दिल्ली-NCR; जहरीली हवा में घुटने लगा दम, एलर्जी-सांस संबंधी मरीजों की आई बाढ़

दिल्ली-NCR; जहरीली हवा में घुटने लगा दम, एलर्जी-सांस संबंधी मरीजों की आई बाढ़

नई दिल्ली: दिल्ली-एनसीआर में दिवाली के बाद से वायु प्रदूषण बढ़ गया है और यहां की हवा जहरीली हो गई है. इसकी वजह से एलर्जी और सांस संबंधी बीमारियों के मामलों में बढ़ोतरी आई है और अस्पतालों में ऐसे मरीजों की भीड़ बढ़ गई है. दिल्ली-एनसीआर में हवा की गुणवत्ता बिगड़ने और जहरीले धुंध के छाने की वजह से खांसी, सांस फूलना, आंखों में खुजली-जलन और अस्थमा अटैक जैसे मामले बढ़ गए हैं और डॉक्टर्स अभी से ही अस्पतालों में आपात स्थिति से जूझने लगे हैं.


स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो दिल्ली-एनसीआर में खांसी और सांस फूलने की शिकायतों के साथ-साथ सांस की बीमारियों और एलर्जी में वृद्धि देखी जा रही है. हालांकि, दिल्ली-एनसीआर के लिए दिवाली के आसपास यानी अक्टूबर-नवंबर में यह कोई नई घटना नहीं है, क्योंकि राष्ट्रीय राजधानी के आसपास का क्षेत्र हर साल दिवाली के मौके पर एक गंभीर प्रदूषण संकट का सामना करता है. सर्दियों की शुरुआत के साथ ही दिल्ली-एनसीआर में पटाखों और पराली के जलने की वजह से वायु प्रदूषण बढ़ जाता है और यहां की हवा जहरीली हो जाती है.


फरीदाबाद स्थित अमृता अस्पताल में पल्मोनरी मेडिसिन के प्रमुख डॉ अर्जुन खन्ना ने बताया कि पिछले कुछ हफ्तों में खांसी और सांस लेने में तकलीफ के साथ आने वाले मरीजों की संख्या में जबरदस्त वृद्धि हुई है. अन्य डॉक्टरों ने भी माना है कि बीते कुछ समय में खांसी और सांस संबंधी मरीजों की संख्या में वृद्धि आई है. नई दिल्ली में फोर्टिस एस्कॉर्ट्स के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. अवि कुमार ने कहा कि हमारे ओपीडी में आने वाले मरीजों में उनकी संख्या अधिक है, जिन्हें खांसी, घरघराहट और सांस फूलना, नाक बहना, बंद नाक, गले और आंखों में खुजली के लक्षण हैं. अवि कुमार ने कहा कि अस्थमा और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज सीओपीडी के साथ-साथ फेफड़ों में संक्रमण और निमोनिया जैसे लक्षणों के साथ मरीज इमरजेंसी विंग में आ रहे हैं.


डॉक्टरों ने चेताया

डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि पहले से मौजूद फेफड़ों की बीमारियों जैसे सीओपीडी, अस्थमा, इंटरस्टिशियल लंग डिजीज और गंभीर पोस्ट-कोविड सीक्वेल के मरीजों को वायु प्रदूषण में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है. विशेषज्ञों ने आगाह किया कि खराब वायु गुणवत्ता इंसानों के प्रतिरक्षा प्रणाली को गहराई से प्रभावित करती है और किसी व्यक्ति के पूरे स्वास्थ्य को खराब कर सकती है. उनका मानना ​​है कि वायु प्रदूषण का प्रभाव केवल श्वसन संबंधी समस्याओं तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इससे अन्य स्वास्थ्य समस्याएं भी हो सकती हैं, जैसे इंसुलिन प्रतिरोध या दिल का दौरा.


प्रदूषण से मधुमेह और स्ट्रोक का भी खतरा

दिल्ली में इंडियन स्पाइनल इंजरी सेंटर के आंतरिक चिकित्सा सलाहकार डॉ. राज कुमार ने बताया कि कुछ अध्ययनों से पुष्टि होती है कि प्रदूषण के संपर्क में आने से इंसुलिन प्रतिरोध भी हो सकता है, जो मधुमेह का कारक है. इतना ही नहीं, इंसुलिन प्रतिरोध से स्ट्रोक का खतरा भी बढ़ता है. उन्होंने कहा कि जहां प्रदूषण अस्थमा और सीओपीडी जैसे श्वसन संबंधी समस्याओं को बढ़ाता है, वहीं लगातार श्वसन संबंधी समस्याएं हृदय रोग का कारण बन सकती हैं. उन्होंने भी माना कि प्रदूषण की वजह से उपजी बीमारी वाले मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है.


आंख संबंधी बीमारी में भी इजाफा

नेत्र रोग विशेषज्ञ भी मान रहे हैं कि बढ़ते वायु प्रदूषण के साथ आंखों से संबंधित बीमारियों की शिकायतों में भी इजाफा हुआ है. सेंटर फॉर साइट ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स के डायरेक्टर डॉ. महिपाल सचदेव ने कहा कि आंखें बहुत संवेदनशील होती हैं और हवा में एलर्जी, रसायनों और प्रदूषकों से जलन होती है. वास्तव में प्रदूषकों के उच्च स्तर और पीएम2.5 के स्तर में वृद्धि के कारण आंखों में साधारण जलन से लेकर गंभीर एलर्जी तक की कई समस्याएं हो रही हैं. उन्होंने चेताया कि कुछ स्थितियां गंभीर भी हो सकती हैं. हवा में सल्फर ऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड की उपस्थिति आंखों की टियर फिल्म को और अधिक अम्लीय बनाते हैं. हम उच्च स्तर के प्रदूषकों के साथ आखों में लाली, खुजली और जलन देख सकते हैं या अनुभव कर सकते हैं. यह आंखों की एलर्जी और कंजक्टिवाइटिस का कारण भी बन सकता है, जिसका अगर समय पर इलाज नहीं किया गया, तो दृष्टि को प्रभावित करने वाली कॉर्निया की समस्या भी हो सकती है.


प्रजनन संबंधी समस्याओं का भी जड़ बन सकता है प्रदूषण

इतना ही नहीं, वायु प्रदूषण के इजाफे से प्रजनन समस्याएं भी हो सकती हैं. गुंजन आईवीएफ वर्ल्ड ग्रुप की संस्थापक और अध्यक्ष डॉ गुंजन गुप्ता गोविल ने बताया कि इस तरह की जहरीली हवा में शुक्राणुओं का अध: पतन होता है और स्पर्म काउंट में भी काफी कमी आती है, जिससे गर्भधारण के दौरान समस्या आ सकती है. उन्होंने आगे बताया कि प्रदूषित हवा से महिलाओं का प्रजनन स्वास्थ्य भी समान रूप से खतरे में है. प्रदूषण की वजह से बांझपन के भी मामले सामने आते रहते हैं.


खुद को कैसे रखें सेफ

दिल्ली-एनसीआर की जहरीली हो रही हवा के बीच विशेषज्ञों ने भीड़-भाड़ वाली जगहों से बचने के अलावा एयर प्यूरीफायर जहां भी संभव हो के इस्तेमाल का सुझाव दिया. फोर्टिस के अवि कुमार ने सुझाव दिया कि लोगों को खूब सारे तरल पदार्थ पीने चाहिए. विशेषज्ञों ने कहा कि कोरोना कहर के बीच वायु प्रदूषण भी हेल्थ संबंधी जोखिमों को बढ़ा रहा है. डॉक्टरों ने सलाह दी कि मरीजों को बाहर निकलते समय मास्क पहनना चाहिए और सुबह की सैर से बचना चाहिए. साथ ही एक्सपर्ट ने संतुलित पौष्टिक आहार खाने और बेहद जरूरी होने पर ही बाहर निकलने की सलाह दी है.


 tihzur
x01mp3rx0z@mailto.plus, 11 December 2022

 583oqr
yhfee@chitthi.in, 10 June 2023

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