शारदीय नवरात्र सोमवार यानी आज से शुरू हो गए हैं। कान्हा की नगरी मथुरा के मंदिरों में तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। श्रद्धालुओं ने कलश स्थापना और पूजा सामग्री आदि की खरीदारी कर ली है। वृंदावन धाम के मंदिर में मां कात्यायनी इस बार विदेशी फूलों से बने बंगले में विराजमान हुईं ।
श्री कात्यायनी पीठ के प्रबंधक राजेंद्र शर्मा ने बताया कि आगरा से आए कलाकारों द्वारा भव्य फूल बंगला बनाया गया है । सुबह से लेकर शाम तक मंदिर में दर्शनों के लिए आने वाले भक्तों को हलवा और चना का प्रसाद वितरित किया जाएगा।
कारीगर दे रहे मां की प्रतिमाओं को फाइनल टच
शारदीय नवरात्रों में स्थान स्थान पर मां दुर्गा के भव्य पंडाल बनाए जाते हैं। इन पंडालों में मां दुर्गा की प्रतिमा विराजमान की जाती है। मां दुर्गा कि इन दिनों मथुरा में दो दर्जन से ज्यादा जगह पर मूर्तियां बनाई जा रही हैं। इस काम से जुड़े कारीगर पर्यावरण का ध्यान रखते हुए प्रतिमाओं को फाइनल टच देने में जुटे हुए हैं।
कारीगर मिट्टी भूसा और ईको फ्रेंडली रंगों का प्रयोग कर प्रतिमाएं बना रहे हैं। मथुरा में 200 से ज्यादा कारीगर दिन रात मेहनत कर मां दुर्गा की प्रतिमा बनाने में जुटे हुए हैं।
शक्ति का स्वरूप हैं देवी मां
नवरात्र सनातन संस्कृति का विशेष पर्व है। 9 दिन तक भक्त मां के अलग अलग स्वरूपों की आराधना करते हैं। वेद पुराणों में मां को शक्ति का प्रतीक माना गया है जो असुरों से इस लोक की रक्षा करती हैं। नवरात्र के दौरान भक्त मां की आराधना कर अपने और परिवार की सुख समृद्धि की कामना करते हैं। कई ऐसे भी भक्त होते हैं जो मां की आराधना के लिए 9 दिन तक व्रत रखकर पूजा अर्चना करते हैं और नवमी के दिन अपना व्रत खोलते हैं।
हाथी पर सवार होकर आ रहीं मां
शारदीय नवरात्रों में ज्योतिषियों के अनुसार इस बार देवी मां हाथी पर सवार हो कर आयेंगी। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार नवरात्र जब रविवार या सोमवार को प्रारंभ होते हैं तब देवी हाथी पर सवार हो कर आती हैं। यदि नवरात्रि गुरुवार या शुक्रवार से हो तब मां पालकी में सवार हो कर आती हैं।
वहीं अगर नवरात्र मंगलवार या शनिवार से शुरू हों तो माता रानी घोड़े पर सवार हो कर आती हैं। अगर नवरात्र बुधवार से शुरू हो तब मां भगवती नौका में सवार होकर आती हैं।
धन-धान्य की होगी बढ़ोतरी
मान्यता है कि जब माता रानी नवरात्र में हाथी पर सवार होकर आती हैं तब बारिश होने की संभावना बढ़ जाती है। इससे हर तरफ हरियाली छाती है और खुशहाली आती है फसल भी अच्छी होती है। मां के हाथी पर सवार होकर आने से घर में धन धान्य की भी बढ़ोतरी होती है।
26 सितंबर को कलश स्थापना का समय
अभिजीत मुहूर्त: सुबह 1 बजकर 48 मिनट से दोपहर 12 बजकर 36 मिनट तक।
सुबह 6 बजकर 11 मिनट से 7 बजकर 51 मिनट तक।
चौघड़िया का अमृत सर्वोत्तम मुहूर्त सुबह 6 बजकर 11मिनट से सुबह 7 बजकर 42 मिनट तक।