सड़क सुरक्षा नियमों को सख्ती से लागू कराना वक्त की सबसे बड़ी जरूरत है

सड़क सुरक्षा नियमों को सख्ती से लागू कराना वक्त की सबसे बड़ी जरूरत है

महाराष्ट्र के पालघर में एक सड़क दुर्घटना में टाटा संस के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री की मौत ने सड़क सुरक्षा के मुद्दों जैसे कि तेज रफ्तार पर नजर रखने पीछे बैठे यात्रियों के लिए सीट बेल्ट पहनना और सड़क की असंगत बनावट पर बहस तेज कर दी है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस दुर्घटना से तीन प्रमुख निष्कर्ष निकलते हैं कि सड़कों विशेष रूप से राजमार्गों को सुसंगत तरीके से बनाया जाना चाहिए सड़क पर पर्याप्त संकेत चिह्न होने चाहिए और पीछे बैठे व्यक्ति के लिए सीट बेल्ट पहनने के कानून को लागू किया जाना चाहिए।


हम आपको बता दें कि अंतराष्ट्रीय सड़क महासंघ के अनुसार दुनिया भर में होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में 11 प्रतिशत से अधिक हादसे भारत में होते हैं जिनमें हर दिन 426 लोगों की जान जाती है और हर घंटे 18 लोग मारे जाते हैं। महासंघ के अनुसार 2021 में 1.6 लाख से अधिक लोगों की जान चली गई। महासंघ का कहना है कि अधिकतर सड़क दुर्घटना में होने वाली मौतों को टाला जा सकता है। माना जा रहा है कि कार की पिछली सीट पर बैठने वाले यात्रियों के लिए भी सीट बेल्ट पहनने के कानूनी प्रावधान का अगर पालन किया गया होता तो साइरस मिस्त्री और उनके दोस्त की जान बच सकती थी। ऐसा लगता है कि जब उनकी तेज रफ्तार कार डिवाइडर से टकराई तो सीट बेल्ट न पहनने से पीछे बैठे दोनों यात्री उछलकर अगले हिस्से की तरफ टकरा गए होंगे।


जहां तक सीट बेल्ट संबंधी नियमों की बात है तो कानूनी तौर पर पिछली सीट पर बैठने वाले यात्रियों के लिए सीट बेल्ट न पहनने पर 1000 रुपये का जुर्माना लगाने का प्रावधान किया गया है। यह अलग बात है कि मोटर वाहन अधिनियम के नियम 138 (तीन) के तहत किए गए इस प्रावधान के बारे में या तो लोगों को जानकारी ही नहीं है या फिर वे इसे नजरअंदाज कर देते हैं। यहां तक कि यातायात पुलिस भी इस प्रावधान का उल्लंघन करते हुए पाए जाने पर शायद ही लोगों पर जुर्माना लगाती है। देखा जाये तो पीछे बैठने वालों के बीच सीट बेल्ट पहनने की प्रवृत्ति बहुत कम पाई जाती है। बड़े शहरों और महानगरों में यह काफी कम है। छोटे शहरों में तो यह अनुपात लगभग शून्य है।


दूसरी ओर यदि सरकार की ओर से सड़क सुरक्षा खामियों को दूर करने के प्रयासों पर गौर करें तो देखने में आता है कि सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों में कमी लाने के लिए सरकार वाहनों में सुरक्षा प्रावधानों को सख्त करने की कोशिश में लगी हुई है। सरकार वाहन विनिर्माताओं के लिए कम-से-कम छह एयरबैग देना जरूरी करने का प्रावधान भी करना चाहती है। माना जा रहा है कि आठ यात्रियों वाले वाहनों में छह एयरबैग का प्रावधान अक्टूबर से लागू किया जा सकता है। उल्लेखनीय है कि एयरबैग किसी भी वाहन में लगा एक प्रतिरोधक सुरक्षा उपकरण होता है जो हादसे के समय अचानक खुल जाता है और यात्रियों को सीधी टक्कर से बचा लेता है। लेकिन यह भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि एयरबैग पूरक प्रतिरोध प्रणाली ही होते हैं। प्राथमिक प्रतिरोध प्रणाली का काम तो सीट बेल्ट ही करती है।


सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने पिछले साल कहा था कि मध्यम आय वर्ग की तरफ से खरीदी जाने वाली छोटी कारों में भी समुचित संख्या में एयरबैग दिए जाने चाहिए। उन्होंने महंगी कारों में ही आठ एयरबैग दिए जाने को लेकर विनिर्माताओं पर सवाल भी उठाए थे। यही नहीं गडकरी ने कुछ महीने पहले कहा था कि वाहनों में मौजूद लोगों की सुरक्षा के लिए सरकार ने वाहन कंपनियों को थ्री-पॉइंट सीट बेल्ट की पेशकश करने को कहा है। उन्होंने कहा था कि पिछली सीट पर बीच में बैठने वाले शख्स के लिए भी सीट बेल्ट देनी होगी। देखा जाये तो भारत में सड़कों पर सुरक्षा सुनिश्चित करने वाले तमाम सुरक्षा मानक मौजूद हैं असल समस्या उनके अनुपालन में है।


उधर एयरबैग किस तरह के और किस दिशा में हों इसको लेकर भी बहस शुरू हो गयी है क्योंकि साइरस मिस्त्री जिस मर्सिडीज बेंज में सफर कर रहे थे वह तमाम सुरक्षा खूबियों से लैस थी लेकिन पिछली सीट के लिए एयरबैग नहीं होना जानलेवा साबित हुआ। दुर्घटनाग्रस्त मर्सिडीज जीएलसी 220डी कार भी सात एयरबैग से लैस थी। लेकिन उसमें एक भी एयरबैग ऐसा नहीं था जो पिछली सीट पर बैठने वाले लोगों को सामने से सुरक्षा दे सके। उसमें पीछे की तरफ सिर्फ साइड वाले एयरबैग ही मौजूद थे।


इस बीच विभिन्न स्तरों पर जागरूकता कार्यक्रमों की शुरुआत हो भी चुकी है। टाटा संस के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री की एक कार दुर्घटना में मृत्यु होने के मद्देनजर दिल्ली पुलिस ने ट्वीट करके नागरिकों से तेज गति में वाहन नहीं चलाने और हमेशा सीट बेल्ट पहनने का आग्रह किया है। पुलिस ने सड़क दुर्घटना के दौरान सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जाए इस पर एक तस्वीर भी साझा की जिसमें वाहन चालकों और यात्रियों को सीट बेल्ट लगाने की सलाह दी गई। दिल्ली पुलिस ने हैशटैग रोड सेफ्टी और दिल्ली पुलिस केयर्स के साथ ट्वीट किया तेजी गति से वाहन नहीं चलायें। अपनी सीट बेल्ट लगायें। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कहां बैठे हैं आगे की सीट पर या पीछे की सीट पर। सीट बेल्ट लगायें हर बार लगायें।


उधर सीट बेल्ट पहनने की अहमियत पर जोर देते हुए महिंद्रा एंड महिंद्रा के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने कहा मैं कार की पिछली सीट पर बैठते समय भी सीट बेल्ट पहनने की शपथ लेता हूं। मैं आप सब लोगों से भी यह शपथ लेने का अनुरोध करता हूं। हम सबको अपने परिवार की फिक्र करनी है।


हम आपको बता दें कि रविवार को हुई इस घटना से सबक मिलता है कि सीट बेल्ट नहीं लगाना और तेज रफ्तार में चलना कितना घातक सिद्ध हो सकता है। हम आपको बता दें कि साइरस मिस्त्री और उनके दोस्त जहांगीर पंडोले को कार दुर्घटना में कई चोटें आई थीं और ब्लंट थोरैक्स ट्रामा के कारण लगभग तत्काल उनकी मौत हो गई। जेजे अस्पताल के एक चिकित्सा अधिकारी ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि साइरस मिस्त्री को चोट के कारण शरीर के भीतर रक्तस्त्राव भी हुआ। चिकित्सा अधिकारी ने कहा मिस्त्री और पंडोले दोनों के शरीर पर अचानक झटका लगा क्योंकि कार तेज गति से चल रही थी। इसकी वजह से कई चोटें आईं और ब्लंट थोरैक्स ट्रामा हुआ। उन्होंने कहा शरीर के भीतर की धमनियां फट गई थीं जिससे अंदरूनी रक्तस्त्राव हुआ।


दूसरी ओर इस मामले को लेकर जो लोग सड़कों की गुणवत्ता पर सवाल उठा रहे हैं उस पर केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी की भी टिप्पणी आई है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कुछ सड़क दुर्घटनाओं के लिए त्रुटिपूर्ण परियोजना रिपोर्ट को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा है कि कंपनियों को राजमार्गों एवं अन्य सड़कों के निर्माण से जुड़ी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने के लिए उचित प्रशिक्षण की आवश्यकता है। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री ने कहा है कि सरकार नयी तकनीकों के उपयोग को बढ़ावा दे रही है। कुछ राज्यों में सड़क निर्माण की खराब गुणवत्ता पर चिंता व्यक्त करते हुए गडकरी ने कहा कि राज्य सरकारें हर साल सड़कों की मरम्मत के लिए 10000-15000 करोड़ रुपये खर्च कर रही हैं। यही नहीं गडकरी ने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा कि यदि नयी मर्सिडीज कार का चालक अनाड़ी हो तो उस स्थिति में भी समस्या पैदा हो सकती है।

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