सीएम योगी ने गुरुवार को KGMU में एशिया की पहली पैथोजेन रिडक्शन मशीन का लोकार्पण किया। इससे अब फेफड़े के कैंसर सहित छाती से जुड़ी बीमारियों की सर्जरी आसानी से हो सकेगी। नसों से जुड़ी बीमारियों के मरीजों को भी लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा।
CM ने कहा कि स्वस्थ के क्षेत्र में KGMU का बड़ा योगदान रहा है। kGMU परिवार को इस बात के लिए भरोसा देता हूं,सरकार के पास पैसे की कमी नही है। बल्कि आपको उस दिशा में कार्य करना होगा। KGMU को सुपर स्पेशलिटी की ओर बढ़ना चाहिए।
देश के सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज में नए परिवर्तन होते हम देख रहे हैं। उन्नति और अवनति क्या होता है,बीज जब बढ़ता है तो उन्नति होता है,बीज पड़े पड़े सड़ जाए तो अवनति होती है।
कोरोना महामारी में उस स्थिति को देखा है,एक मेडिकल कॉलेज की कर्मी को हमने अपने बीच से जाते हुए देखा। उसके लंग्स के इलाज के लिए 1 करोड़ 20 लाख की जरूरत थी।
उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में हम उन्नति के वाहक बने। यह हमारा लक्ष्य होना चाहिए। KGMU के 100 वर्षों में काफी प्रगति भी की है, साथ ही ठहराव कहां आया है। इसकी समीक्षा भी करनी होगी। कार्यक्रम के दौरान उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक और KGMU के वाइस चांसलर प्रोफेसर बिपिन पुरी भी मौजूद रहे।
KGMU में CM योगी ने NAAC मूल्यांकन की बात उठाई
सीएम ने कहा कि नेशनल मेडिकल काउंसिल के नई शर्तो में बदलाव आया है। उनकी शर्तो में काफी सरलता आई है। NAAC के मूल्यांकन की बात होती है। यहां मरीजों की बड़ी संख्या रोज आती है। हमे अपने रिसर्च पेपर ठीक से सिस्टेमेटिक ढंग से बनाना होगा। यहां लगने वाली ये मशीन प्रदेश नही, भारत नही,बल्कि एशिया की पहली मशीन है,जो लंग्स के लिए काफी मददगार होगी।
छोटे-छोटे मरीजों को लखनऊ रेफर किया जाता है। आज हर जिले में मेडिकल कॉलेज का निर्माण हो रहा है। लोगों को टेली कंसल्टेंसी के साथ जुड़ना होगा। एक मरीज गोरखपुर, झांसी,प्रयागराज, सोनभद्र से लखनऊ आए। तो उसके जीवन के साथ खिलवाड़ न हो।
उन्होंने कहा कि मेडिकल क्षेत्र में नए प्रयोग करने की आवश्यकता है, ये आपके लिए एक नए अवसर तरीके से होगा। हमे अपने पेपर वर्क को मजबूत करना होगा,इं टरनेशनल जनरल्स में आपके आर्टिकल्स संस्मरण प्रकाशित हों तो ये आपके NAAC की ग्रेडिंग में सहायक होगा। सीएम ने कहा कि KGMU में मरीजों का लोड बहुत ज्यादा है। बावजूद इसके कुल मिलाकर अच्छा उपचार मुहैया किया जा रहा है। यहां के डॉक्टरों के लिए यह अवसर के समान हैं।
अलग - अलग तरीकों के मरीज के उपचार के दौरान चिकित्सक खुद के अनुभव में भी इजाफा कर सकते हैं। उपचार के दौरान रिसर्च वर्क पर भी फोकस की जरूरत हैं।
उन्होंने कहा कि KGMU हर एक डिपार्टमेंट और सभी फैकल्टी का रिसर्च वर्क इंटरनेशनल जर्नल और पब्लिकेशन में आना चाहिए। 100 साल से ज्यादा पुरानी इस संस्थान को जब ऐसे आप आगे बढ़ाएंगे तो निश्चित है कि NAAC जैसे मूल्यांकन में आपको बेहतरीन रैंकिंग और रेटिंग हासिल होगी
लंबी वेटिंग से मिलेगा मरीजों को राहत
इससे पहले AIIMS, SGPGI सहित देशभर के चिकित्सा संस्थानों में अभी तक कार्डियो, थोरेसिक एंड वस्कुलर CTVS विभाग हैं। यहां पूरा फोकस कार्डियक सर्जरी पर रहता है। यूपी में आम तौर पर इस तरह के मरीजों की लंबी सूची होती है। इसी को देखते हुए केजीएमयू ने इन विभागों को अलग-अलग करने का फैसला लिया। अभी देश में सिर्फ चेस्ट इंस्टीट्यूट, नई दिल्ली और बंगलूरू में ही अलग से थोरेसिक सर्जरी विभाग है।
कैंसर का जल्द शुरू होगा इलाज
थोरेसिक सर्जरी के विभागाध्यक्ष प्रो. शैलेंद्र सिंह यादव ने बताया कि विभाग की ओपीडी व ऑपरेशन थियेटर अलग हैं। यहां फेफड़े के कैंसर व उससे जुड़ी विभिन्न तरह की सर्जरी, एसोफेगास सर्जरी, चेस्ट वाल्व सहित हृदय के आसपास के अन्य अंगों का समुचित इलाज हो सकेगा। बताया कि फेफड़े के कैंसर की पहचान अंतिम स्टेज में हो पाती है।
अलग विभाग होने से मरीज सीधे यहां पहुंचेगा और समय से इलाज शुरू होगा। विभाग में नए शोध होंगे। ज्यादा से ज्यादा विशेषज्ञ भी तैयार होंगे।
नस कटने से मौत की दर होगी कम
वस्कुलर सर्जरी के विभागाध्यक्ष प्रो. अंबरीश कुमार ने बताया कि यदि छह घंटे के अंदर नस कटने का इलाज शुरू हो जाता है तो उससे जुड़े अंग को बचाया जा सकेगा।
रक्त स्राव से मरीज की मौत की दर कम होगी। गैंग्रीन, स्ट्रोक और कैरोटिड धमनी स्टेनोसिस, डीप ब्रेन थ्रोमोसिस, डायलिसिस रोगियों का इलाज भी तत्काल हो सकेगा। नसों की खराबी की वजह से कैंसर मरीजों का उपचार प्रभावित नहीं होगा।