New Delhi: भारत-पाकिस्तान का दिल मिलाने की कोशिश, किशनगंगा नदी पर बने क्रॉसिंग प्वाइंट को फिर से शुरू करने की मांग

New Delhi: भारत-पाकिस्तान का दिल मिलाने की कोशिश, किशनगंगा नदी पर बने क्रॉसिंग प्वाइंट को फिर से शुरू करने की मांग

टीटवाल,जम्मू कश्मीर: भारत के सीमावर्ती गांव टीटवाल और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर PoK को अलग करने वाली नियंत्रण रेखा एलओसी पर स्थित एक केबल पुल के बीचोंबीच एक स्पष्ट सफेद रंग की रेखा खींची गई है. यह पुल युद्धों और भारी संख्या में सैनिकों की तैनाती वाले क्षेत्र में इतिहास के उतार-चढ़ाव भरे दौर का गवाह रहा है. भारत और पाकिस्तान के बीच पिछले साल फरवरी में संघर्ष विराम पर सहमति बनने के बाद से यहां शांति और स्थिरता लौटी है. इस गांव के रहने वाले कई लोग अब यह अपील कर रहे हैं कि आवाजाही और दोनों ओर के लोगों के दिलों को जोड़ने के लिए किशनगंगा नदी पर स्थित क्रॉसिंग प्वाइंट को फिर से खोल दिया जाए.


इस पुल का निर्माण तत्कालीन जम्मू कश्मीर रियासत में 1931 में किया गया था और यह 1947 में हुए भारत-पाक विभाजन तथा इसके कारण हुए विस्थापन की त्रासदी का गवाह रहा है. यह भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धों का गवाह रहा है और इसने पिछले 75 सालों से दोनों देशों के बीच तेजी से बदलते संबंधों को देखा है.


160 फुट लंबा है क्रॉसिंग प्वाइंट

किशनगंगा नदी पर लकड़ी का बना 160 फुट लंबा यह केबल पुल एलओसी के दोनों ओर आने जाने वाला चौथा बिंदु क्रॉसिंग प्वाइंट है. किशनगंगा को पाकिस्तान में नीलम नदी के नाम से जाना जाता है. पुल को आधिकारिक रूप से चिलेहना टीटवाल क्रॉसिंग प्वाइंट सीटीसीपी के नाम से जाना जाता है और इसके दोनों ओर कड़ी पहरेदारी है. भारतीय थल सेना ने कहा कि पिछले साल संघर्ष विराम पर सहमति बनने के बाद से दोनों ओर के लोगों की एक-दूसरे को जानने की जिज्ञासा बढ़ गई है.  टीटवाल गांव के नंबरदार जमीर अहमद का कहना है कि नदी के उस ओर पीओके स्थित गांव एक पर्यटन स्थल बन गया है. वहां लोग मुजफ्फराबाद, लाहौर तथा रावलपिंडी से एलओसी और भारत में जन-जीवन देखने आते हैं. पिछले साल की शुरूआत में संघर्ष विराम होने के बाद अब इलाके में शांति लौट रही है. ऐसे में टीटवाल स्थित क्रॉसिंग प्वाइंट को उपयुक्त अनुमति के साथ दोनों ओर के लोगों के लिए खोल दिया जाना चाहिए


सेना के सूत्रों ने कहा कि संघर्ष विराम उल्लंघन ने टीटवाल में जन-जीवन को काफी प्रभावित किया है. उन्होंने कहा कि स्थानीय निवासी दिन में किसी भी समय मुक्त रूप से इधर-उधर नहीं जा सकते हैं और स्कूल भी नियमित रूप से नहीं खुलते हैं. एक सूत्र ने कहा कि संघर्ष विराम पर सहमति बनने के बाद से नियमित गतिविधियों की स्थिति में सुधार आया हैय आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि पुराने पुल को पाकिस्तान की ओर से आए कबायली हमलावरों ने 1948 में नष्ट कर दिया था. इसे भारत और पाकिस्तान ने 1988 में पुनर्निर्मित किया था.


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yhfee@chitthi.in, 10 June 2023

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