हम खूंखार कुत्ते नहीं पालना चाहते नोएडा की NGO के पास देशभर से आईं 200 कॉल्स

हम खूंखार कुत्ते नहीं पालना चाहते नोएडा की NGO के पास देशभर से आईं 200 कॉल्स

लखनऊ गाजियाबाद समेत कई शहरों में पिटबुल अटैक की घटनाएं बढ़ी हैं। इसके बाद से खूंखार प्रजाति के कुत्ते पालने वाले लोग अब इनसे पीछा छुड़ाने लगे हैं। नोएडा की हाउस ऑफ द स्ट्रे एनिमल्स संस्था के पास देशभर से करीब 200 फोन कॉल्स आई हैं।


फोन करने वाले चाहते हैं कि NGO उनके कुत्ते की देखभाल करे। 6 लोग तो अपने पिटबुल रात के वक्त NGO कार्यालय के नजदीक बांधकर चले गए। अब NGO इनकी देखभाल कर रहा है।


इतने डॉग्स हम नहीं पाल सकते इसलिए लोगों की कर रहे काउंसलिंग

नोएडा के सेक्टर-54 में हाउस ऑफ द स्ट्रे एनिमल्स संस्था का ऑफिस और स्टे दोनों है। ये संस्था करीब 10 साल से स्ट्रीट और पालतू कुत्तों की देखभाल कर रही है। संस्था के डायरेक्टर संजय मोहपात्रा ने बताया लखनऊ में पिटबुल डॉग ने अपनी मालकिन को मार डाला। इसके बाद से लोग पिटबुल और अन्य खूंखार प्रजातियों के डॉग्स को पालने से कतराने लगे हैं।


उन्होंने आगे बताया पिछले डेढ़-दो महीने में मेरे पास उत्तर प्रदेश केरल ओडिशा पश्चिम बंगाल हरियाणा दिल्ली उत्तराखंड राज्यों से करीब 200 फोन कॉल्स आईं। कॉल करने वाले लोग पेट्स के शौकीन थे लेकिन लखनऊ की घटना के बाद वे उसे पालना नहीं चाहते हैं। वे चाहते हैं कि इन कुत्तों की देख-रेख हमारी NGO करे। चूंकि हमारा इतना बड़ा स्ट्रे नहीं है कि हम देशभर के डॉग्स को रख सकें।


इसलिए हमने 15 काउंसलर्स की टीम बनाई है। ये काउंसलर्स उन लोगों को समझा रहे हैं जिनकी फोन कॉल्स आई हैं। उनसे बातचीत करके डॉग्स को शांतिपूर्वक रखने के टिप्स दे रहे हैं। काउंसिलिंग का नतीजा यह हुआ है कि फोन करने वाले ज्यादातर लोग फिर से डॉग्स को रखने पर सहमत हो गए हैं।


6 पिटबुल को ट्रेनिंग के बाद देंगे आसरा

संजय मोहपात्रा ने बताया पिछले कुछ दिनों में 6 पिटबुल हमारे पास आए हैं। इनके मालिक खुद इन्हें रात के वक्त NGO के पास छोड़कर चले गए। जब हम सुबह के वक्त NGO पहुंचे तो ये हमें उसके आस-पास बंधे मिले। अब हमारी NGO ही इन पिटबुल डॉग्स की देख-रेख कर रही है। हम इन डॉग्स को प्रॉपर ट्रेनिंग देंगे। इनकी नसबंदी और वैक्सीनेशन कराएंगे फिर इनके लिए सुरक्षित घर भी ढूंढेंगे।


एनिमल लवर संजय मोहपात्रा कहते हैं डॉग्स अचानक खूंखार नहीं होते हैं। उन्हें पालने वाले लोग खान-पान रहन-सहन में कोई न कोई कमी कर देते हैं। जिस वजह से कुत्ते खूंखार हो जाते हैं। इसलिए जरूरत है कि डॉग्स को एक बच्चे की तरह रखा जाए


डॉग्स अटैक की प्रमुख घटनाएं


3 सितंबर को गाजियाबाद के संजय नगर सेक्टर-23 में पार्क में घूम रहे 11 वर्षीय बच्चे पर पिटबुल ने हमला किया था। बच्चे के चेहरे पर करीब डेढ़ सौ टांके लगे थे।

गाजियाबाद के राजनगर एक्सटेंशन की चार्म्स कैसल सोसाइटी में लिफ्ट में पालते कुत्ते ने मासूम छात्र को काट लिया था।

नोएडा में सेक्टर-75 के अपेक्स एथेना सोसाइटी में 8 अगस्त को लिफ्ट में जर्मन शेफर्ड ने डिलीवरी बॉय पर हमला बोल दिया था।

लखनऊ में 13 जुलाई को पिटबुल के काटने से 80 साल की महिला की मौत हो गई थी।

मुरादाबाद की आकाश रेजिडेंसी में 11 सितंबर को डॉग ने लिफ्ट में एक महिला को काट लिया था।


हाउसिंग सोसाइटीज में कड़े नियम लागू

गाजियाबाद और नोएडा में कुत्तों के काटने के रोजाना 400 से ज्यादा केस आ रहे हैं। डॉग्स अटैक की घटनाएं बढ़ने पर दोनों शहरों में हाउसिंग सोसाइटी की RWA ने कड़े नियम लागू किए हैं। इसके तहत सोसाइटी में सार्वजनिक स्थान पर पालतू कुत्तों को घुमाने उन्हें लिफ्ट में ले जाने पर बैन लगाई है। ब्रीडिंग का एरिया भी तय किया गया है। कई सोसाइटी में घुमाते वक्त मुंह पर जाली वाला मास्क अनिवार्य किया गया है।


41 देशों में बैन है पिटबुल

पिटबुल डॉग अमेरिका जर्मनी डेनमार्क स्पेन ब्रिटेन आयरलैंड रोमानिया कनाडा इटली और फ्रांस समेत 41 देशों में बैन है। कई देशों में पिटबुल प्रजाति के कुत्ते को रिहाइशी इलाके में पालने पर भी प्रतिबंध लगाया हुआ है। एक्सपर्ट के मुताबिक पिटबुल प्रजाति के कुत्ते किसी व्यक्ति या जानवर को कब्जे में लेने के बाद अपने जबड़े को लॉक कर लेते हैं। ऐसे में छुड़ा पाना आसान नहीं होता।

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