उज्जैन. मध्य प्रदेश के उज्जैन में आज महाकाल लोक का लोकार्पण होने जा रहा है. इस महालोक लोकार्पण के साथ ही पहली बार महाकाल स्तुति गान लॉन्च किया जाएगा. यह गान मशहूर गायक पद्मश्री कैलाश खेर ने तैयार किया है. इस गान की शुरुआत 21 ब्राह्मणों के मंत्रोच्चार के साथ होगी. कैलाश खेर 108 साथियों के साथ पीएम मोदी के सामने इसकी प्रस्तुति देंगे. इस गान में बीन बजाने के लिए नाथ संप्रदाय के 21 सपेरों को भी बुलाया गया है.
कैलाश खेर ने बताया कि महाकाल लोक के लिए बना स्तुति गान भारत मध्ये स्वयंभू ज्योतिर्लिंग यजामहे, परब्रह्म शिव शंभु दयामहे केवल स्तुतिगान ही नहीं, बल्कि यह हमारी धार्मिक मान्यताओं के बहुत करीब है. इसे तैयार करने में लगभग सवा महीने का वक्त लगा है. इसमें 108 संगीतकारों ने संगीत दिया है, तो नाथ संप्रदाय के 21 वादकों ने बीन बजाई है. यही नहीं इसमें मंत्रोचार का गान भी इक्कीस ब्राह्मणों ने किया है.इस गान में स्तुति ही नहीं अहम जानकारियां भी
कैलाश कहते हैं कि मेरा मानना है जब स्वयं को ईमानदारी से ईश्वर को समर्पित कर देते हैं, तो फिर वही होता है जिसके लिए आपका जन्म हुआ है. मुझे पूरी उम्मीद है कि यह गान महादेव के आराधकों के अलावा संगीत प्रशंसकों को पसंद आएगा. इसमें ना सिर्फ स्तुति है बल्कि अहम जानकारियां भी हैं. इसकी बनावट में एक ही झूमर लहर है, जो सुनने वालों को थिरकने पर मजबूर करेगी. यह युवाओं में आध्यात्मिक को लेकर उत्सुकता पैदा करेगा.युवाओं को आध्यात्म से जोड़ेगा
कैलाश खेर ने बताया इस स्तुतिगान में पारंपरिक वाद्य यंत्रों और राग शिवरंजनी की झलक दिखेगी. युवाओं को ध्यान में रखते हुए गिटार का उपयोग भी किया गया है. कैलाश ने इंदौर की तारीफ करते हुए कहा यह एक ऐसा शहर है जिस पर फिल्म का प्रभाव है. भारतीयों का आध्यात्म से पहले से जुड़ाव रहा है. वर्तमान में भारत जाग रहा है और यह बड़ा बदलाव है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे जगाने का जो कार्य किया जो पहले किसी ने नहीं किया. मैं उन्हें अवधूत अवतारी मानता हूं. उन्होंने मंदिर के जीर्णोद्धार पर ध्यान दिया. यदि हमारी संस्कृति को बचाना है तो गाय और गायकों को बचाना होगा यह पुरातन सभ्यता का अंग है.