काशी के शिक्षक रेत पर जलाएंगे 3.5 लाख दीये देव दीपावली पर 10 लाख दीयों से सराबोर होगा गंगा का किनारा

काशी के शिक्षक रेत पर जलाएंगे 3.5 लाख दीये देव दीपावली पर 10 लाख दीयों से सराबोर होगा गंगा का किनारा

वाराणसी के शिक्षक देव दीपावली पर 3 लाख 50 हजार दीप जलाएंगे। बेसिक शिक्षा विभाग ने आज नोटिफिकेशन जारी किया है। वहीं गंगा किनारे कुल 10 लाख से ज्यादा दीये जलाए जगमगाएंगे।


जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी डॉ. अरविंद कुमार पाठक ने बताया 8 नवंबर को देव दीपावली है। हालांकि काशी विद्वत परिषद ने देव दीपावली मनाने की तारीख 7 नवंबर तय की है। गंगा पार रेती में सेक्टर-11 से 18 तक तक शिक्षा विभाग दीप जलाएगा। हर सेक्टर में 35 हजार दीये लगाए जाएंगे। इस काम के लिए 10 शिक्षकों को जिम्मेदारियां दी गईं हैं।


3 दिन पहले होगी तैयारी

देव दीपावली से 3 दिन पहले ही पूरी तैयारियां कर ली जाएंगी। रेत पर दीये लगाने के लिए रो और क्यू की मैपिंग की जा रही है। इसी तर्ज पर पूरे रेतीले इलाके दीयों से जगमग होगा। घाटों की साफ-सफाई का जिम्मा भी इन प्रभारियों को सौंपा गया है। सेक्टर मजिस्ट्रेट अपने सेक्टर में देव दीपावली से जुड़े मैनेजमेंट को देखेंगे।


80 के दशक में शुरू हुई देव दीपावली

80 के दशक में पंचगंगा घाट से शुरू हुई देव दीपावली अब काफी भव्य रूप ले चुकी है। पर्यटन विभाग ने वाराणसी में 10 लाख से ज्यादा दीयों के जलाने का लक्ष्य रखा है। इसकी तैयारियां शुरू हो गईं है। घाटों पर साफ-सफाई तेजी से चल रही है। वाराणसी मंडल की पर्यटन उप-निदेशक प्रीति श्रीवास्तव ने बताया देव दीपावली 7 नवंबर को मनाई जाएगी। देवोत्थान एकादशी के 4 दिन बाद यह पर्व होता है। घाटों पर कुल 8 लाख दीये जलाए जाएंगे। गंगा घाटों से उस पार रेत के दीये विजिबल हो इसके लिए फ्लोटिंग प्लेटफार्म या पांटून का इस्तेमाल किया जा सकता है।


हर साल आते हैं 15 लाख से ज्यादा श्रद्धालु

प्रीति श्रीवास्तव ने बताया श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के गंगा द्वार से लेजर शो के प्रोजेक्शन की तैयारी की जा रही है। हर बार राजा चेत सिंह किला के पास लेजर शो होता था। दीपों के अलावा घाटों पर फसाड लाइट भी लगाई जाएंगी। घाटों और शहर के इलेक्ट्रिक पोल पर स्पाइरल लाइट लगाने की तैयारी है। श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के बाद पहली बार देव दीपावली मनाई जा रही है। इसलिए इस बार पर्यटकों की संख्या बढ़ सकती है। हर साल 15 लाख से ज्यादा श्रद्धालु आते हैं। इस टूरिज्म इंडस्ट्री को नई उड़ान मिलेगी।

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