बरेली से देश के दुश्मनों को सबक सिखाने के साथ ही त्रिशूल एयरबेस अब बरेली के विकास में भी अहम योगदान निभा रहा है। सर्जिकल स्ट्राइक हो या उत्तराखंड की केदारनाथ आपदा त्रिशूल के विमान और जांबाजों ने अहम भूमिका निभाई। साथ ही चीन बॉर्डर की निगरानी में भी त्रिशूल हर पल सक्रिय रहता है। दुश्मनों के लिए खौफ का नाम है त्रिशूल।
त्रिशूल ने किया वायुसेना को मजबूत
सेवानिवृत्त एयरमार्शल अशोक गोयल बताते हैं कि सभी सेनाओं में वायुसेना का मजबूत होना सबसे ज्यादा जरूरी है। त्रिशूल एयरबेस भारतीय वायुसेना का अति महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसके बलबूते ही उत्तराखंड में केदारनाथ त्रासदी समेत कई अन्य रेस्क्यू ऑपरेशन चलाए गए हैं। त्रिशूल के AHL हेलीकॉप्टर ने केदारनाथ आपदा के समय वहां फंसे लोगों को बाहर निकालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
उन्होंने बताया कि देश के लिए गौरव बन चुकी सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान फाइटर प्लेन मिराज त्रिशूल एयरबेस से ही होकर गए थे। चीन बॉर्डर की निगरानी के लिए यह त्रिशूल एयरबेस बहुत ही महत्वपूर्ण है और हर पल हर स्थिति से निपटने के लिए यह त्रिशूल एयरबेस सबसे सजग रहता है।
हर पल सजग रहता है एयरबेस का कंट्रोल रूम
त्रिशूल एयरबेस से लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोलिंग ALC की निगरानी की जाती है। ताकि दुश्मन देशों की आसमान के रास्ते हो रही गतिविधियों की पल-पल की जानकारी मिल सके। एयरफोर्स का कंट्रोल रूम हर पल सजग रहता है। कभी सोता नहीं है, क्योंकि एक झपकी भी देश के लिए बड़ी मुसीबत बन सकता है। हल्की सी हलचल हो या कोई हेलीकॉप्टर भारत की सीमा में जैसे ही प्रवेश करता है।
एयरबेस में खड़ा सुखाई विमान चंद मिनट में हजारों मीटर की ऊंचाई से सटीक निशाना लगाकर उसे नेस्तनाबूद करने में सफल होता है।
हादसों की आशंका शून्य सिमुलेटर पर ट्रेनिंग
पायलट की ट्रेनिंग में ईंधन की खपत समेत हेलिकॉप्टर में खराबी, दुर्घटना होने से जालमामल के नुकसान की आशंका रहती है। इससे निपटने के लिए त्रिशूल एयरबेस में फाइटर प्लेन सुखोई को उड़ाने की ट्रेनिंग सिमूलेटर पर दी जाती है।
3 माह ट्रेनिंग पूरी कर चुके जूनियर पायलट को आसमान में पराक्रम दिखाने का मौका मिलता है। अब इस ट्रेनिंग में ऑन डिस्पले जूनियर पायलट को ब्रह्मोस मिसाइल को कनेक्ट करने और उसे दागने की तकनीकि भी सिखाई जा रही है। ताकि प्रशिक्षित पायलट जरुरत पड़ने पर दुश्मन को धूल चटा सकें।
आम जनता को भी सहूलियत
बरेली एयरपोर्ट से उड़ानों के लिए एयरफोर्स की हवाईपट्टी का ही इस्तेमाल होता है। त्रिशूल एयरबेस के सहयोग से ही बरेली में हवाई उड़ानें संभव हो सकी हैं। इससे बरेली और आसपास के अन्य शहरों के विकास को नए आयाम मिले हैं।
अब यहां से दिल्ली, मुंबई और बंगलूरू के लिए हवाई सेवा शुरू हो चुकी है। जल्दी ही लखनऊ की उड़ान भी शुरू करने की तैयारी है।
त्रिशूल एयरबेस
भारत चीन युद्ध के बाद 1962 में निर्माण का निर्णय
14 अगस्त 1963 को त्रिशूल एयरबेस की स्थापना
सुरक्षा के साथ ही राहत एवं बचाव कार्य में दक्ष
चीन सीमा पर हर पल विशेष नजर