मां के पास ही रहेगा मासूम आरव मुजफ्फरनगर कोर्ट ने पलटा CWA का निर्णय

मां के पास ही रहेगा मासूम आरव मुजफ्फरनगर कोर्ट ने पलटा CWA का निर्णय

मुजफ्फरनगर की एक अदालत ने 7 साल के मासूम को उसकी मां से जुदा करने के बाल कल्याण समिति (CWA) के निर्णय को पलट दिया है। कोर्ट के आदेश के बाद फिलहाल आरव अपनी मां के पास रहेगा। आईटीबीपी के जवान रहे आरव के पिता का डेढ़ वर्ष पूर्व निधन हो गया था। तब से आरव की परवरिश को लेकर उसकी मां और दादा के बीच विवाद है।


क्या है मासूम आरव की कहानी

7 साल का आरव इस समय मां और दादा के बीच चल रहे विवाद में उलझा है। आरव के पिता सूरज कुमार निवासी बिहारीपुर जिला बागपत ITBP जवान थे लेकिन 4 फरवरी 2021 को बीमारी के चलते उनके निधन के बाद से आरव की मुश्किल शुरू हो गईं। सूरज कुमार के निधन के बाद पत्नी प्रियांशी अपने बेटे आरव को लेकर शाहपुर क्षेत्र के गांव ककाड़ा स्थित अपने पिता के घर आ गई थी। मासूम आरव अपने पिता को यादकर तब से मां प्रियांशी की आगोश में ही पल रहा है।


CWA ने आरव की कस्टडी दादा राजकुमार को दी थी

मां प्रियांशी के पास रह रहे आरव की कस्टडी हासिल करने के लिए दादा राजकुमार ने बाल कल्याण समिति(CWA) मुजफ्फरनगर का दरवाजा खटखटाया था। इसके लिए उन्होंने 19 मार्च 2021 को अपने आपको आरव का संरक्षक बताते हुए उसकी कस्टडी की मांग की। आरव की माता प्रियांशी के अधिवक्ता रामअवतार तायल ने बताया कि बाल कल्याण समिति ने इस मामले में सुनवाई करते हुए 13 जुलाई 2021 को एक पक्षीय निर्णय देते हुए आरव की कस्टडी उसके दादा राजकुमार को सौंपने का आदेश जारी किया।


एडीजे प्रथम कोर्ट ने निरस्त किया CWA का निर्णय

अधिवक्ता रामअवतार तायल ने बताया कि बाल कल्याण समिति के दिए गए निर्णय के विरुद्ध उन्होंने जिला एवं सत्र न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। सर्वप्रथम कोर्ट में मामले के क्षेत्राधिकार को लेकर बहस हुई। कोर्ट ने मुकदमा सुनने की अनुमति दी। इसके बाद उन्होंने कोर्ट के सामने तर्क रखा कि बाल कल्याण समिति (CWA) ने आरव की ममता को नहीं समझा। आरव को उसकी मां की ममता भरी छांव से दूर करने का निर्णय दिया।


उन्होंने कहा कि आरव उसकी मां प्रियांशी के भविष्य का सहारा है। दादा राजकुमार वृद्ध और बीमार हैं उनके संरक्षण में आरव की सुरक्षित परवरिश संभव नहीं। बताया कि कोर्ट में उन्होंने CWA पर सवाल खड़ा किया उसे यह केस सुनने का अधिकार ही नहीं है। बताया कि अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रथम जय सिंह पुंडीर ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद बाल कल्याण समिति के 13 जुलाई 2021 को दिये निर्णय को निरस्त करने का आदेश दिया। साथ ही निर्देश दिया कि बाल कल्याण समिति दोनों पक्षों को फिर से सुने।

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