राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के बाद बाकी कर्मचारी संगठन भी सरकार पर दबाव बनाने में जुट गए है। उप्र चतुर्थ श्रेणी राज्य कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रामराज दुबे का कहना है कि चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों में पिछले तीन दशक से कोई नियुक्ति नहीं हुई है । इसके बाद अब स्थिति यह है कि प्रदेश का कोई ऐसा विभाग न हो इसके चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के पचास फीसदी पद खाली न हो । जल्द भर्ती की जाए नहीं तो आंदोलन तेज किया जाएगा। इससे पहले परिषद की तरफ से 7 नवंबर को पूरे प्रदेश में आंदोलन किया गया था।
उन्होंने बताया कि सरकार वेतन आयोग तो दे रही है, लेकिन उस आयोग का लाभ संविदा और ठेकेदारी प्रथा पर रखे कर्मचारियों को नहीं मिलने वाला है। ऐसे में आने वाले दिनों में वेतन आयोग केवल अधिकारियों को मिलने वाला है। उन्होंने कहा कि इसको लेकर कई बार शासन स्तर पर वार्ता की जा चुकी है, उसके बाद भी सरकार पदों को भरने को लेकर कोई पहल नहीं कर रही है।ऐसे में अब नई सरकार के सामने साथ सभी संगठनों के साथ मिलकर एक प्रस्ताव दिया जाएगा । इसमें सकरात्मक परिणाम नहीं आने पर कर्मचारी आर-पार की लड़ाई लड़ने की तैयारी करेंगे।
कोर्ट के आदेश का नहीं हो रहा पालन
रिक्त पदों को भरने के लिए कोर्ट आदेश दे चुका है । इसमें साफ कहा गया है कि कि बाहरी कर्मचारियों से विभाग की गोपनियता को खतरा है। ऐसे में उनकी जगह पर नियमित कर्मचारियों की भर्ती होनी चाहिए । इस निर्देश के बाद कार्मिक विभाग ने सभी विभागाध्यक्षों को निर्देश दिया था कि वह अपने पदों की आवश्यकता अनुसार भर्ती करें। लेकिन पद खाली होने के बाद भी भर्ती नहीं हो सकी है।
ग्रेड पे बढ़ाने की मांग
सचिवालय में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों का ग्रेड पे बढ़ा दिया गया है , लेकिन राज्य कर्मचारियों को पुराने ग्रेड पे से ही वेतन दिया जा रहा है। सचिवालय में 1900 रुपये ग्रेड है , वहीं अन्य चतुर्थ श्रेणी राज्य कर्मचारियों को 1800 रुपये ग्रेड पे दिया जा रहा है । इसे किसी भी स्थिति में स्वीकार नहीं किया जाएगा । इसके अलावा रिक्त पदों को भरने की भी मांग की गई है ।
प्रमुख विभाग जहां पद खाली पड़े है
लोक निर्माण विभाग, स्वास्थ्य , सिंचाई विभाग, कृषि, पशुपालन, चकबंदी, कलैक्ट्रेट, खाद्य व रसद, आवास