अंकिता भंडारी की दुखद मौत ने ना सिर्फ उत्तराखंड को बल्कि समूचे देश को झकझोर दिया है। आरोपी पकड़ लिए गए हैं और रिसोर्ट को बुल्डोजर से जमींदोज भी कर दिया गया है। बावजूद इसके जनाक्रोश शांत होने का नाम नहीं ले रहा। क्या आम क्या खास सभी अंकिता को न्याय दिलवाने की मांग कर रहे हैं। इस कड़ी में प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी आरोपियों को सख्त सजा की वकालत कर रहे हैं। घटना से वह दुखी हैं और उनको इस बात का अंदेशा भी है कहीं मामले में राजनीतिक हस्तक्षेप ना होने लगे। घटना को लेकर डॉ. रमेश ठाकुर ने उनसे बातचीत की। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश-
प्रश्नः अंकिता भंडारी की दुखद मौत को कैसे देखते हैं आप?
उत्तर- मेरे पास शब्द नहीं हैं इस घटना पर बोलने के लिए। एक बच्ची जो महज 20 दिन पहले ही आरोपी के यहां नौकरी पर गई थी लेकिन उसे क्या पता था उसकी मौत उसे खींचकर वहां ले जा रही है। प्रदेश सरकार से मेरी पहले दिन से मांग रही है कि मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में की जाए सारे सबूत साक्ष्य सामने हैं ज्यादा छानबीन करने की अब जरूरत नहीं है। घटना को लेकर पूरे प्रदेश में भयंकर आक्रोश है सभी एक सुर में बोल रहे हैं कि आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा मिले। सभी फांसी की मांग कर रहे हैं।
प्रश्नः घटना की पृष्ठभूमि राजनीतिक है हस्तक्षेप की भी संभावनाएं दिखती हैं?
उत्तर- बिल्कुल। इसमें कोई दो राय नहीं? अगर जनता ने शोर नहीं मचाया होता तो मामला लक्ष्मण झूला थाने में ही दब गया था। जनाक्रोश एकदम आग की तरह फैल गया? जिससे सरकार हरकत में आ गई वरना मामला यहां तक पहुंचता ही नहीं। आरोपी भाजपा नेता का पुत्र है जिनकी पहुंच ठीक ठाक है। आगे भी मामले में हस्तक्षेप होने की संभावनाएं प्रबल हैं। मामला जब तक मीडिया में रहेगा और लोगों की नजरों में तभी तक केस जिंदा रहेगा। अगर ये दोनों शांत हो गए मामला उसी दिन दम तोड़ देगा।
प्रश्नः आरोपी के रिसॉर्ट पर बुलडोजर चलाया गया है?
उत्तर- नहीं चलाया जाना चाहिए था आरोपी के वंत्रा रिसोर्ट में छिपे कई और राज जांच में सामने आते। आरोपियों ने अंकिता के अलावा पता नहीं कितनी लड़कियों को निशाना बनाया हो। आखिर आरोपी अंकिता पर गलत काम करने का दबाव डाल रहे थे ऐसा उन्होंने औरों के साथ भी किया होगा। इस तरह के कई राज पुलिस जांच टीमों को मिल सकते थे। देखिए कहे कोई कुछ भी जहां तक मुझे लगता है इसमें पर्दे के पीछे राजनीति हो रही है। जांच को प्रभावित करने का प्रयास किया जा रहा है।
प्रश्नः आपने अंकिता के परिजनों से भी बात की थी क्या बताया उन्होंने?
उत्तर- अंकिता के पिता से फोन पर बात हुई है। उन्होंने बताया है कि 28 अगस्त को अंकिता नौकरी पर लगी थी। नौकरी ओएलएक्स एप के जरिए सर्च की थी। नौकरी के लिए उनके पिता अभी मना कर रहे थे। लेकिन वंत्रा रिसोर्ट गांव के पास गंगा भोगपुर में ही था इसलिए राजी हो गए। अंकिता रिजॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट थी। नौकरी मिलने पर वह बहुत खुश थी। लेकिन नौकरी के कुछ ही दिनों में वह गुमसुम होने लगी थी। उनके पिता को शक तो होने लगा था कि बेटी खुश नहीं है। पिता ने बताया कि महीना पूरा होने पर नौकरी छुड़वा देने का मन बनाया हुआ था।
प्रश्नः प्रदेश सरकार की शुरुआती कार्यवाही से आप संतुष्ट हैं?
उत्तर- देखिए जो कार्यवाही हो रही है वो जनाक्रोश के दबाव में हो रही है। ये आपको भी पता है खुद से इतनी जल्दी ऐसी कार्यवाही प्रशासन नहीं करता। जब अंकिता की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाने थाने में उनके पिता गए तो उनको टरका दिया गया। अच्छे से बात तक नहीं की। लेकिन ये देखकर अच्छा लगा कि घटना को लेकर समूचा प्रदेश एक सुर में बोला। ऐसी एकता के समक्ष बड़े से बड़ा अपराधी भी धराशायी और पस्त हो जाता है।