को चिट्ठी लिखकर एसीआर भरने के अधिकार पूरी तरह से मंत्रियों को देने की मांग उठाई। जलदाय मंत्री महेश जोशी ने जब बयान दिया तो इसका पलटवार करते हुए खाचरयिावास ने कहा कि महेश जोशी को गुलामी करने की आदत पड़ गई है तो क्या कह सकते हैं। इसके बाद महेश जोशी ने पलटवार करते हुए कहा था कि हां मैं कांग्रेस पार्टी का गुलाम हूं। महेश जोशी के पलटवार के के बाद खाचरियावास ने बयान वापस ले लिया था लेकिन एसीआर का विवाद अब भी जारी है।


कल मंत्री गुढ़ा ने कहा था- कांस्टेबल तक के तबादले सीएम करते हैं, मंत्रियों के पास कोई पावर नहीं

ग्रामीण विकास राज्य मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा ने कल कहा था कि सरकार में सब पावर मुख्यमंत्री के पास सेंट्रलाइज्ड है, कॉन्स्टेबल तक के तबादले मुख्यमंत्री करते हैं। मंत्रियों के पास कोई पावर नहीं है। फाइनेंस, होम जैसे अहम विभाग मुख्यमंत्री के पास हैं।कई मंत्री कह देते हैं, कई अंदर ही बात रखते हैं, जबकि अंदरखाने सब बैठकर रोते हैं।


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yhfee@chitthi.in, 10 June 2023

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