लेवाना होटल अग्निकांड की जांच रिपोर्ट पेश प्रमुख सचिव को जांच कमेटी ने देर रात सौंपी

लेवाना होटल अग्निकांड की जांच रिपोर्ट पेश प्रमुख सचिव को जांच कमेटी ने देर रात सौंपी

लखनऊ के लेवाना सुइट्स होटल अग्निकांड की जांच रिपोर्ट शुक्रवार देर रात प्रमुख सचिव गृह संजय प्रसाद को सौंप दी गई। सूत्रों के मुताबिक लखनऊ मंडलायुक्त और पुलिस कमिश्नर की रिपोर्ट में अग्निकांड के पीछे लखनऊ डेवलपमेंट अथॉरिटी यानी LDA और फायर विभाग समेत छह विभागों को जिम्मेदार ठहराया गया है। जिनके अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की गई है।


लेवाना होटल जैसे कांड भविष्य में न हो


सूत्रों के मुताबिक मंडालायुक्त रोशन जैकब और पुलिस कमिश्नर एसबी शिरडकर ने शुक्रवार रात को रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया। जिसमें दोषी कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात कही। वहीं भविष्य में ऐसी घटनाएं न हो इसके लिए सुझाव दिए हैं। चर्चा है कि उन्होंने रिपोर्ट सौंपने से पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी मुलाकात की थी।


शासन रिपोर्ट के आधार पर दोषियों पर करेगा कार्रवाई


सूत्रों के मुताबिक जांच में अग्निकांड के लिए जिम्मेदार अफसरों और कर्मचारियों का जिक्र है। जिसमें एलडीए फायर नगर निगम आबकारी बिजली विभाग और जिला प्रशासन के कर्मचारियों का जिक्र है। रिपोर्ट में यह भी सलाह दी गई है कि उन सभी होटल और बिल्डिंग पर कार्रवाई होनी चाहिए जो मानक के विपरीत और बिना नक्शा पास किए हुए बनी हैं।


जिम्मेदार विभागों की यह रही लापरवाही


सूत्रों के मुताबिक रिपोर्ट में उन सभी विभागों का जिक्र किया गया है जिनका लेवाना होटल के निर्माण और चलने में कहीं न कहीं भूमिका था। इन विभागों की कहां पर चूक हुई और कौन जिम्मेदार है रिपोर्ट में इसका जिक्र किया गया है। हम बताते हैं कि किन विभाग से कहां पर चूक हुई।


एलडीए की सबसे बड़ी लापरवाही आई सामने


लेवाना होटल जिस जमीन पर बना उसका नक्शा आवासीय परिसर के लिए पास हुआ था। जोन छह के अधिकारी आंख बंद कर बैठे रहे और बिना नक्शा पास हुए चार मंजिल होटल तैयार हो गया।


फायर विभाग ने बिना चेक किए दे दी एनओसी


जांच में सामने आया है कि फायर विभाग ने मौके पर जाकर जांच के नाम पर सिर्फ खाना पूर्ति की। फायर के मानक न पूरे होते हुए एनओसी दे दी। साथ ही कोई पेंच न फंसे इसके चलते नोटिस दिए लेकिन उसके बाद कोई कार्रवाई नहीं की। जबकि वहां पर फायर एनओसी का सबसे जरूरी मानक फायर एक्जिट की व्यवस्था ही नहीं थी।


जिला प्रशासन की मॉनीटरिंग में रही कमी

लेवाना होटल का सराय एक्ट में रजिस्ट्रेशन नहीं था और न ही उसने कोई आवेदन तक नहीं किया था। शहर में इतना बड़ा होटल अवैध रूप से चल रहा था और जिला प्रशासन के अधिकारियों की इसकी खबर तक नहीं थी। उनकी मानीटरिंग बाड़ी क्या कर रही थी।


आबकारी विभाग ने बिना नक्शा पास दे दिया बार का परमिट

होटल में बार भी चल रहा था। आबकारी विभाग ने होटल के बिना कागज देखे उसको लाइसेंस जारी कर दिया। जबकि वह अवैध रूप से चल रहा था। सूत्रों के मुताबिक इसको लेकर आबकारी मंत्री ने विभाग से जवाब भी तलब किया है।


लेसा ने बिना नक्शा देखे दिया 250 किलोवाट का कनेक्शन

नक्शा पास नहीं होने पर में लेसा कोई भी कामर्शियल कनेक्शन नहीं देता है। इस मामले में विभाग ने 250 किलोवाट का कनेक्शन पास कर दिया है। इसमें LDA और XEN की सहमित भी जरूरी होती है। साथ ही विभाग के मुताबिक उन्होंने तीन मंजिल के लिए कनेक्शन दिया जबकि होटल चार मंजिल है। जिससे साफ है विभाग की मिलीभगत से यह सब हुआ।


नगर निगम से गायब है होटल की फाइल

नगर निगम के दस्तावेजों में लेवाना होटल की जमीन उसके मालिक के नाम पर न होकर अन्य 12 लोगों के नाम दर्ज है। जबकि पांच साल से यहां होटल चल रहा है।

दूसरी तरफ होटल के हाउस टैक्स की फाइल भी गायब है। नगर निगम इतने दिन चुप क्यों रहा यह बड़ा सवाल है।

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