राजस्थान के राजसमंद से सांसद और जयपुर के पूर्व राजपरिवार की सदस्य दीया कुमारी हिमाचल प्रदेश में हो रहे विधानसभा चुनाव में बीजेपी प्रत्याशियों के समर्थन में प्रचार करेंगी। राजस्थान के बीजेपी नेताओं में वह इकलौती महिला नेता हैं, जिन्हें हिमाचल प्रदेश के चुनाव प्रचार में उतारा गया है। हिमाचल प्रदेश में बड़ी तादाद में राजपूत वोटर हैं। जिनकी संख्या 32.72 फीसदी यानी 24 लाख 54 हजार के करीब है। हिमाचल प्रदेश में अब तक 6 में से 5 मुख्यमंत्री राजपूत ही रहे हैं। ऐसे में बड़े राजपूत वोट बैंक को साधने के लिए बीजेपी ने राजस्थान की राजपूत समाज से सांसद दीया कुमारी को जिम्मा सौंपा है। दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी ने राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट को गैर राजपूत और यूथ वोटर्स को साधने हिमाचल प्रदेश में ऑब्जर्वर और स्टार प्रचारक के तौर पर भेजा है। दोनों राजस्थान के नेता हिमाचल में अपने-अपने अंदाज में वोटर्स को साधने में जुट गए हैं। दोनों यूथ हैं और युवाओं की पसंद हैं।
दीया कुमारी ने रविवार को हिमाचल प्रदेश के नाहन जिले पहुंचकर चुनाव प्रचार शुरू भी कर दिया है। 8 नवंबर को दीया नाहन जिला मुख्यालय के चौगान ग्राउंड पर एक बड़ी चुनावी रैली और सभा को संबोधित करेंगी। हिमाचल प्रदेश के पूर्व विधानसभाध्यक्ष और बीजेपी प्रत्याशी राजीव बिंदल के समर्थन में होने वाली विजय संकल्प रैली को केंद्रीय महिला व बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी और केंद्रीय राज्यमंत्री कृष्णपाल सिंह गुर्जर के साथ राजसमंद सांसद दीया कुमारी भी संबोधित करेंगी।
दीया कुमारी सर्वाधिक वोटों से जीतने वाली महिला सांसद
2019 लोकसभा चुनाव में दीया कुमारी भारत की सभी महिला प्रत्याशियों में सबसे ज्यादा 5 लाख 51 हजार 916 वोटों से जीती थीं। दीया को 8 लाख 63 हजार 39 वोट मिले थे। जबकि उनके सामने खड़े प्रत्याशी देवकीनंदन गुर्जर को 3 लाख 11 हजार 123 वोट मिले थे। दीया ने पहला ही लोकसभा चुनाव रिकॉर्ड वोटों से जीतकर संसद में धमाकेदार एंट्री की थी। दीया कुमारी की दादी स्वर्गीय महारानी गायत्री देवी राजस्थान से पहली महिला सांसद चुनी गई थीं। वह 1962 में स्वतंत्र पार्टी की टिकट पर जयपुर से चुनाव जीती थीं। इसके बाद उन्होंने दो बार और लोकसभा का चुनाव जीता।
कांग्रेस ने सचिन पायलट को बनाया ऑब्जर्वर और स्टार प्रचारक
कांग्रेस पार्टी ने राजस्थान से सचिन पायलट को हिमाचल विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशियों के समर्थन में कैम्पेनिंग का जिम्मा सौंपा है। उन्हें हिमाचल प्रदेश का चुनाव ऑब्जर्वर और स्टार प्रचारक बनाया गया है। पायलट की आज हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले में जुब्बल-कोटखाई विधानसभा क्षेत्र में बड़ी जनसभा है। इसके बाद सोलन जिले के बद्दी में दूव विधानसभा क्षेत्र की जनसभा रखी गई है। कुल्लू जिले के आनी विधानसभा क्षेत्र और मंडी डजेल के सुंदर नगर विधानसभा क्षेत्र में भी पायलट आज चुनावी जनसभाओं को संबोधित करेंगे।
कल पायलट ने कांगड़ा जिले के सुल्लाह, पालमपुर, नुरपुर और ज्वालामुखी विधानसभा क्षेत्रों में चुनावी जनसभाओं को संबोधित किया। पायलट के साथ उनके समर्थक चाकसू विधायक वेदप्रकाश सोलंकी भी हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव प्रार में जुटे हैं। पालमपुर में पायलट का बड़ा स्वागत हुआ। जहां सचिन पायलट को देखने भीड़ उमड़ गई। सचिन पायलट ने ट्वीट कर कहा- भाजपा के कुशासन से त्रस्त जनता अब हिमाचल की खुशहाली के लिए 12 नवंबर को हाथ के निशान पर वोट कर भाजपा को करारा जवाब देने के लिए आतुर है।
पायलट के लिए बड़ी चुनौती
सचिन पायलट की हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में अग्निपरीक्षा भी मानी जा रही है। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के गृह राज्य में कांग्रेस को चुनाव जीतना उनके सामने बड़ी चुनौती है। राजस्थान में सीएम पद की दावेदारी कर रहे पायलट की परफॉर्मेंस पर सबकी निगाहें रहेंगी। इससे पहले पायलट को उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव के दौरान प्रियंका गांधी के साथ स्टार प्रचारक बनाया गया था और उन्होंने रैली भी की थी।
गैर राजपूत और यूथ वोटर को कांग्रेस के पक्ष में साधने की कोशिश
हिमाचल प्रदेश के गैर राजपूत और यूथ वोटर्स को कांग्रेस के पक्ष में साधने के लिए कांग्रेस ने सचिन पायलट को यह अहम जिम्मेदारी सौंपी है। हिमाचल के गुर्जर भी केंद्र की एनडीए सरकार से नाराज बताए जा रहे हैं, क्योंकि एसटी में अन्य जातियों को भी शामिल कर लिया गया है। सचिन पायलट ऐसे में गुर्जर और पहले से एसटी रही जातियों की नाराजगी को कांग्रेस के पक्ष में वोट के तौर पर भुना सकते हैं। एआईसीसी ने सचिन पायलट को छत्तीसगढ़ सीएम भूपेश बघेल के साथ हिमाचल की जिम्मेदारी सौंपी है। राजस्थान सीएम अशोक गहलोत को गुजरात और पायलट को हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों में जिम्मेदारी देने को सियासी संतुलन बनाने की कोशिश के तौर पर भी देखा जा रहा है।
राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट राजस्थान की टोंक विधानसभा सीट से विधायक हैं। लेकिन पूर्व में सांसद और पंद्रहवीं लोकसभा में केंद्रीय मंत्रिपरिषद में आईटी एंड कम्युनिकेशन मंत्रालय के मंत्री रह चुके हैं। 2014 से 14 जुलाई 2020 तक राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे। राजस्थान में 2018 विधानसभा चुनाव जीत के बाद बनी गहलोत सरकार में डिप्टी सीएम रहे। 14 जुलाई 2020 को डिप्टी सीएम और पीसीसी चीफ दोनों पदों से हटा दिए गए। तब से राजस्थान में भी संघर्ष कर रहे हैं। यूथ में इनका क्रेज हैं। गुर्जर समाज के वोट बैंक को साधने में भी पार्टी इनका चुनाव में इन्हें जिम्मा देती रही है।
32.72 फीसदी राजपूत वोटर, ST केवल 5.71 फीसदी
साल 2011 की जनगणना के मुताबिक हिमाचल प्रदेश की 50.72 प्रतिशत आबादी सवर्णों की है। इनमें से 32.72 फीसदी राजपूत और 18 फ़ीसदी ब्राह्मण हैं। 25.22 फीसदी एससी, 5.71 फीसदी एसटी, 13.52 फ़ीसदी ओबीसी और 4.83 फीसदी अन्य समुदाय के लोग हैं। हिमाचल प्रदेश में मुसलिम आबादी बेहद कम बताई जाती है। इसलिए यहां विकास की राजनीति ज्यादा चलती है। क्षेत्रफल और आबादी दोनों लिहाज़ से हिमाचल प्रदेश एक छोटा राज्य है। 2011 की जनगणना के मुताबिक हिमाचल प्रदेश की आबादी 70 लाख से भी कम थी। जो 2022 में अनुमानित 75 लाख है। इनमें 95.17 फीसदी हिन्दू हैं, मुसलमान 2.18 फीसदी, सिख 1.16 फीसदी, बौद्ध 1.15 फीसदी, ईसाई 0.18, जैन 0.03, अघोषित 0.12, अन्य 0.01 फीसदी हैं।। देश की की कुल आबादी में हिमाचल प्रदेश का हिस्सा केवल 0.57 फीसदी है। यहां साक्षरता दर 80 फीसदी से ज़्यादा है।
राजपूतों का दबदबा, 6 सीएम बने, 5 राजपूत, 1 ब्राह्मण
हिमाचल प्रदेश में अब तक कुल 6 मुख्यमंत्री हुए हैं। जिनमें से 5 राजपूत और 1 ब्राह्मण रहे। डॉक्टर यशवंत सिंह परमार 1952 में हिमाचल प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री बने और लगातार 4 कार्यकाल तक सत्ता में रहे।वीरभद्र सिंह 6 बार मुख्यमंत्री बने और 22 सालों तक मुखिया के तौर पर राज किया। इन दोनों के अलावा ठाकुर रामलाल, प्रेम कुमार धूमल और वर्तमान मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर भी राजपूत जाति से हैं। बीजेपी ने ब्राह्मण नेता शांता कुमार को दो बार सीएम बनाया था। लेकिन वह कभी भी 5 साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर सके। शांता कुमार 1977 से 1980 और 1990 से 1992 तक सीएम पद पर रहे। शांता कुमार हिमाचल प्रदेश के पहले गैर-कांग्रेसी और गैर-राजपूत मुख्यमंत्री भी रहे। उन्हें हिमाचल के राजपूत मुख्यमंत्रियों में अपवाद के तौर पर ही देखा जाता है। बीजेपी के मौजूदा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी हिमाचल प्रदेश के ब्राह्मण नेता हैं। कांग्रेस के आनंद शर्मा भी हिमाचल के ही ब्राह्मण नेता हैं। लेकिन वीरभद्र सिंह के रहते वह हिमाचल प्रदेश में हाशिए पर ही रहे।