पटना से चलकर मंगलवार को वाराणसी पहुंचा 5 स्टार एमवी राजमहल क्रूज आज रामनगर और चुनार किले की ओर रवाना हो गया है। क्रूज पर सवार 13 ब्रिटिश 3 जर्मन और 2 भारतीय सैलानियों ने आज रास्ते में काशी के सभी 88 घाटों को निहारा। क्रूज के सनडेक से गंगा घाटों और प्राचीन भवनों के 360 डिग्री व्यू को देख विदेशी काफी रोमांचित हो उठे। वहीं घाट किनारे वालों के लिए यह क्रूज कौतूहल का विषय रहा।
पर्यटकों ने मणिकर्णिका घाट दशाश्वमेध घाट और अस्सी घाट की तस्वीरें भी उतारीं। क्रूज जब काशी के सभी घाटों से गुजर रहा था तो काफी संख्या में घाटवासी उसे एक टक निहारते ही रह गए।
चुनार की यात्रा होगी रोमांचक
आज तड़के सुबह नमो घाट से लेकर चला क्रूज अब रामनगर बंदरगाह पर पहुंच गया है। वहां पर रामनगर किला का भ्रमण करने के बाद सैलानी वापस बंदरगाह पर आएंगे और वहां से चुनार किले के लिए निकलेंगे। बंदरगाह पर बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है।वाराणसी से चुनार तक 30 किलोमीटर का यह सफर काफी रोमांचक होने वाला है। चुनार किला के बाद पर्यटक वापस वाराणसी आएंगे।
सारनाथ में देखा अशोक स्तंभ
वाराणसी में सैलानियों ने गौतम बुद्ध की उपदेश स्थली सारनाथ का भ्रमण किया। पुरातात्विक खंडहर स्तूप और म्यूजियम में रखे देश के राष्ट्रीय चिन्ह अशोक स्तंभ को देखा। इस दौरान वे काफी चकित थे। खंडहर परिसर में अशोक की लाट प्राचीन मूलगंध कुटी बौद्ध मंदिर के अवशेषों का भी अवलोकन किया। सैलानियों ने कहा यहां आकर एक आध्यत्मिक सुख मिला है। सभी को एक बार जरूर आना चाहिए।
2 साल बाद फिर से शुरू हुई क्रूज वाली गंगा यात्रा
एमवी राजमहल 2 साल के लंबे इंतजार के बाद कल काशी आया। कोलकाता का यह क्रूज 18 अगस्त को पटना के लिए चला। वहां से 2 सितंबर को सैलानियों को लेकर 6 सितंबर को वाराणसी आया। 55 मीटर लंबे इस क्रूज पर एक पर्यटक का किराया 1500 डॉलर यानी 1 लाख रुपए से ज्यादा है। कोलकाता के इस क्रूज को पटना से काशी के लिए चलाया गया है
एडवेंचर से भरी रही यह यात्रा
असम-बंगाल नेविगेशन कंपनी के जनरल मैनेजर कुनाल सिंह ने बताया यह सफर बेहद ही अद्भुत रहा। 420 किमी की यह यात्रा सैलानियों के लिए किसी एडवेंचर से कम नहीं थी। 2 सितंबर को पटना से यात्रा शुरू हुई जाे कि जो मनेर बक्सर बलिया गाजीपुर होते हुए वाराणसी तक आई। यह क्रूज साल 2014 में बना था। इस जहाज में 22 कमरे हैं। डायनिंग हॉल में यूपी-बिहार के पारंपिक डिश सर्वे करते हैं। इसके साथ ही कांटीनेंटल और चाइनीज फूड भी परोसते हैं। सैलानियों ने कहा कि गंगा में इस मौसम के साथ सफर काफी अच्छा रहा। वाराणसी-हल्दिया के बीच राष्ट्रीय जलमार्ग की दूरी 1390 किलोमीटर है। कोलकाता से कई क्रूज फरक्का तक आती-जाती हैं। मगर वहां से पटना और वाराणसी आने के लिए सितंबर के महीने का इंतजार होता है। दरअसल इस समय गंगा में पानी काफी ज्यादा होता है। इसलिए क्रूज को चलने में दिक्कत नहीं आती।