वाराणसी में आज भोर 4 बजे से देवी अन्नपूर्णा की स्वर्णमयी प्रतिमा का दर्शन-पूजन शुरू हो गया है। श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के पास स्थित मंदिर में देवी अन्नपूर्णा के श्रृंगार और मंगला आरती के बाद जब कपाट खुले तो दो दिन से लाइन में लगे श्रद्धालुओं की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। एक किलोमीटर से ज्यादा लंबी लाइन देखने को मिली। श्रीकाशी विश्वनाथ धाम और उसके आसपास का पूरा इलाका मां अन्नपूर्णा की जय और हर-हर महादेव के उद्घोष से गूंज उठा।
यह देश का एकमात्र देवी अन्नपूर्णा का ऐसा मंदिर है जहां साल भर में सिर्फ चार दिन यानी धनतेरस से अन्नकूट तक मां का खजाना बांटा जाता है। इसके अलावा, इस बार पहली बार श्रीकाशी विश्वनाथ धाम स्थित देवी अन्नपूर्णा के मंदिर से भी भक्तों को खजाना बांटा जा रहा है। यहां 108 वर्ष बाद पिछले साल नवंबर महीने में देवी अन्नपूर्णा की कनाडा से आई प्रतिमा की स्थापना की गई है।
देवी अन्नपूर्णा ने भोलेनाथ को भोजन कराया था
पुराणों के अनुसार, देवी अन्नपूर्णा तीनों लोकों की अन्न की माता हैं। उनके आशीर्वाद से धन-धान्य की कभी कमी नहीं होती है। मां अन्नपूर्णा ने स्वयं काशी में बाबा विश्वनाथ को अपने हाथ से भोजन कराया था।
मंदिर के महंत शंकर पुरी ने बताया कि अन्नपूर्णा मंदिर में आदि शंकराचार्य ने अन्नपूर्णा स्त्रोत की रचना करने के बाद ज्ञान वैराग्य प्राप्ति की कामना की थी। मंदिर से जुड़ी यह मान्यता भी है कि काशी में भीषण अकाल पड़ा था तो भगवान शिव ने मां अन्नपूर्णा का ध्यान कर उनसे भिक्षा मांगी थी। तब मां अन्नपूर्णा ने यह कहा था कि काशी में अब कोई भूखा नहीं सोएगा।
तीन देवियां स्वर्णमयी स्वरूप में विराजमान
मंदिर के महंत शंकर पुरी ने बताया कि यह देश का इकलौता मंदिर है जो श्री यंत्र के आकार का है। यह देश का एक अकेला मंदिर है जहां माता अन्नपूर्णेश्वरी देवी, माता भूमि देवी और माता लक्ष्मी देवी एक साथ स्वर्णमयी स्वरूप में विराजमान हैं। उनके पास ही भोलेनाथ की चांदी की प्रतिमा है। इन तीनों देवियों के एक साथ दर्शन से सुख-समृद्धि मिलती है।
गोदौलिया से मैदागिन तक नो व्हीकल जोन
देवी अन्नपूर्णा के दर्शन-पूजन के लिए श्रद्धालुओं की लाइन 21 अक्टूबर की रात से ही लग गई थी। रविवार की भोर मंदिर के कपाट खुले तो भक्तों का हुजूम अनियंत्रित हो गया। पुलिस ने भारी मशक्कत के बाद श्रद्धालुओं को नियंत्रित करने में सफलता पाई।
देवी अन्नपूर्णा के दर्शन को देखते हुए गोदौलिया से मैदागिन तक का इलाका नो व्हीकल जोन घोषित किया गया है। उधर, इस बार पहली बार देवी अन्नपूर्णा के दर्शन की व्यवस्था दो जगह होने के कारण कई श्रद्धालु असमंजस की स्थिति में भी दिखे कि प्राचीन मंदिर आखिरकार कौन-सा है।
25 अक्टूबर को साढ़े पांच घंटे बंद रहेगा मंदिर
महंत शंकर पुरी ने बताया कि मंदिर के प्रथम तल में स्थित देवी अन्नपूर्णा की स्वर्णमयी प्रतिमा के सामने भोले बाबा भिक्षा मांग रहे हैं। धनतेरस की उदया तिथि में आज यानी 23 अक्टूबर की भोर के समय 3 बजे मंदिर में पूजा शुरू हुई। 4 बजे भक्तों के लिए कपाट खोल दिया गया था। भक्तों को प्रसाद स्वरूप चांदी के सिक्के दिए जा रहे हैं। 23 और 24 अक्टूबर को सुबह 4 बजे से रात 11 बजे तक भक्त दर्शन-पूजन करेंगे।
25 अक्टूबर को सूर्यग्रहण के कारण दोपहर 2 बजे मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाएंगे। मोक्ष के एक घंटे बाद शाम 7:30 बजे मंदिर के कपाट फिर खोल दिए जाएंगे। 26 अक्टूबर को अन्नकूट मनाया जाएगा और देवी अन्नपूर्णा को 56 भोग अर्पित किया जाएगा। उस दिन भी सुबह 4 बजे से रात 11 बजे तक दर्शन-पूजन होगा।
काशी विश्वनाथ धाम से पहली बार बंट रहा खजाना
श्रीकाशी विश्वनाथ धाम स्थित अन्नपूर्णा मंदिर से भी इस बार पहली बार अन्न-धन का खजाना बांटा जा रहा है। इस परंपरा की शुरुआत 23 अक्टूबर की भोर 4 बजे अभिजीत मुहूर्त में हुई। आरती के बाद देवी अन्नपूर्णा की स्वर्णमयी प्रतिमा और पिछले साल 108 साल बाद कनाडा से वापस आई देवी अन्नपूर्णा की प्रतिमा का दर्शन शुरू हुआ। यही नहीं, इस बार एक ही परिसर में देवी अन्नपूर्णा और बाबा विश्वनाथ के दर्शन भी भक्त कर रहे हैं।
दर्शनार्थियों को खजाना स्वरूप सिक्का और लावा वितरित किया जा रहा है। मिर्जापुर जिले के चुनार के बलुआ पत्थर से बनी 18वीं शताब्दी की मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा वर्ष 1913 में काशी से चोरी हुई थी। इस प्रतिमा में मां के एक हाथ में खीर का कटोरा और दूसरे हाथ में चम्मच है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयास से कनाडा से भारत आई मां की प्रतिमा 11 नवंबर 2021 को दिल्ली में उत्तर प्रदेश सरकार को सौंपी गई थी।