भारत के लिए 150 से अधिक मैच खेल चुकी अनुभवी हॉकी खिलाड़ी नमिता टोप्पो ने गुरुवार को खेल को अलविदा कह दिया। ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले के रहने वाली 27 साल की नमिता ने 2012 में राष्ट्रीय टीम के लिए पदार्पण किया था। वह 2014 और 2018 एशियाई खेलों में क्रमश: कांस्य और रजत पदक जीतने वाली भारतीय टीम की सदस्य थी। नमिता ने हॉकी इंडिया से जारी बयान में कहा पिछले 10 साल निश्चित रूप से मेरे जीवन लिए सबसे अच्छा समय रहा मेरा सपना था कि मैं बड़े टूर्नामेंटों में देश का प्रतिनिधित्व करूं और अपने सपने के साकार होने की मुझे खुशी है। उन्होंने कहा मुझे उम्मीद है कि मैंने खेल में एक बड़ा प्रभाव डाला है।
मैं पिछले एक दशक में भारतीय महिला हॉकी टीम की प्रगति को देखकर बहुत रोमांचित हूं। जीवन में नये क्षेत्र में आगे बढ़ने के साथ मैं टीम का समर्थन करते रहूंगी। राउरकेला के पानपोश खेल हॉस्टल से हॉकी का कौशल सीखने वाली नमिता ने 2007 में राज्य टीम में जगह बनायी थी। घरेलू प्रतियोगिताओं में शानदार प्रदर्शन के बाद उन्होंने 2011 में भारत की अंडर-18 टीम के लिए चुना गया। वह इसी साल बैंकॉक में एशिया कप में कांस्य पदक जीतने वाली टीम का हिस्सा थी। नमिता को 2012 में डबलिन में एफआईएच चैंपियंस चैलेंज एक में सीनियर राष्ट्रीय टीम का प्रतिनिधित्व करने के लिए पहली बार चुना गया था।
वह मोंचेनग्लादबाक (जर्मनी) में 2013 एफआईएच महिला जूनियर विश्व कप में कांस्य पदक जीतने वाली भारतीय जूनियर टीम का हिस्सा थी। नमिता ने 2013 में एफआईएच महिला विश्व लीग चरण दो जैसे प्रमुख टूर्नामेंटों में भाग लिया जहां भारत ने स्वर्ण जीता था। वह 2014 राष्ट्रमंडल खेलों में कांस्य पदक जीतने वाली टीम के अलावा नमिता 2016 में रियो ओलंपिक भाग लेने वाली टीम का हिस्सा थी। हॉकी इंडिया ने दो बार के एशियाई खेलों के पदक विजेता को देश के खेल में उनके योगदान के लिए बधाई दी।
महिला टीम की राष्ट्रीय को यानेक शॉपमैन ने कहा नमिता का भारतीय हॉकी में बहुत बड़ा योगदान है। नमिता मैदान पर सब कुछ देने के अलावा टीम में युवाओं के लिए एक आदर्श रोल-मॉडल (प्रेरणास्रोत) भी रही हैं। उन्होंने कहा बहुत कम खिलाड़ियों को देश के लिए 168 मैच खेलने का मौका मिलता है और नमिता ने हर मैच में अपनी काबिलियत से टीम में जगह बनायी। वह एक बेहतर खिलाड़ी के साथ शानदार इंसान भी है। उसके लिए हर मामले में टीम पहले है।