अगर आप दूध पीते हैं तो यह खबर आपके लिए ही है। सहारनपुर में बिकने वाला दूध जहरीला हो चुका है। यह बात हम यूं ही नहीं कह रहे है, बल्कि खाद्य और औषधि विभाग के आंकड़े बता रहे हैं। आंकड़ों के मुताबिक, शहर में बिकने वाला दूध 88.40% जहरीला हो चुका है। ये आंकड़ा जनवरी से अगस्त तक लिए गए सैंपलों से मिला है।वहीं, पिछले पांच महीनों में 1645 मरीज सिर्फ हड्डी से संबंधित बीमारियों पहुंचे हैं। डॉक्टरों के मुताबिक, ये बीमारियां दूध और खराब खाने से हुई हैं। अधिकारियों ने बताया कि पिछले साल दूध 31% जहरीला था। इस साल 57.40% बढ़ गया है। हालांकि खाद्य पदार्थों में ऑलओवर मिलावटी 5% घटी है। मजबूत होने की जगह कमजोर हो रही हड्डियां विभागीय आंकड़ों पर नजर डाले तो दूध पीने से बच्चों के साथ-साथ बड़ों की हड्डियां भी कमजोर हो रही हैं। पिछले पांच माह में हड्डी रोग विभाग में 1645 मरीजों में 700 बच्चे हैं। जहरीला दूध पीने से बच्चों की हड्डियां मजबूत होनी की जगह कमजोर हो रही हैं। खाद्य विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल 2021 से 28 फरवरी 2022 तक लिए 365 नमूनों में से 286 यानी 68% नमूने फेल हो गए। इनमें 113 नमूने दूध के थे, जो 31% है।जहरीले पदार्थों से करोड़ों का कारोबार पिछले 2020-21, 2021-22 और 2022-23 यानी इन तीन सालों में सहारनपुर से जो सैंपल लैब में जांच के लिए भेजे गए थे। उनमें से 1-2 नहीं बल्कि 233 सैंपल दूध के फेल आए है। सैंपल दूध के जो नतीजे आए हैं, उनकी रिपोर्ट जानकर तो आप और भी हैरान रह जाएंगे।इनमें से कुछ रिपोर्ट कहती हैं कि दूध को डिटर्जेंट पाउडर से बनाया गया। यानी आपका बच्चा कपड़े धोने वाले डिटर्जेंट को पी रहा है। यही नहीं कुछ सैंपल में चर्बी तक मिली हैं। इन रिपोर्ट के आने के बाद खुद खाद्य विभाग भी हैरान है। दूध में मिलावट कर माफिया मासूमों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं। 5 माह में 57.40% बढ़ा जहरीले दूध का कारोबार2020-21 में 377 नमूने लिए गए थे जिनमें से 59 नमूने फेल आए थे, जो 15% होता है। वहीं, 2021-22 में 113 दूध के नमूने फेल आए है, जो 31% है। जबकि 2022-23 के अप्रैल से 31 अगस्त तक यानी पांच माह में 83.56% दूध के नमूने फेल आए है। यानी तीन सालों में 57.40% जहर बनाने का कारोबार बढ़ा है।मसालों की बात करें तो 2020-21 में 377 नमूनों में 191 नमूने फेल आए थे जो 51% होता है। इसमें से 59 नमूने दूध के थे। यानी 2020-21 में दूध में 15%, मसालों में 6%, मिठाई में 6% और खोया में 5% की मिलावट थी। जबकि 2022-23 में 63.12% मसालों में मिलावट सामने आई।कैसे बनता है मिलावटी दूधसामान्यता दूध में 2 प्रकार की मिलावटी होती है। गाय, भैंस पालने वाले अधिकांश दुग्ध विक्रेता दूध में पानी मिलाकर मात्रा बढ़ाते हैं। हालांकि यह दूध सेहत के लिए नुकसानदेह नहीं होता। दूध में पानी की मिलावट आर्थिक अपराध की श्रेणी में आती है। दूसरे प्रकार की मिलावट में यूरिया, डिटर्जेंट पाउडर, खड़िया, सोडा और रिफाइंड आदि के उपयोग से दूध तैयार किया जाता है। यह दूध सेहत के लिए असुरक्षित होता है।दो साल में 260 छापे खाद्य सुरक्षा विभाग ने 2020-21, 2021-22 और 2022-23 वित्तीय वर्ष में कुल 416 छापेमारी की। जबकि 2020-21 में 2711 और 2021-22 में 2566 और 2022-23 में 2939 प्रतिष्ठानों का निरीक्षण किया। तीन सालों में सालों में 233 दूध के सैंपल फेल आए है। विभाग इन मिलावट माफियाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई के मूड में है।जल्द ही इन पर मुकदमा दर्ज कर सजा दिलाई जाएगी। खाद्य सुरक्षा अधिकारी पवन कुमार का कहना है कि तीन सालों में दूध में मिलावट का कारोबार तेज हुआ है। मिलावट दूध की नहीं, बल्कि जहरीले पदार्थों की। ऐसे लोगों के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है। सैंपल भरे जा रहे हैं।
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x01mp3rx0z@mailto.plus, 11 December 2022 rfqp0u
yhfee@chitthi.in, 10 June 2023