उद्धव ठाकरे ने जिंदगी में कभी ऐसा दिन देखने के बारे में सोचा भी नहीं होगा

उद्धव ठाकरे ने जिंदगी में कभी ऐसा दिन देखने के बारे में सोचा भी नहीं होगा

दशहरा यानि विजयादशमी का पर्व पांच अक्टूबर को मनाया जायेगा। इस पर्व का हरेक के जीवन में अलग-अलग रूप में महत्व है और राजनीतिक दलों की बात करें तो शिवसेना के लिए इस दिन का बहुत खास महत्व है। साल 1966 से शिवसेना दशहरा के दिन मुंबई के शिवाजी पार्क में विशाल रैली करती रही है जिसमें राज्य भर से लाखों की संख्या में पार्टी के कार्यकर्ता जुटते हैं। दशहरा रैली में शिवसेना प्रमुख के संबोधन पर भी सभी की नजरें रहती हैं क्योंकि उसमें वह आगे की राजनीति के संकेत और संदेश देते रहे हैं। लेकिन शिवसेना के इतिहास में पहली बार ऐसा हो रहा है जब पार्टी की वार्षिक रैली का आयोजन ही खतरे में पड़ गया है।


दरअसल शिवसेना से बगावत कर अपना अलग गुट बनाने और भाजपा के साथ सरकार बनाकर उद्धव ठाकरे को झटका देने वाले मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे अब एक और नया इतिहास रचने जा रहे हैं। उद्धव ठाकरे को हटाकर सरकार की कमान तो एकनाथ शिंदे ने संभाल ली लेकिन अब बारी पार्टी के मुखिया पद से उद्धव ठाकरे को हटाने की और खुद शिवसेना प्रमुख बनने की है। देखा जाये तो एकनाथ शिंदे गुट ने शिवसेना पर अपना दावा कर भी दिया है और लड़ाई सुप्रीम कोर्ट तथा चुनाव आयोग तक पहुँच भी गयी है। वहां से निर्णय आने में वक्त लगेगा इसलिए अब शिंदे ने इस लड़ाई को जनता की अदालत में ले जाने का मन बनाया है। जी हाँ जहां ठाकरे परिवार अब तक दशहरा रैली करता रहा है वहीं पर रैली करने के लिए एकनाथ शिंदे गुट ने भी तैयारी कर ली है।


हम आपको बता दें कि शिवसेना के राजनीतिक कैलेंडर में यह रैली सबसे महत्वपूर्ण आयोजन मानी जाती है और कई दशकों से पार्टी की यह परंपरा चली आ रही है। परंतु इस साल इस रैली के दो दावेदार हैं- उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे। उद्धव ठाकरे कह रहे हैं कि उनकी पार्टी पहले की तरह शिवाजी पार्क में दशहरा रैली करेगी तो वहीं एकनाथ शिंदे गुट भी दशहरा के दिन शिवाजी पार्क में रैली करने के लिए अड़ा हुआ है। हाल ही में उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे ने आरोप लगाया था कि रैली के लिए पार्टी के आवेदन को मंजूरी मिलने में दिक्कत पेश आ रही है।


वहीं मुंबई नगर निकाय ने कहा है कि दशहरा रैली के लिए शिवाजी पार्क बुक करने के वास्ते उसे शिवसेना के उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे गुट की ओर से आवेदन प्राप्त हुए हैं। बृहन्मुंबई महानगर पालिका के एक अधिकारी ने कहा दशहरा रैली के लिए शिवाजी पार्क की बुकिंग के वास्ते हमें पिछले महीने दो आवेदन प्राप्त हुए। पहला आवेदन 22 अगस्त को मिला जो शिवसेना के ठाकरे गुट ने भेजा था और दूसरा आवेदन गणेशोत्सव से ठीक पहले शिंदे गुट ने भेजा था। नगर निकाय ने अभी तक किसी भी आवेदन पर निर्णय नहीं लिया है। देखा जाये तो नगर निकाय के सामने भी धर्मसंकट है क्योंकि उसने जिस एक पक्ष को रैली करने की इजाजत दी उसका दूसरा पक्ष विरोध करेगा जिससे संघर्ष की स्थिति बन सकती है।


इस बीच इस सारे मुद्दे पर जहां भाजपा खामोश है वहीं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को शिवसेना की वार्षिक दशहरा रैली को लेकर टकराव के रास्ते पर जाने से बचने की सलाह दी है। पवार ने कहा एक मुख्यमंत्री को टकराव के रास्ते से बचना चाहिए और सभी को साथ लेकर चलना चाहिए। लेकिन पवार की सलाह पर शिंदे गुट के प्रवक्ता नरेश म्हस्के ने पलटवार करते हुए पूछा जब तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भोजन करते समय केंद्रीय मंत्री नारायण राणे को गिरफ्तार कर लिया तो क्या पवार ने ठाकरे को टकराव से बचने की सलाह दी थी? उन्होंने कहा कि जब युवराज (शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे का स्पष्ट संदर्भ) शिंदे के खिलाफ टिप्पणी करते हैं तो क्या पवार उनसे संयम बरतने को कहते हैं?


बहरहाल जिस तरह के हालात दिख रहे हैं उसको देखते हुए कहा जा सकता है कि उद्धव और शिंदे के बीच एक नई जंग की पटकथा लिखी जा चुकी है। यदि उद्धव ठाकरे शिवाजी पार्क में शिवसेना की वार्षिक रैली नहीं कर पाये और एकनाथ शिंदे ने वहां रैली कर ली तो इससे बड़ा राजनीतिक संदेश जायेगा। शिवसेना प्रमुख के तौर पर उद्धव ठाकरे पहले ही राजनीतिक रूप से कमजोर हो चुके हैं क्योंकि पार्टी के अधिकांश विधायक और सांसद उनसे नाता तोड़ चुके हैं। यदि उद्धव ठाकरे को दशहरा रैली की इजाजत दी गयी तो वह अपनी ताकत बढ़ाने के लिए इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। इसी बात को समझते हुए एकनाथ शिंदे गुट आगे की रणनीति बनाते समय फूंक-फूंक कर कदम रख रहा है। देखना होगा कि महाराष्ट्र की राजनीति किस दिशा में आगे बढ़ती है।

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