गोंडा में मवेशियों के आतंक से गांवों में किसान परेशान हैं। शहर में लोग हलकान। छुट्टा मवेशियों की धरपकड़ के लिए सारी कवायद और दावे फेल हो गए हैं। यह हाल तब है जब जिले में हर पंचायत में गो आश्रय केन्द्र खोले गए हैं। इन मवेशियों का इस कदर आतंक है कि अब वह बीच बाजार व सड़कों पर विचरण कर रहे हैं।
सरकार के तमाम आदेशों के बाद भी आवारा मवेशियों को पकड़ने के प्रति जिम्मेदार उदासीन बने हुए हैं। शासन ने आवारा गौवंशों को पकड़ कर गौ आश्रालयों में रखने के आदेश प्रशासनिक अधिकारियों को दिए थे। लेकिन इन आदेशों को तवज्जो नहीं दी गई। आवारा पशुओं से किसान आह भर रहे हैं। जिम्मेदार बेपरवाह बने हुए हैं।
पशुओं का झुंड फसल कर रहा बर्बाद
आवारा पशुओं से बचाव के लिए हालांकि गौशाला निर्माण की पहल की गई है। लेकिन पशुओं के झुंड खेतों में पहुंचकर लगी फसलों को नष्ट कर रहे हैं। किसान फसलों की रखवाली में दिन-रात जुटे रहते हैं। इसके बावजूद भी अपनी गाढ़ी कमाई की फसलों को नहीं बचा पा रहे हैं।
मवेशियों के हमले से हो चुकी हैं कई घटनाएं
मवेशियों के हमले की कई घटनाएं हो चुकी हैं। गोंडा से बहराइच जाते समय रोहित तिवारी का मवेशियों के चपेट में आने से पैर और कमर टूट चुकी है। वहीं किसान राजमंगल कृष्ण बतातें हैं किसानों पर दोहरी मार पड़ी है। राम फेर कहते हैं कि महंगाई ने उनकी कमर को तोड़ कर रख दिया है।
रखवाली के बाद भी फसल चर जाते हैं
छुट्टा पशु किसानों के दुश्मन बन गए हैं। रात भर रखवाली के बाद भी फसल चर जाते हैं। किसान राकेश का कहना है कि आवारा पशु आज की सबसे बड़ी समस्या है लेकिन इस पर न प्रशासन न राजनीतिक दल कोई ठोस योजना बना रहे हैं। गांव में बने गो आश्रय केन्द्र बदहाली के शिकार हैं। वही जब इस संबंध में मुख्य विकास अधिकारी गौरव कुमार से बात की गई तो उन्होंने कहा कि पूरे मामले की जांच कराई जाएगी।