विकास की दौड़ में जल संचयन को लेकर मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। आलम ये है कि उचित प्रबंध न होने के कारण लगभग 90% पानी बर्बाद हो रहा है। पानी की बचत का आंकड़ा पिछले 10 साल से लगातार घट रहा। भूगर्भ जल विभाग ने जल संचयन पर अपनी रिपोर्ट सौंपते हुए सुझाव दिया है। रिपोर्ट में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को अनिवार्य बताया है। रिपोर्ट में लिखा है कि वाटर लेवल हर साल 20 सेंटीमीटर की दर से नीचे जा रहा है।
अंडर ग्राउंड वाटर लेवल में गिरावट
भूगर्भ जल विभाग ने साल 2013 से 2022 तक की रिपोर्ट सौंपी है। रिपोर्ट से यह बात सामने आई है कि ज्यादातर जगहों पर अंडर ग्राउंड वाटर लेवल में गिरावट आई है। भूगर्भ जल आकलन समिति ने साल 2020 के निर्धारित मानकों के आधार पर आंकड़ों का उल्लेख करते हुए कहा है कि 1 लाख 21 हजार 359 हेक्टोमीटर वार्षिक भूजल उपलब्ध है। इसमें से 86 हजार 137 हेक्टोमीटर का वार्षिक भूजल दोहन हुआ है।
मात्र 5 से 10% पानी जा रहा
दरअसल विकास की दौड़ में पक्की सड़कें फुटपाथ चबूतरे इमारतें और कंक्रीट से बनाए जाने वाले इंफ्रास्ट्रक्चर के चलते जमीन के छेद बंद होते जा रहे हैं। इसके चलते पानी धरती में सोख नहीं पाता। ऐसे में मात्र 5 से 10% पानी ही जमीन के अंदर जा रहा है। इससे पहले लगभग 30% पानी जमीन के अंदर जाता था। वहीं दूसरी तरफ हैंडपंप सबमर्सिबल से बड़ी तादाद में पानी का दोहन भी हो रहा है।
वाटर लेवल रहता है बरकरार
इस मामले में जानकारी देते हुए सहायक अभियंता लघु सिंचाई विभाग अनिल पांडे ने बताया कि जल संचयन को लेकर सभी को आगे आना होगा। उन्होंने रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के बारे में बताते हुए कहा कि बचत के लिए इससे अच्छा सिस्टम नहीं है। रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के माध्यम से जमीन के अंदर पानी चला जाता है जिससे अंडर ग्राउंड वाटर लेवल बना रहता है। उन्होंने बताया कि लगभग 250 सरकारी भवन में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनवाया गया है।
डार्क जोन की स्थिति
उन्होंने बताया कि जौनपुर के बदलापुर और महाराजगंज में क्रिटिकल डार्क जोन की स्थिति है। महाराजगंज में साल 2012 में 7.57 मीटर औसत भूजल स्तर था तो वहीं साल 2022 में 3.89 मीटर भूजल स्तर है। इसके अलावा बदलापुर ब्लॉक में भी गिरावट दर्ज की गई है। वहीं शाहगंज में साल 2012 में 4.52 मीटर औसत भूजल स्तर था। वहीं 2022 में 1.50 मीटर भूजल स्तर है।