मल्लिकार्जुन खड़गे ने कांग्रेस के नए अध्यक्ष के तौर पर बुधवार को दिल्ली में पदभार ग्रहण कर लिया। इसी के साथ खड़गे ने अपने भाषण में कांग्रेस को मजबूत करने की बात कही। मगर खड़गे ने जिन बातों पर सबसे ज्यादा फोकस किया वो थी राजस्थान के उदयपुर में हुए चिंतन शिविर के ब्लू प्रिंट को लागू करना और पार्टी में युवाओं की भागीदारी को बढ़ाना। खड़गे के भाषण से यह साफ होता है कि कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस अध्यक्ष का फोकस पार्टी में युवाओं को मजबूती देने पर है। ऐसे में इसका राजस्थान पर क्या और कैसे असर पड़ेगा यह देखना रोचक होगा।
पहले जान लीजिए खड़गे ने अपने भाषण में क्या कहा
खड़गे ने भाषण में कहा कि उदयपुर में जो ब्लू प्रिंट लागू हुआ था उसे लागू करने की जिम्मेदारी हम सब पर है। उदयपुर में हमने तय किया था कि युवाओं को आगे बढ़ाया जाएगा। संगठन में 50 प्रतिशत पद 50 की उम्र से कम लोगों को देंगे। इसके अलावा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को सशक्त किया जाएगा। ब्लॉक, जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर खाली पदों को भरा जाएगा।
खड़गे ने कहा कि उदयपुर संकल्प में जो निर्णय लिया है। पब्लिक इनसाइट डिपार्टमेंट, एआईसीसी इलेक्शन मैनेजमेंट डिपार्टमेंट बनाए जाएंगे। सभी राज्यों में जल्द ही पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी बनेगी।
खड़गे के भाषण में उनका पूरा फोकस युवाओं पर था। साथ ही यह भी कहा कि देशभर में ब्लॉक से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक संगठन में जो भी नियुक्तियां नहीं हुई हैं, उन्हें भरा जाएगा। ऐसे में अगर इसे राजस्थान के संदर्भ में देखा जाए तो कई मायने निकलते हैं। सियासी जानकारों का कहना है कि अगर पार्टी युवाओं वाला फॉर्मूला लागू करती है तो इसका बड़ा असर राजस्थान की राजनीति पर देखने को मिलेगा।
पार्टी युवाओं पर फोकस्ड, गहलोत का झुकाव अनुभव पर
खड़गे दिल्ली में जिस वक्त बयान दे रहे थे तब राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत उनके ठीक सामने थे। गहलोत के सामने ही खड़गे ने युवाओं पर फोकस की बात की। एक ओर जहां कांग्रेस पार्टी का फोकस पूरी तरह युवाओं पर नजर आता है। वहीं दूसरी ओर गहलोत लगातार अनुभव की वकालत करते आए हैं। हाल ही में कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव के दिन सहित कई मौकों पर गहलोत ने अनुभव की वकालत की।
गहलोत लगातार बोलते आ रहे हैं कि अनुभव की जगह कोई नहीं ले सकता। युवाओं को आईना दिखाने के लिए वे रगड़ाई शब्द का भी उपयोग करते हैं। कुल मिलाकर गहलोत के बयानों का सार युवाओं के मुकाबले अनुभव को तरजीह देने पर निकलता है। वहीं दूसरी ओर पार्टी का फोकस उनकी सोच से विपरीत है। ऐसे में आने वाले समय में सोच का यह अंतर राजस्थान में कितना असर डालेगा इस पर सभी की नजरें होंगी।
डेलिगेट्स में भी गहलोत की चली, युवा कम
हाल ही में कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव के लिए हर विधानसभा से पीसीसी सदस्य चुने गए थे। इसमें 414 डेलिगेट्स में से ज्यादातर अशोक गहलोत के नजदीकी थे। इसमें गहलोत का प्रभाव साफ तौर पर देखा गया था। इनमें भी युवा डेलिगेट्स की संख्या काफी कम थी। इसके अलावा गहलोत के मंत्रिमंडल और निगम और बोर्ड की नियुक्तियों में भी ज्यादातर चेहरे उम्रदराज और अनुभवी हैं। इनमें भी युवा कम ही नजर आते हैं। इसके अलावा पीसीसी में भी युवाओं की संख्या ज्यादा नहीं है।
संगठन में युवाओं को मौका
राजस्थान में सिर्फ पीसीसी की कार्यकारिणी के अलावा बड़ी संख्या में जिलाध्यक्ष, ब्लॉक अध्यक्ष सहित डीसीसी की पूरी कार्यकारिणी खाली पड़ी है। ऐसे में अब अगर उनमें नियुक्तियां होंगी तो 50 प्रतिशत पद 50 से कम उम्र के युवाओं में खाते में जाएंगे। ऐसे में राजस्थान में संगठन में बड़ी संख्या में युवाओं को मौका मिल सकता है।
राजस्थान में युवा बनाम अनुभव की लड़ाई साफ है। ऐसे में पार्टी जिस एजेंडे पर चल रही है उससे सचिन पायलट को फायदा होता दिखता है। माना जा रहा है कि सियासी संकट और नए कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद राजस्थान के संगठन में बड़े बदलाव होंगे। ऐसे में पीसीसी चीफ से लेकर जिला स्तर तक राजस्थान में युवाओं को मौका मिल सकता है। पायलट के समर्थन में जो लोग हैं उनमें ज्यादातर युवा विधायक और कार्यकर्ता हैं। ऐसे में इसे पायलट के लिए एक सकारात्मक संकेत के रूप में देखा जा रहा है।
राजस्थान से बदलाव का संकेत दे सकती है कांग्रेस
कांग्रेस ने उदयपुर में जो संकल्प लिया था। उस पर काम करने का संकेत कांग्रेस राजस्थान से दे सकती है। इसकी बड़ी वजह राजस्थान में चल रहा सियासी संकट और अगले साल के चुनाव है। कांग्रेस के जानकारों का मानना है कि गुजरात और हिमाचल में चुनाव बेहद नजदीक है। वहीं कर्नाटक में भी मार्च में चुनाव होने है। ऐसे में इन राज्यों में कांग्रेस ज्यादा छेड़छाड़ से बचना चाहेगी। वहीं राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ सहित 5 राज्यों में दिसम्बर 2023 में चुनाव होने हैं। इसके लिए सालभर से ज्यादा का समय फिलहाल कांग्रेस के पास है। ऐसे में इन राज्यों में अपने नए ब्लू प्रिंट को अप्लाई कर कांग्रेस बदलाव के संकेत दे सकती है। वहीं सियासी संकट के चलते राजस्थान पर कांग्रेस का सबसे ज्यादा फोकस रहेगा।
राजस्थान प्रभारी पद से अजय माकन का इस्तीफा:पायलट का पक्ष लेने के आरोप लगे थे, नए सिरे से बनेंगे सभी पदाधिकारी
मल्ल्किार्जुन खड़गे के कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष बनते ही राजस्थान के प्रभारी महासचिव अजय माकन ने इस्तीफा दे दिया है। माकन सहित सभी सीडब्ल्यूसी सदस्यों, महासचिवों, प्रभारियों ने भी इस्तीफे दिए हैं। अब खड़गे नए सिरे से इन पदों पर नियुक्तियां करेंगे। राजस्थान से सीडब्ल्यूसी सदस्य रघुवीर मीणा, पंजाब प्रभारी हरीश चौधरी, गुजरात प्रभारी रघु शर्मा, प्रभारी महासचिव भंवर जितेंद्र सिंह ने भी नए कांग्रेस अध्यक्ष को इस्तीफा सौंप दिया है