नई दिल्ली, गुजरात सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को बिलकिस बानो मामले में 11 दोषियों की रिहाई का कारण बताया. गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा कि बोर्ड में शामिल सभी व्यक्तियों की राय के आधार पर ही दोषियों को रिहा करने का फैसला लिया गया था. इसमें सजा के दौरान दोषियों के व्यवहार पर भी विचार किया गया था. दरअसल, गुजरात सरकार ने 11 दोषियों को रिहा करने के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल किया. आज यानी मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई है.
बिलकिस बानो केस में 11 दोषियों की रिहाई मामले पर गुजरात सरकार ने याचिकाकर्ता सुभाषिनी अली, महुआ मोइत्रा द्वारा याचिका दाखिल करने पर सवाल उठाए. गुजरात सरकार की ओर से हलफनामे मे कहा गया कि क्षमादान को चुनौती देना जनहित याचिका के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है और यह अधिकारों का दुरुपयोग है.
गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सभी दोषियों को बोर्ड में शामिल सभी व्यक्तियों की राय के आधार रिहा करने का फैसला लिया गया था और इसमे सजा के दौरान दोषियों के व्यवहार पर भी विचार किया गया था. राज्य सरकार ने सभी की ओपीनियन पर विचार किया और 11 कैदियों को रिहा करने का फैसला किया, क्योंकि दोषियों ने जेलों में 14 साल और उससे अधिक की सजा पूरी कर ली थी और उनका व्यवहार अच्छा पाया गया था.
गुजरात सरकार ने आगे कहा कि राज्य सरकार की मंजूरी के बाद 10 अगस्त 2022 को दोषियों को रिहा करने के आदेश जारी किए गए थे. इस मामले में राज्य सरकार ने इस न्यायालय द्वारा निर्देशित 1992 की नीति के तहत प्रस्तावों पर भी विचार किया. ये रिहाई नियम के मुताबिक हुई. याचिकाकर्ताओ का यह कहना गलत है कि इन लोगों को आजादी का अमृत महोत्सव के अवसर पर सजा में छूट दी गई है.