ज्ञानवापी के बाद बदायूं की जामा मस्जिद मामले की सुनवाई गुरुवार यानी आज बदायूं कोर्ट में होगी। हिंदू पक्ष के 18 वकील बहस करेंगे। मामले की सुनवाई सिविल जज सीनियर डिवीजन विजय कुमार गुप्ता की कोर्ट में होगी। पिछले दिनों कोर्ट ने जामा मस्जिद इंतजामिया कमेटी और अखिल भारत हिंदू महासभा के बीच दायर हुए वाद की सुनवाई के लिए 15 सितंबर की तारीख दी थी। मुस्लिम पक्ष इस परिसर को मस्जिद मान रहा है जबकि हिंदू पक्ष इसे नीलकंठ महादेव मंदिर मानता है।
हिंदू पक्ष के वकील बोले- गवर्नमेंट गजेटियर में इसके सबूत
मुकदमे के पैरोकार और हिंदू महासभा के प्रदेश संयोजक मुकेश सिंह पटेल का दावा है कि यहां पहले मंदिर था। इसको लेकर कुछ और साक्ष्य भी मिले हैं जिन्हें वह कोर्ट में रखेंगे। हिंदू पक्ष के वकील वेद प्रकाश साहू ने बताया गवर्नमेंट का गजेटियर साल 1986 में प्रकाशित हुआ था। इसमें अल्तमश ने मंदिर की प्रकृति बदलने का जिक्र किया है। याचिका में पहले पक्षकार भगवान नीलकंठ महादेव को बनाया गया है।
मुस्लिम पक्ष के वकील बोले- सवाल दाखिल कर दस्तावेज अदालत से मांगेंगे
इंतजामिया कमेटी के सदस्य और मुस्लिम पक्ष के वकील इसरार अहमद सिद्दीकी का कहना है कि वह सुनवाई के लिए तैयार हैं। उन्होंने बताया कि कोर्ट ने इंतजामिया कमेटी समेत वक्फ बोर्ड को नोटिस जारी किया था। नोटिस तामील हुए हैं या नहीं यह स्पष्ट नहीं है। 15 सितंबर को ही पता लगेगा। अगर नोटिस तामिली की प्रक्रिया हो गई होगी तो वो साक्ष्यों के साथ अपना पक्ष रखेंगे। दूसरे पक्ष ने किस आधार पर दावा किया है। इसका भी विधिक प्रक्रिया के तहत नकल सवाल दाखिल कर दस्तावेज अदालत से मांगेंगे ताकि हम और मजबूती से अपना पक्ष रख सकें।
इसरार ने कहा जामा मस्जिद शम्सी लगभग 840 साल पुरानी है। मस्जिद का निर्माण शमसुद्दीन अल्तमश ने करवाया था। कोई भी ऐसा गजेटियर नहीं है जिसमें यह मेंशन हो कि यहां मंदिर था। यह मुस्लिम पक्ष की इबादतगाह है। यहां मंदिर का कोई अस्तित्व नहीं है। उन लोगों ने भी मंदिर के अस्तित्व का कोई कागज दाखिल नहीं किया है।
अब जानिए आखिर क्या है मामला
बदायूं रेलवे स्टेशन से 4 किमी दूर जामा मस्जिद है। मौलवी टोला इलाके की ये जामा मस्जिद देश की सबसे पुरानी और बड़ी मस्जिदों में शामिल है। इससे करीब 1.5 किमी दूर दरीबा मंदिर है। यहां पर शिवलिंग स्थापित है। नीलकंठ महादेव मंदिर को तोड़कर बनाई गई जामा मस्जिद का दावा करने वाले हिंदू पक्ष की मानें तो ये वही शिवलिंग है जो पहले नीलकंठ महादेव मंदिर में स्थापित था।
याचिकाकर्ता और अखिल भारतीय हिंदू महासभा के प्रदेश संयोजक मुकेश पटेल का दावा है कि जामा मस्जिद परिसर हिंदू राजा महिपाल का किला था। 1175 में पाल वंशीय राजपूत राजा अजयपाल ने मंदिर की मरम्मत कराई थी। बाद में मुगल शासकों के समय नीलकंठ महादेव मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनवाई गई थी। मंदिर में स्थापित शिवलिंग को हटा दिया था। जिसे उस वक्त लोगों ने एक जगह स्थापित किया जो आज पटियाली सराय में दरीबा मंदिर के नाम से जाना जाता है।
अब आपको बताते हैं शिवलिंग की खासियत के बारे में
मान्यता : दिन में 3 बार रंग बदलता है शिवलिंग
दरीबा मंदिर का शिवलिंग दिन में 3 बार रंग बदलता है। सूर्योदय के वक्त शिवलिंग का रंग गुलाबी दोपहर को पीला और शाम को सफेद हो जाता है। भूगर्भ विज्ञान के जानकार इसे सामान्य प्रक्रिया बताते हैं। उनके मुताबिक सूर्य की किरणों में आने वाले बदलाव के कारण कुछ पत्थर रंग बदलते हैं।
आस्था के तौर पर इसे देखने वाले शिव का चमत्कार बताते हैं। पुजारी सत्यपाल शर्मा ने बताया शिवलिंग की ऊंचाई साढ़े 6 फीट है। इसमें चार फीट जमीन के भीतर हैं। जबकि ढाई फीट बाहर है। शिवलिंग के दर्शन के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं।
15 सितंबर को सुनवाई की दी थी तारीख
जामा मस्जिद में नीलकंठ महादेव मंदिर होने का दावा किया गया था। अखिल भारतीय हिंदू महासभा ने बदायूं सिविल कोर्ट में इसे लेकर याचिका दाखिल की थी। कोर्ट ने याचिका सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया। इस पर 15 सितंबर को सुनवाई की तारीख दी थी। हिंदू महासभा ने एक नक्शा पेश किया है। नक्शे में बताया गया है कि यह मस्जिद 63280 वर्ग फीट जगह में बनी हुई है।
अब आपको बताते हैं कि कोर्ट में दाखिल किए गए नक्शे में क्या खास है
मुख्य मीनार 90 फीट ऊंची है।
मस्जिद की दीवारें डेढ़ से दो गज चौड़ी हैं।
50 से 65 फीट इनकी ऊंचाई है।
डोम के अगल-बगल कमरे हैं।
इनकी लंबाई 280 फीट और चौड़ाई 226 फीट है।
मस्जिद के पश्चिम उत्तर और दक्षिण में आबादी है।
पूरब दिशा में गेट के पास से आम रास्ता है।
बीच में फव्वारा है। फव्वारा के आगे-पीछे की जगह खाली है।
मस्जिद के आस-पास आबादी क्षेत्र और मोहल्ला है।
चक्कर की सड़क पर दरगाह रोड का जिक्र है।