किसानों के गढ़ में भाजपा की सबसे ज्यादा मार्जिन से जीत ने कई समीकरण बदले हैं। जाहिर है कि किसानों की नाराजगी वाला परसेप्शन अब नहीं रहेगा। साथ ही, विधानसभा चुनाव 2022 के बाद से ही भाजपा और सपा की सीधी टक्कर वाली स्थितियों में भाजपा का जोश हाई साबित हुआ है।
भाजपा के लिए अब चुनौती ये है कि उसको लोकसभा चुनाव 2024 से पहले कमजोर नहीं साबित होना है। इसलिए आगामी निकाय चुनाव में 100% रिजल्ट्स के लिए 25 मंत्रियों को जिम्मेदारियां सौंपी गईं हैं।
अब आगे पढ़िए 3 पॉइंट्स में उप चुनाव जीतना भाजपा के लिए क्यों जरूरी था
1.किसानों की नाराजगी का असर खत्म
तीन कृषि कानून को वापस लिए जाने के बाद केंद्रीय राज्य गृह मंत्री अजय मिश्र टेनी के संसदीय क्षेत्र में हुए उपचुनाव में किसानों की नाराजगी देखी गई। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे किसानों को कुचलने के आरोप में जेल में बंद है। गोला गोकर्ण नाथ विधानसभा में हुए चुनाव में अगर भाजपा कमजोर नजर आती, तो किसानों की नाराजगी का असर लोकसभा चुनाव पर भी पड़ सकता था।
अब सबसे ज्यादा मार्जिन से मिली जीत ने किसानों की नाराजगी जैसी बातों को नकारने का भाजपा का नया आधार दिया है।
2.विपक्ष की एकता भाजपा उम्मीदवार के आगे नहीं दिखी
कांग्रेस के उम्मीदवार और बसपा के उम्मीदवार न उतारने की बात भी सपा के उम्मीदवार अब तक के सबसे ज्यादा मार्जिन वोट से चुनाव हार गए। विपक्ष की एकता भाजपा के उम्मीदवार के सामने तो नहीं दिखाई पड़ी। ना ही भाजपा के उम्मीदवार के जीत का समीकरण बिगाड़ने में सफल रही।
राजनीतिक जानकार कहते हैं कि 2019 में विपक्ष की एकता लोकसभा चुनाव में दिखी थी। कांग्रेस कोट विपक्षी दल के उम्मीदवार में तो ट्रांसफर नहीं हुआ। लेकिन सपा के आरोप यह बताते हैं कि बसपा को वोट जरूर भाजपा में ट्रांसफर हुआ है। इसे आगामी लोकसभा चुनावों से पहले विपक्ष में बिखराव के रूप में भी देखा जा सकता है।
3.भाजपा की रणनीति के सामने विपक्ष ढेर
राजनीतिक पंडित मानते हैं कि भाजपा छोटे चुनाव को भी पूरी ताकत से लड़ती है। भाजपा और सपा के बीच 2022 के विधानसभा चुनाव सीधी टक्कर हुई थी। सपा और भाजपा के उम्मीदवार भी ब्राह्मण वर्ग से थे। चुनाव के समीकरण में भाजपा ने जो रणनीति तैयार की उसको सपा के स्थानीय नेता भेद नहीं पाए। राजनीतिक जानकारों का यह भी मानना है यह चुनाव भाजपा आगामी निकाय चुनाव को देखते हुए अपने आत्मविश्वास बनाए रखने और कार्यकर्ताओं में जोश बरकरार रखने के लिए ज्यादा ताकत से लड़कर जीतने का लक्ष्य रखा था।
अब पॉलिटिकल दांव पेंच को भी समझते हैं
बसपा का प्रत्याशी नहीं, वोट ट्रांसफर का आरोप लगा
गोला गोकर्ण नाथ उपचुनाव के बाद आए परिणाम पर सपा नेता प्रक्रिया देते हुए कहा इस बार फिर भाजपा के लिए बसपा ने वोट ट्रांसफर करने का कार्य किया। सपा ने आरोप लगाया कि हर बार चुनाव की तरीके से बसपा भाजपा के लिए वोट ट्रांसफर का काम करती है। ऐसा ही गोला गोकर्ण नाथ उप चुनाव में हुआ।
सपा ने साफ आरोप लगाया कि बसपा भाजपा के लिए चुनाव लड़ रही है। बसपा से बगावत करके सपा में शामिल हुए एक नेता ने कहा आजमगढ़ लोकसभा चुनाव में बसपा ने अपना उम्मीदवार उतारा था। लेकिन लखीमपुर खीरी के गोला गोकर्ण नाथ विधानसभा में अपना प्रत्याशी नहीं उतार कर, यह साफ संदेश दिया कि यह सभी वोट भाजपा को ट्रांसफर किया जाए।
उप चुनाव के नतीजों का फायदा निकाय चुनाव
निकाय चुनाव को लेकर भाजपा ने तैयारियां तेज कर दी है। अपने सभी मंत्रियों के अलावा पदाधिकारियों को भी जिला और शहरों में जिम्मेदारी सौंपी है। भाजपा से जुड़े एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया इस बार आगामी निकाय चुनाव में भाजपा सभी महापौर की सीट जीतने का लक्ष्य लेकर चल रही है। इसकी जिम्मेदारी कैबिनेट मंत्री से लेकर डिप्टी सीएम और मुख्यमंत्री को भी दी गई है।
अब मैनपुरी और रामपुर विधानसभा पर नजर
उपचुनाव के बाद मैनपुरी लोकसभा पर और रामपुर विधानसभा उपचुनाव होगा। सपा के गढ़ कहे जाने वाले आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा चुनाव में भाजपा ने जीत हासिल कर कर साफ संदेश दिया है कि वह कोई भी चुनाव जीतने के लिए लड़ते हैं। वरिष्ठ पत्रकार परवेज अहमद बताते हैं कि भाजपा चुनाव में हर समीकरण को ध्यान में रखकर प्रत्याशी उतारती है और फिर अपने वोटरों के साथ-साथ अन्य पार्टियों के वोट बैंक में कैसे सेंध लगाकर खुद उन ट्रांसफर पाने का फार्मूला अपनाती है। आगे यह देखना अब खास होगा कि मैनपुरी लोकसभा में भाजपा किस उम्मीदवार को उतारती है और आजम खान की सीट पर भाजपा चुनाव जीतने के लिए क्या फार्मूला अपनाती है।
अब भाजपा के फार्मूले पर नजर डालते हैं
सपा का गढ़ भी नहीं रहा आजम, योगी ने खिलाया कमल का फूल
योगी आदित्यनाथ के कार्यों ने लोकसभा उपचुनावों में भी सपा को आजम का गढ़ नहीं बनने दिया। यहां भी कमल का फूल खिलाया। अखिलेश यादव की छोड़ी सीट आजमगढ़ पर सपा ने धर्मेंद्र यादव को उतारा था, जबकि भाजपा ने भोजपुरी स्टार दिनेश लाल यादव निरहुआ को उम्मीदवार बनाया। उपचुनाव में जनता ने योगी सरकार के भेदभाव रहित कार्यों पर वोट के रूप में मुहर लगाई। यहां निरहुआ ने सपा परिवार के सदस्य धर्मेंद्र यादव को धूल चटा दी। कमोबेश यही हाल आजम खां की प्रतिष्ठा वाली सीट रामपुर में भी योगी ने कमल खिलाय़ा। यहां घनश्याम लोधी ने आसिम रजा को शिकस्त दी। अल्पसंख्यक क्षेत्रों में भी कमल का फूल खिला।
1996 से 2012 तक सपा के पास थी सीट, 2017 से भाजपा के नाम
गोला गोकर्णनाथ की यह सीट 1996 से 2012 तक समाजवादी पार्टी के पास थी। 2007 तक अरविंद गिरि यहां सपा से विधायक रहे। 2012 में विनय तिवारी ने सपा से यहां जीत दर्ज की, लेकिन 2017 में कमल खिला तो यहां अरविंद गिरि भाजपा से विधायक बने। इसके बाद योगी आदित्यनाथ के सुशासन पर जनता की मुहर लगती रही। नतीजतन 2017, 2022 विधानसभा व 2022 उपचुनाव में यहां कमल के फूल ने हैट्रिक लगाई।
सीएम ने गोला गोकर्णनाथ को बताई थी महत्वपूर्ण सीट
अमन गिरि के पक्ष में जनसभा करने पहुंचे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोला गोकर्ण नाथ के लोगों से कहा था कि यह सीट हमारे लिए काफी महत्वपूर्ण है। लखीमपुर खीरी में जनता ने सिर्फ भाजपा पर ही भरोसा जताया है। यहां सभी विधायक हमारे हैं। यहां का संपूर्ण विकास ही हमारा ध्येय है। जनता ने उप चुनाव में भी योगी का यह विश्वास टूटने नहीं दिया और अमन गिरि को बड़ी जीत दिलाकर लखनऊ भेजने का मार्ग प्रशस्त कर दिया।
सीएम ने कहा था कि बाबा गोकर्णनाथ के मंदिर को काशी के तर्ज पर कॉरिडोर के रूप में दर्शनीय बनाने की योजना तो प्रारंभ हो गई। स्व. अरविंद गिरि इस सपने के साक्षी तो जरूर रहे, लेकिन उनका सपना हम पूरा करेंगे। हम लोग ही इसकी आधार शिला रखने आएंगे। छोटी काशी को वास्तविक रूप देंगे। आस्था के लिए संत के मुख से निकले यह वाक्य लखीमपुर की जनता ने सिर माथे पर लगा लिए।
विधानसभा से अधिक वोटों से मिली उपचुनाव में जीत
2022 में भाजपा ने 29294 वोटों से जीत दर्ज की थी, वहीं उपचुनाव में यह आंकड़ा बढ़कर 34298 हो गया। वहीं महज 9 महीने में सपा का जनाधार भी गिरा। 2022 में सपा प्रत्याशी को 97240 वोट मिले थे, जबकि उपचुनाव में घटकर 90512 वोट ही प्राप्त हुए।
पहले योजनाओं से जोड़ा, फिर वोटरों के पास पहुंचे सीएम प्रदेश की इस सीट पर यह जीत यूं हीं नहीं है। 2017 में यहां से निर्वाचित विधायक अरविंद गिरि ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार की योजनाओं से हर जरूरतमंदों को जोड़ा।