नई दिल्ली: भारत की क्रिएटर्स की इकॉनमी लगातार फलफूल रही है. यूट्यूब पर लोकल क्रिएटर्स सालाना अनुमानित रूप से देश के सकल घरेलू उत्पाद GDP में 6,800 करोड़ रुपये का योगदान दे रहे हैं और इस प्रक्रिया में 7 लाख नौकरियां पैदा कर रहे हैं. यह दावा है नील मोहन का, जोकि YouTube और Google के SVP के चीफ प्रोडक्ट ऑफिसर हैं.
टेक्नोलॉजी, इनोवेशन और सोसाइटी के जुड़े एक सम्मेलन CyFy 2022 में वर्चुअली भाग लेते हुए उन्होंने कहा कि भारत में क्रिएटर्स की इकॉनमी सच में बहुत अच्छा कर रही है. यह इवेंट ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन ओआरएफ द्वारा आयोजित किया गया था.
उन्होंने कहा कि YouTube न केवल रचनाकारों को अपने दर्शक बनाने की अनुमति देता है, बल्कि उनके लिए बिजनेस बनाने के लिए आर्थिक अवसर भी पैदा करेगा. YouTube एक ऐसा स्थान है, जहां सभी प्रकार के बिजनेस फल-फूल रहे हैं- खासकर छोटे बिजनेस – क्योंकि यह प्लेटफ़ॉर्म एक विज्ञापन-संचालित मीडिया प्लेटफ़ॉर्म है.
कोई लैंगिक भेदभाव नहीं
नील मोहन ने कहा कि प्लेटफॉर्म पर सभी भारतीय भाषाओं के लोगों के लिए समान अवसर हैं और किसी प्रकार का कोई लैंगिक भेदभाव भी नहीं है. उन्होंने कहा, हमारे पास ऐसे टूल हैं, जो दोनों कंटेंट क्रिएटर्स और यूजर्स के लिए अच्छा माहौल प्रदान करने में मदद करते हैं. मोहन ने कहा कि यूट्यूब एक ऐसी जगह है, जहां पूरे भारत में कंटेंट क्रिएटर्स को पहला दर्जा दिया जाता है.
इसलिए सरकार की नजर जरूरी!
YouTube के मुख्य उत्पाद अधिकारी ने कहा, इसे समावेशी और विविधतापूर्ण बनाना हमारी प्राथमिकता है. क्रिएटर्स अर्थव्यवस्था भारत में करोड़ों लोगों को प्रभावित करती है और इसलिए सरकारों के लिए इन प्लेटफार्मों पर क्या होता है, इसकी परवाह करना स्वाभाविक है.
उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी प्रमुख हितधारकों, सरकारों और YouTube पर है कि मंच का उपयोग गलत सूचना फैलाने के लिए न हो. मोहन ने कहा, यूट्यूब एक ऐसी जगह है जहां लोग नीतिगत परिणामों के संदर्भ में राय और दृष्टिकोण साझा करने के लिए आते हैं. यहां चुनावी अखंडता, गलत सूचना और हिंसा को रोकने के प्रति हमारा दृष्टिकोण स्पष्ट है.