
अमृतकाल का सुनहरा पक्ष है मातृभाषा, मगर बच्चों में भाषा संरचना का स्वरूप बिखरता हुआ दिख रहा है
हमारी भाषा हमारे अपने व्यक्तित्व का प्रतिबिंब है। भाषा वैचारिक आदान-प्रदान का माध्यम है, भाषा अभिव्यक्ति का सर्वाधिक विश्वसनीय माध्यम है। भाषा हमारे समाज के निर्माण, विकास, अस्मिता, सामाजिक व सांस्कृतिक पहचान की महत्वपूर्ण साधन है। हम कह सकते हैं कि बिना भाषा के मानव जीवन अपूर्ण है। भाषा का विस्तार एवं विकास मनुष्य का अपना ही विकास है। भाषा ही पारस्परिक ज्ञान, संबंध, प्राचीन सभ्यता और आधुनिक .....
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