वाराणसी के सिविल जज सीनियर डिवीजन महेंद्र कुमार पांडेय की फास्ट ट्रैक कोर्ट में भगवान आदि विश्वेश्वर विराजमान के मुकदमे की नियमित सुनवाई शुरू हो गई है। अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी की ओर से आज अदालत में दलील पेश की जाएगी कि यह मुकदमा सुनवाई योग्य नहीं है।
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट तय करेगा कि मुकदमा सुनवाई योग्य है या नहीं है। यह मुकदमा विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह विसेन की पत्नी किरन सिंह विसेन ने 24 मई 2022 को दाखिल किया गया था।
किरन सिंह विसेन ने 3 मांग की है
ज्ञानवापी परिसर में मुस्लिम पक्ष का प्रवेश प्रतिबंधित किया जाए।
ज्ञानवापी का पूरा परिसर हिंदुओं को सौंपा जाए।
ज्ञानवापी परिसर में मिले आदि विश्वेश्वर के शिवलिंग की नियमित पूजा-पाठ, शृंगार और राग-भोग का अधिकार दिया जाए।
मुकदमे में 5 प्रतिवादी हैं
जितेंद्र सिंह विसेन ने बताया कि इस मुकदमे में UP सरकार, वाराणसी के डीएम व पुलिस कमिश्नर, अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी और विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट को प्रतिवादी बनाया गया है।
मसाजिद कमेटी का क्या है दावा
अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी की ओर से मंगलवार को कोर्ट में कहा गया था कि वादी का ही कहना है कि ज्ञानवापी मस्जिद 1669 में बनाई गई थी। इस तरह से मस्जिद 353 वर्ष पुरानी है। ज्ञानवापी के प्रकरण में प्लेसेस ऑफ वर्शिप स्पेशल प्रॉविजंस एक्ट, 1991 लागू होगा। एक्ट के अनुसार देश की आजादी के दिन ज्ञानवापी परिसर का जो धार्मिक स्वरूप था वही आगे भी रहेगा। किरन सिंह का मुकदमा सुनवाई योग्य नहीं है और उनकी मांगें गलत हैं।