राजनाथ: गिलगित-बाल्टिस्तान पहुंचकर पूरी होगी उत्तर में भारत की विकास यात्रा

राजनाथ: गिलगित-बाल्टिस्तान पहुंचकर पूरी होगी उत्तर में भारत की विकास यात्रा

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत की उत्तर में विकास यात्रा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर पीओके के गिलगित और बाल्टिस्तान के हिस्सों में पहुंचने के बाद पूरी होगी। उन्होंने पड़ोसी देश के अवैध कब्जे से इन क्षेत्रों को वापस लेने के संबंध में संसद में 1994 में पारित एक प्रस्ताव का जिक्र करते हुए यह बात कही। सिंह ने यहां शौर्य दिवस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, हमने जम्मू कश्मीर और लद्दाख में विकास की अपनी यात्रा अभी शुरू की है। जब हम गिलगित और बाल्टिस्तान तक पहुंच जाएंगे तो हमारा लक्ष्य पूरा हो जाएगा। भारतीय वायु सेना के 1947 में आज ही के दिन श्रीनगर पहुंचने की घटना की याद में शौर्य दिवस मनाया जाता है।


सिंह ने कहा कि पांच अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 निरस्त करने के केंद्र के फैसले से जम्मू कश्मीर में लोगों के खिलाफ भेदभाव खत्म हो गया। उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पांच अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर के लोगों के खिलाफ भेदभाव खत्म हो गया। इससे क्षेत्र में उम्मीद की नयी किरण आई है। उन्होंने कहा, कश्मीर और लद्दाख आज विकास के तीव्रगामी पथ पर हैं। क्षेत्र विकास की नयी ऊंचाइयां छू रहा है। हमने उत्तर की अपनी यात्रा शुरू ही की है। हमारी यात्रा तब पूरी होगी जब 22 फरवरी 1994 को संसद में सर्वसम्मति से पारित प्रस्ताव पूरी तरह लागू हो जाए और हम गिलगित और बाल्टिस्तान जैसे अपने बाकी इलाकों में पहुंच जाएं।


प्रधानमंत्री मोदी ने भी 2016 में अपने स्वतंत्रता दिवस भाषण में पाकिस्तान के कब्जे वाले क्षेत्रों के हालात की बात की थी और कहा था कि बलोचिस्तान और गिलगिट के लोगों ने उनके मुद्दे के उठाने के लिए उनका शुक्रिया अदा किया। राजनाथ ने कहा कि जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जम्मू कश्मीर के पूर्ण एकीकरण के लिए महायज्ञ शुरू किया था जो पांच अगस्त, 2019 को पूरा हुआ। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान द्वारा उसके कब्जे वाले कश्मीर में लोगों पर अत्याचार कर रहा है और उसे इसके अंजाम भुगतने पड़ेंगे।


उन्होंने कहा, मैं पाकिस्तान से हमारे इलाकों में रहने वाले लोगों को दिये गये अधिकारों के बारे में पूछना चाहता हूं जहां उसने अवैध कब्जा कर रखा है। हम वहां बेगुनाह भारतीयों के खिलाफ अमानवीय कृत्यों के बारे में सुनते रहते हैं जिसके लिए पाकिस्तान पूरी तरह जिम्मेदार है। और यहां मैं पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर पीओके के बारे में बात कर रहा हूं। पाकिस्तान पर मानवाधिकारों के नाम पर घड़ियाली आंसू बहाने का आरोप लगाते हुए रक्षा मंत्री ने कहा, पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर पीओके के लोगों का दर्द हमें भी परेशान करता है, केवल उन्हें ही नहीं करता।


उन्होंने कहा, जम्मू कश्मीर ने कश्मीरियत के नाम पर आतंकवाद का जो तांडव देखा है, उसे बयां नहीं किया जा सकता। रक्षा मंत्री ने कहा, आतंकवाद का कोई धर्म नहीं है। आतंकवादियों का एकमात्र उद्देश्य भारत को निशाना बनाना है। उन्होंने दावा किया कि पिछले कुछ सालों में जब आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई की गयी तो कुछ तथाकथित बुद्धिजीवियों ने मानवाधिकार उल्लंघन का रोना रोया है। जम्मू कश्मीर को पाकिस्तानी सेना से बचाने के लिए 1947 में श्रीनगर के पुराने एयरफील्ड में 1 सिख रेजिमेंट के आगमन की 75वीं वर्षगांठ पर सेना ने शौर्य दिवस की मेजबानी की।


यह स्वतंत्र भारत का पहला सैन्य अभियान था जिसने 1947-48 की जंग की दिशा बदल दी थी। पाकिस्तानी बलों से मुकाबले के मिशन के लिए भेजा गया भारतीय सेना के जवानों का पहला जत्था 27 अक्टूबर, 1947 को एयरफील्ड में उतरा था। समारोह स्थल पर ब्रिगेडियर राजिंदर सिंह, ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान, मेजर सोमनाथ शर्मा और मकबूल शेरवानी के बड़े कट-आउट लगाये गये। ब्रिगेडियर राजिंदर सिंह की 80 वर्षीय पुत्री उषा परमार और अन्य शहीदों के परिजनों ने कार्यक्रम में भाग लिया।


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yhfee@chitthi.in, 10 June 2023

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