नरेंद्र मोदी कैबिनेट ने बुधवार को यूपी के 13 जिलों में गोंड जाति को ST यानी अनुसूचित जनजाति में शामिल करने के प्रस्ताव पर अपनी मुहर लाग है। अब इन 13 जिलों में गोंड जाति के लोगों को SC यानी अनुसूचित जाति से हटाकर अनुसूचित जनजाति में शामिल किया जाएगा।
अब इन्हें एसटी का सर्टिफिकेट मिलेगा। इसके साथ ही गोंड की 5 उपजातियों धुरिया, नायक, ओझा, पठारी और राजगोंड को भी ST में शामिल किया गया है। दावा किया जा रहा है कि सरकार के इस फैसले से यूपी के लगभग 5 लाख लोगों को फायदा मिलेगा।
यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान गोंड जाति से किया हुआ अपना चुनावी वादा पूरा कर भाजपा सरकार ने बड़ा सियासी दांव खेला है। आगामी लोकसभा चुनाव से पहले यूपी की गोंड जाति को एसटी में शामिल करने का यह फैसला,जनजातियों को साधने की कवायद मानी जा रही है। साथ ही इसे RSS की खास रणनीति का हिस्सा बताया जा रहा है।
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, यूपी में गोंड और उनसे जुड़ी पांच उपजातियों धुरिया, नायक, ओझा, पठारी और राजगोंड की आबादी 5 लाख 69 हजार 35 है। यूपी के 13 जिले महराजगंज, सिद्धार्थनगर, बस्ती, गोरखपुर, देवरिया, मऊ, आजमगढ़, जौनपुर, बलिया, गाजीपुर, वाराणसी, मिर्जापुर और सोनभद्र जिलों में रहने वाले गोंड जाति के लोग रहते हैं।
चुनावी वादा पूरा करके पब्लिक को दिया संदेश
यूपी के विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने गोंड जाति को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने के लिए कानून लाने का वादा किया था। आने वाले समय में लोकसभा चुनाव है। ऐसे में सरकार ने चुनाव से पहले वादा पूरा कर पब्लिक को एक बड़ा संदेश दिया है। इसके दो पहलू है।
पहला -भाजपा अपने हर चुनावी वादे को पूरा करती है।
दूसरा- भाजपा और संघ परिवार का एजेंडा में अनुसूचित जनजाति समाज भी है।
मोदी कैबिनेट के इस फैसले का स्वगत करते हुए सीएम योगी ने ट्वीट कर लिखा सामाजिक न्याय हेतु कटिबद्ध प्रधानमंत्री के नेतृत्व में लिया गया यह कल्याणकारी निर्णय गोंड समुदाय के समग्र विकास का मार्ग प्रशस्त करेगा।
भाजपा का चुनावी दांव
लोकसभा चुनाव से पहले यूपी के 13 जिलों में गोंड जाति को ST में शामिल करने के साथ ही कुल 5 राज्यों की 12 जातियों और इनसे जुड़ी उप-जातियों को एसटी का दर्जा दिया है। इसमें हिमाचल प्रदेश,छत्तीसगढ़, कर्नाटक और तमिलनाडु भी है। इसमें से हिमाचल प्रदेश में इसी साल जबकि छत्तीसगढ़ में साल 2023 में विधानसभा के चुनाव भी होने वाले है। इसके साथ ही साल 2024 में देश में आम चुनाव भी होंगे। ऐसे में इसे भाजपा का चुनावी दाव भी माना जा रहा है। पार्टी राज्यों और आम चुनाव से पहले 12 जातियों को एसटी का दर्जा देकर इस बड़े वोट बैंक को अपने खाते में जमा करा लेना चाहती है।
वरिष्ठ पत्रकार रतिभान त्रिपाठी कहते है कि भारतीय जनता पार्टी ऐसा कोई लूप-होल नही छोड़ना चाहती है जिस विपक्ष मुद्दा बना सके। बिहार के सीएम नीतीश कुमार अपने विपक्षी गठजोड़ को आगे बढ़ाने के लिए जातिगत जनगणना की बात करते है। यूपी में अखिलेश यादव ने जातिगत जनगणना की मांग करते रहते है। भाजपा सरकार ने अपने इस फैसले से बड़ा संदेश दिया है कि हम उन सभी मुद्दों को एड्रेस करना चाहते है जो विपक्षी तलाशते है।इस फैसले के जरिए जातिगत जनगणना के मुद्दे को भी डिफ्यूज़ करने की कोशिश की गई है।
जनजाति आरक्षण के दायरे का विस्तार भाजपा और RSS की रणनीति
देश की राष्ट्रपति जनजाति समाज से है। एक अनुमान के मुताबिक आदिवासी देश की कुल आबादी का 8.14% हैं और देश के क्षेत्रफल के करीब 15% भाग पर निवास करते हैं। ऐसे में लोकसभा चुनाव से पहले कम आबादी वाली जातियों की अहम मांगों को भाजपा पूरा कर बेहतर नतीजों की उम्मीद कर रही है। इसके साथ ही संघ परिवार के एजेंडे में भी आदिवासी समाज है। अकसर जनजाति समाज में धर्म परिवर्तन भी देखा जाता है। इससे इस समाज को बचाने और इस समाज को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए संघ लगातार काम करता है। आदिवासियों के बीच संघ लंबे समय से सेवाकार्य कर रहा है।
नगरीय निकाय चुनाव में भी भाजपा को मिल सकता है लाभ
2015 में ग्राम पंचायत चुनावों में गोंड समुदाय ने अप्रत्याशित रूप से सीटें जीती थीं। राज्य के बलिया जिले में गोंड समुदाय की उपस्थिति दूसरे नंबर पर है। 17 खंडों में 954 सीटों में 48 गोंड उम्मीदवारों का निर्वाचन प्रधान के पद में हुआ। वहीं एक का निर्वाचन खंड प्रमुख के पद पर और एक का पंचायत सदस्य के पद पर चयन हुआ। यह जीत बताती है कि इस बार यूपी में अक्टूबर-नवंबर में होने वाले नगरीय निकाय के चुनाव में भाजपा को इस 5 लाख से ज्यादा की आबादी का बड़ा लाभ मिल सकता है। यूपी के 17 जिलों में फैली गोंड जाति के लिए ये फैसला जितना अहम है भाजपा के लिए भी उतना ही लाभदायक हो सकता है।
17 OBC की जातियों को SC में शामिल करने का मुद्दा का क्या होगा?
भाजपा सरकार ने अपने इस फैसले से यूपी में 17 ओबीसी जातियों को एससी का दर्जा दिलाने की मांग कर रहें दलों को भी एक मौका दे दिया है। राजनीतिक जानकार मानते है कि फिलहाल भाजपा सरकार ने इस फैसले से एक सकारात्मक माहौल बना दिया है। अब जब यूपी सरकार कह रही है कि वो 17 ओबीसी जातियो को एससी में शामिल करने की तैयारी कर रही है,तो इस पर यकीन करना होगा।
हालांकि समाजवादी पार्टी अब इन 17 जातियों के आरक्षण के मुद्दे को प्रमुखता से उठाने की रणनीति बनाई है। समाजवादी पार्टी पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राजपाल कश्यप कहते है कि समाजवादी पार्टी इन 17 OBC जातियों अनुसूचित जाति में परिभाषित करने के प्रस्ताव को लेकर 17 सितंबर को लखनऊ में महापंचायत करेंगे। इसके बाद लोकसभा में क्षेत्रवार पंचायतें होंगी।